कृषि कानूनों के खिलाफ आज किसानों का चक्काजाम
जागरण संवाददाता कठुआ केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वा
जागरण संवाददाता, कठुआ : केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा शनिवार को कठुआ में भी चक्का जाम कर प्रदर्शन किया जाएगा। विभिन्न संगठनों के सदस्य एक बैनर तले जिला मुख्यालय पर एकत्रित होकर सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर नगरी अड्डा से लेकर शहर के कालेज रोड से पैदल रोष जताते हुए डीसी कार्यालय पहुंचेंगे। वहां पर चक्का जाम कर अपना विरोध जताएंगे। इसके अलावा जन जागृति मंच के कार्यकर्ता शहर के मुखर्जी चौक में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर प्रदर्शन करेंगे। मंच के सन्नी डोगरा ने कहा कि उनका संगठन भी कृषि कानूनों के खिलाफ शहर में जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा। किसान नगरी अड्डा से पैदल ही डीसी कार्यालय तक जाकर विरोध जताते हुए अपना ज्ञापन भी देंगे। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए जिला पुलिस ने सुरक्षा के इंतजाम किए हैं ताकि व्यवस्था बनी रहे और लोगों को परेशानी न हो। जिला मुख्यालय पर डीसी कार्यालय में डीडीसी के चेयरमैन एवं वाइस चेयरमैन का चुनाव भी होना है। इसके चलते कालेज रोड पर किसानों के पैदल रोष प्रदर्शन के दौरान प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है। किसान आंदोलन के समर्थन में मढ़ीन में भी करेंगे प्रदर्शन
संवाद सहयोगी, हीरानगर : नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में आदोलन चला रहे किसान संगठनों के समर्थन में कठुआ जिले के किसान भी एकजुट होने लगे हैं। राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिवदेव सिंह, सचिव घनश्याम शर्मा ने शुक्रवार को मढ़ीन क्षेत्र के नौचक, गुज्जर चक, कडियाला, मनियारी आदि गावों में किसानों के साथ बैठकें कर उनकी समस्या को लेकर विचार-विमर्श किया और संघर्ष करने की अपील की। इस मौके पर शिवदेव सिंह, घनश्याम शर्मा ने कहा कि देश के किसान तीन नए कृषि कानून वापस लेने की माग को लेकर 70 दिन से आदोलन कर रहे हैं। इस दौरान 180 के करीब किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार टस से मस नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की माग पर विचार करने के बजाय सरकार व भाजपा के नेता अब किसानों को ही देशद्रोही कह कर उन पर जुल्म ढा रही है, लेकिन किसान भी अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। घनश्याम शर्मा ने कहा जम्मू कश्मीर में वर्षो से सरकारी जमीन पर खेती करने वाले किसानों को मालिकाना हक देने के बजाय राजस्व विभाग ने उनकी गिरदावरी ही खारिज कर दी है। तारबंदी के आगे पड़ती हजारों कनाल जो 18 साल से गोलाबारी की वजह से खाली पड़ी है, उसका मुआवजा नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि किसानों को पहले ही कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, अब तीन काले कानून लागू कर किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ा दी गई हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तीन कानून वापस नहीं लेती और जम्मू कश्मीर में सरकारी जमीन का किसानों को मालिकाना हक नहीं मिलता, संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि शनिवार को किसान संगठनों ने भारत बंद की घोषणा की है। मढ़ीन तहसील कार्यालय के समक्ष भी क्षेत्र के किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे। बैठक में बाबूराम, मनोहर लाल, लाजू राम, नाठू राम, मदनलाल, मंगत राम आदि भी मौजूद थे।