सीबीआइ जाच से डर रहीं महबूबा : लाल सिंह
जेएनएन, बिलावर/हीरानगर : रसाना मामले की सीबीआइ जांच की माग को लेकर पूर्व वन मंत्री चौधरी ल
जेएनएन, बिलावर/हीरानगर : रसाना मामले की सीबीआइ जांच की माग को लेकर पूर्व वन मंत्री चौधरी लाल सिंह ने रविवार को दियालाचक से बिलावर तक जनसमर्थन जुटाने के लिए रैली निकाली।
छलां, नगरोटा, थड़ा कल्याल से लेकर माडली, फिंतर और फिर बिलावर मेंरैली कर लाल सिंह ने कहा कि उनकी माग है कि रसाना मामले में न्याय मिले। यह तभी संभव है जब पूरे मामले की निष्पक्ष जाच होगी। मामले की जांच केंद्रीय जाच एजेंसी से करवाई जाए, लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इससे डर रही हैं। यही कारण है कि मामले की जाच कश्मीर की क्राइम ब्रांच से करवाई गई, जिस पर लोगों ने संदेह जताते हुए न्याय नहीं मिलने पर आमरण अनशन पर बैठ गए।
लाल सिंह ने कहा कि डेढ़ महीना पहले भी वह भाजपा हाईकमान के कहने पर रसाना में अन्य मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा के साथ गए थे, लेकिन दिल्ली में बैठा मीडिया ऐसा दिखा जा रहा है कि जम्मू का डोगरा दुष्कर्मी है। इससे देश दुनिया में जम्मू के लोगों की छवि खराब हो रही है। पीड़िता बच्ची को न्याय मिलना चाहिए। यहा धर्म की बात नहीं होनी चाहिए। वह हमारी बच्ची है, उसके असली हत्यारों को सजा मिलनी चाहिए।
लाल सिंह ने कहा कि देश पहले है पार्टी बाद में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान को कोई दाग ना लगे, इसलिए उन्होंने मंत्री की कुर्सी छोड़ दी। यह सब इसलिए किया ताकि सीबीआइ जाच हो, बच्ची को इंसाफ मिले, लेकिन सीएम साहिबा सीबीआइ जाच से डर रही हैं।
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डोगरों को बदनाम करने वालों
को मुंहतोड़ जवाब देना होगा
हीरानगर : रसाना मामले की सीबीआइ जांच करवाने की मांग को लेकर लोगों को एकजुट करने के लिए लाल सिंह ने रविवार को भी दियालाचक से रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने हीरानगर उपमंडल के दयालाचक, कटली, डिंगा अंब में नुक्कड़ सभाओं में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि डोगरों को बदनाम करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लोगों को बाहर निकलना होगा। क्राइम ब्रांच ने जिस मंदिर में बच्ची को बंदी बनाकर रखने का चार्जशीट में जिक्र किया है वो कुलदेवी का स्थान है। यहां लोग छोटी बच्चियों की पूजा करते है। यहां दुष्कर्म नहीं होते। यह सब आरोप जम्मू के डोगरों को बदनाम करने के लिए लगाए गए हैं। इसमें मिडिया का एक वर्ग भी शामिल था। उन्होंने कहा कि बच्ची की हत्या के आरोपियों को छोड़ने की आज तक किसी ने बात नहीं की। जो भी इसमें दोषी है उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्हें क्राइम ब्रांच की जांच पर विश्वास नहीं है। सभी सीबीआइ से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। इसमें गलत क्या है। वर्ष 2009 में भी महबूबा मुफ्ती ने एक मामले की सीबीआइ से जांच करवाई थी। पूरा देश इस मामले की भी सच्चाई जानना चाहता है। रसाना मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीम में जो अधिकारी नियुक्त हैं, उनमें से कई पर पहले ही कई आरोप हैं। ऐसे में उनकी जांच पर कौन विश्वास करेगा। उनके साथ पूर्व सरपंच सुदेश कुमार, राकेश चौधरी, पोली सिंह, राकेश केशी, करण कुमार, भागमल खजूरिया, शमशेर सिंह व जगन्नाथ सूदन भी शामिल थे।