भरत मिलाप एवं सीता हरण का हुआ मंचन
दो नवरात्र एक साथ होने के कारण देर रात को हुए मंचन में छठी एवं सातवीं रामलीला का मंचन एक ही रात में किया गया जिसमें प्रमुख आकर्षण भरत मिलाप एवं सीता हरण रहा।
संवाद सहयोगी, बसोहली : दो नवरात्र एक साथ होने के कारण देर रात को हुए मंचन में छठी एवं सातवीं रामलीला का मंचन एक ही रात में किया गया, जिसमें प्रमुख आकर्षण भरत मिलाप एवं सीता हरण रहा।
देर शाम को सबसे पहले रामलीला क्लब बसोहली द्वारा भरत मिलाप के दृश्य का मंचन किया गया जिसमें भरत एव शत्रुघ्न अपने ननिहाल से अयोध्या पहुंचते हैं तो वहा पर राम लक्ष्मण एवं सीता को ना पाकर बैचेन हो जाते हैं। उन्हें पता लगात है कि राम को वनवास दिया गया है जिस कारण उन्होंने भी राम के साथ वनों में रहने का निर्णय लिया और राज गद्दी को छोड़ दिया। वन-वन भटकते हुए राम के पास पहुंचते हैं तो लक्ष्मण कहता है कि भरत कहीं हम पर सेना लेकर हमला करने तो नहीं आ रहा है इस पर राम ने समझाया और कहा कि वह हमारी सुधी लेने आया होगा। भरत मिलाप का दृश्य देख सब की आखें नम हो गई। इसके बाद राम को पता चलता हे कि पिता का स्वर्गवास हो गया है। इसके बाद भरत को घर जाने को कहा। भरत अड़ गया। राज के समझाने पर भरत ने राम की खड़ाऊं अपने साथ ले गया। इसके बाद बाली बाली-सुग्रीव युद्ध का मंचन भी हुआ।
दूसरे मंचन में स्पूनर्खा जंगल में घूम रही थी। उसी समय उसकी नजर राम और लक्ष्मण पर पड़ी उसका मन उनसे शादी करने को करने लगा और वह राम के पास गई तो राम ने टाल दिया कि वह उस को पटरानी नहीं बना सकते उन्होंने एक ही शादी का निर्णय लिया है। इस पर वह लक्ष्मण पर डोरे डालने लगी। लक्ष्मण ने कहा कि अगर बड़े भैया इजाजत दें तो ही शादी करुंगा। इस के बाद राम के पास गई और राम ने कुछ लिख कर दिया जिस के बाद लक्ष्मण ने उस की नाक काट दी। नाक काटने की दर्द से चिल्लाती हुई वह अपने भाइयों खर और दूषण के पास गई उन्होंने बदला लेने के लिये युद्ध किया दोनों का बध राम ने कर दिया। इसके बाद रावण के पास गई और बताया कि वन में राम लक्ष्मण और सीता आई हैं। सीता का नाम सुनते ही रावण सोचने लगा कि स्वयंवर में तो नहीं जीत पाया अब उसे अपनी पटरानी बनाकर रहूंगा। फिर सीता हरण का दृश्य दिखाया जाता है। रास्ते में सीता के राम-राम चिल्लाने की आवाज सुन कर जटायु गिद्ध सीता को छुड़ाने आता है तो उसका पंख रावण काट देता है और को लेकर लंका चला जाता है। राम-लक्ष्मण जब पंचवटी कुटिया में आये तो सारा मामला समझ आ गया। ढूंढते हुए उन्हें जटायु मिला, जिसने बताया कि रावण लंका में ले गया। दो रामलीलाओं का एक ही रात को मंचन हो ने के बावजूद दर्शक अपने स्थान पर बैठे रहे।