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जानिए, जम्मू व कठुआ से कैसे और करीब हो जाएगा अमृतसर

bridge. 150 करोड़ की लागत से बने इस पुल के निर्माण के साथ ही अमृतसर अब जम्मू व कठुआ के और करीब हो जाएगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 07:21 PM (IST)
जानिए, जम्मू व कठुआ से कैसे और करीब हो जाएगा अमृतसर
जानिए, जम्मू व कठुआ से कैसे और करीब हो जाएगा अमृतसर

कठुआ, राकेश शर्मा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 22 जनवरी को कठुआ जिले के गांव किड़ियां गंडयाल के पास रावी पर नवनिर्मित पुल राष्ट्र को समर्पित करेंगे। 150 करोड़ की लागत से बने इस पुल के निर्माण के साथ ही अमृतसर अब जम्मू व कठुआ के और करीब हो जाएगा। अभी तक यात्रियों को अमृतसर से पठानकोट जाना पड़ता है और वहां से लखनपुर बार्डर के रास्ते कठुआ जिले में प्रवेश पाते हैं।

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इस पुल का शिलान्यास भी करीब दो साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ही किया था। इसका निर्माण तय समय से पहले पूरा कर लिया गया है। इस पुल से पंजाब के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश का वैकल्पिक मार्ग भी मिल गया है। पुल से कठुआ जिले का सीधा पंजाब के सुंदरनगर, दीनानगर और अमृतसर से सड़क संपर्क जुड़ गया है। कठुआ के लोगों व पंजाब के सुंदरनगर, दीनानगर और अमृतसर से आने वाले लोगों को अब लखनपुर से न होकर सीधे कठुआ पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग मिलेगा। रावी पर बने इस पुल की लंबाई 1210 मीटर है, जिसके दोनों तरफ अप्रोच रोड भी बनाई गई है। कठुआ की तरफ सड़क की लंबाई 4780 मीटर है, जबकि गंडियाल पंचायत की तरफ सड़क का विस्तार 2610 मीटर है।

पर्यटकों को विशेष फायदा

पंजाब के अमृतसर से नया रूट मिल जाने से पर्यटकों को फायदा मिलेगा। पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के बहुत से पर्यटक अमृतसर होते हुए जम्मू व वैष्णो देवी पहुंचते हैं। ऐसे पर्यटकों को अब जम्मू पहुंचना आसान हो जाएगा।

अगर हो जाए 3.5 किलोमीटर रोड का विस्तार

कठुआ से अमृतसर का पूरा रास्ता हाईवे से कनेक्ट हो सकता है, अगर किड़ियां गंडयाल से आगे के 3.5 किलोमीटर मार्ग का विस्तार कर दिया जाए। यह रास्ता खस्ताहाल है और अगर इसको चौड़ा कर दिया जाए तो पूरी तरह से राजमार्ग से कनेक्ट हो जाएगा। इस तरह लखनपुर के जाम से काफी हद तक राहत मिल सकती है।

अब राज्य से जुड़ेगा किड़ियां गंडयाल

अगर ये कहा जाए कि राज्य का हिस्सा होते हुए भी किड़ियां गंडयाल गांव भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से पंजाब का हिस्सा रहा है तो शायद वहां के निवासियों को गलत नहीं लगता, क्योंकि पुल के अभाव में बीच बहती रावी दरिया को पार कर सीधे अपने जिला मुख्यालय में पहुंचना उनके लिए संभव नहीं था। उन्हें आठ किलोमीटर के लिए 40 किलोमीटर पंजाब से होकर आना पड़ता था, क्योंकि जिला मुख्यालय और उनके बीच में रावी नदी गुजरती थी।


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