एडवेंचर टूरिज्म : 28 साइकिल सवार बनी के लिए किया रवाना
संवाद सहयोगी बसोहली एडवेंचर टूरिज्म के अंतर्गत पर्यटन विभाग के सौजन्य से देश के विभि
संवाद सहयोगी, बसोहली : एडवेंचर टूरिज्म के अंतर्गत पर्यटन विभाग के सौजन्य से देश के विभिन्न राज्यों से 24 साइकिल सवारों को शनिवार सुबह डायरेक्टर टूरिज्म विभाग के ओपी भगत ने बनी के लिए रवाना किया।
इस मौके पर एडीसी टीआर थापा, म्यूनिसिपल प्रधान सुमेश सपोलिया, एसडीपीओ पारूल भारद्वाज, टूरिज्म नोडल आफिसर राजेश रैना भी उपस्थित रहे। डायरेक्टर टूरिज्म ने बताया कि 3 बच्चे चंडीगढ़, 1 दिल्ली, 24 जम्मू से शामिल हैं। इन बच्चों में अपने राज्य से आकाश बट्ट स्टेट लेवल में भाग ले चुका है। एक अजीत सिंह चंडीगढ़ से अजीत सिंह सात बार नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल हासिल कर चुका है और एक बार इंटरनेशनल लेवल पर भाग ले चुका है। यह एमटीबी साइकिल रैली दो दिन में 165 किलोमीटर का सफर करेगी जो आज रात को बनी में रहेगी और कल सरथल छतरगला से होती हुई भद्रवाह जाएगी। जम्मू कश्मीर में धार्मिक टूरिज्म के बाद अगर किसी और टूरिज्म की संभावना है तो बसोहली बनी डेवलपमेंट अथारिटी के पास ऐडवेंचर टूरिज्म है। अटल सेतु से साइकिल सवारों को बनी के लिए रवाना करने के उपरांत डायरेक्टर टूरिज्म ओपी भगत ने कहा कि ऐडवेंचर टूरिज्म के लिहाज से देखा जाए तो इस क्षेत्र में आपार संभावनाएं हैं जिनसे क्षेत्र को भारत के विभिन्न राज्यों तक इसके प्रति जानकारी मुहैया करवाने के उद्देश्य से इस एमटीबी साइकिल रैली का आयोजन किया जा रहा है। बच्चे यहां की सुंदरता से परिचित होंगे और अन्य लोगों को बताएंगे। बसोहली से इस रैली को इस लिए निकाला जा रहा है कि बसोहली 1635 में राजा भूपत पाल द्वारा बसाया गया और यहां की सुंदरता, यहां की चित्रकला को 1678 और 1693 के बीच पहाड़ी चित्रकला शुरू हुई जो विश्व में अलग पहचान रखती है, अटल सेतु जो भारत का चौथा अनोखा पुल है। बसोहली को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए यह सारी कवायद की जा रही है। हमारी कोशिश है कि आने वाले समय में जब अच्छी सड़क सुविधा सरथल तक होगी तो हम मनोरंजन के कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे ताकि लोग यहां पर आ कर यहां की सुंदरता के साथ स्थानीय संस्कृति एवं मनोरंजन को भी देख पाएं। इस रैली में शामिल सभी बच्चों के खाने, पीने व रहने का खर्च पर्यटन विभाग उठा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने जब इस रैली को अपने गांव से जाते हुए देखा तो उन्होंने तालियां बजाकर इनका स्वागत किया। ऐसा नजारा शीतलनगर एवं अन्य गांवों में देखा गया।