तहसील में कार्यालय न होने से ग्रामीण परेशान
संवाद सहयोगी रामकोट तहसील घोषित होने के बावजूद कस्बे में न तो कोई आज तक नया सरकारी दफ्तर ख
संवाद सहयोगी, रामकोट : तहसील घोषित होने के बावजूद कस्बे में न तो कोई आज तक नया सरकारी दफ्तर खोला गया और न ही स्थानांतरित हुए दफ्तर को ही वापस लाया गया। आलम यह है कि कृषि विभाग और बिजली विभाग द्वारा बनाई गई इमारतें भी देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है।
दरअसल, कस्बा रामकोट में तहसील बनने से डेढ़ दशक पहले पीडब्ल्यूडी, सेरीकल्चर, वन विभाग समेत करीब दो दर्जन सरकारी कार्यालय मौजूद थे। वर्ष 2014 में तहसील घोषित होने के बाद एक भी दफ्तर नया नहीं खोला गया। वर्ष 1980 में कृषि विभाग की इमारत बनाई गई थी, जबकि बिजली विभाग की इमारत और रेस्ट हाउस 1970 में बनाए गए थे। तहसील कार्यालय होने के बावजूद दर्जनों कार्यालयों के काम निपटाने के लिए लोगों को आज भी बिलावर जाना पड़ता है। इस दौरान लोगों का समय भी नष्ट होता है और पैसे की भी बर्बादी होती है। बावजूद इसके काम ना होने से लोगों को बिलावर के कई कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।
स्थानीय निवासी रामपाल शर्मा, जगदीश चंद्र, इंद्रजीत रैना, जियालाल, देवेंद्र दयोनिया, मदनलाल, शिवकुमार, प्रदीप सिंह, जोगिंदर पाल आदि का कहना है कि स्थानीय लोग कई बार जोनल शिक्षा कार्यालय, पीडब्ल्यूडी, सोशल वेलफेयर, कृषि, सिंचाई, बागवानी आदि तहसील स्तर के कार्यालय खोले जाने की माग कर चुके हैं, परंतु प्रशासन द्वारा आश्वासनों के सिवाए आज तक कोई भी काम नहीं किया गया। और न ही यहा के प्राथमिक उपचार केंद्र को अपग्रेड किया गया है और ना ही लोगों की सुविधा के लिए तहसील कार्यालय से जिला कार्यालय तक आने जाने के लिए कोई सीधी बस सेवा शुरू की गई। इस कारण क्षेत्र का विकास अधर में लटका हुआ है। लोगों ने प्रशासन से तहसील स्तर के सभी कार्यालय खोले जाने की माग की है।