बारिश व डीएपी खाद न मिलने से किसान परेशान
संवाद सहयोगी बनी/हीरानगर पहाड़ी क्षेत्र बनी में जहां बारिश न होने से किसानों के चेहरे मुरझा गए ह
संवाद सहयोगी, बनी/हीरानगर: पहाड़ी क्षेत्र बनी में जहां बारिश न होने से किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं, वहीं कंडी व सीमावर्ती गांवों में किसानों को डीएपी खाद न मिलने की वजह से गेहूं की बिजाई प्रभावित हो रही है।
दरअसल, धान की कटाई के साथ-साथ गेहूं की बुआई का समय निकल रहा है। हालांकि, किसानों ने गेहूं की बिजाई के लिए खेत भी तैयार कर लिया हैं। कृषि विभाग ने गेहूं का बीज भी मुहैया करवा दिया है, लेकिन डीएपी खाद नहीं मिलने की वजह से बिजाई करने में किसानों को दिक्कत आ रही है।
बताया जाता है कि रेल सेवा बंद रहने की वजह से डीएपी खाद की सप्लाई नहीं हो पा रही है। किसान रामपाल शर्मा, अशोक कुमार बिट्टू, रशपाल व तीर्थ राम का कहना है कि एक तो दो माह से बारिश नहीं हो रही है, इसके कारण कंडी तथा सीमावर्ती इलाके में खेतों में नमी कम होने की वजह से बिजाई भी नहीं हो रही। ओल्ड साबा कठुआ मार्ग के आसपास के क्षेत्र में किसानों ने धान की कटाई के बाद खेत तैयार कर लिए हैं, बीज भी कृषि विभाग ने उपलब्ध करवा दिया है, लेकिन डीएपी खाद नहीं मिल रही। इस कारण बिजाई का काम शुरू नहीं हो पा रहा। अभी तक कुछ किसान ही बिजाई कर रहे हैं, जिनके पास पुरानी खाद उपलब्ध थी। उन्होंने कहा कि अगर डीएपी खाद बिजाई के समय खेतों में नहीं डालें तो उत्पादन में वृद्धि नहीं होती। उन्होंने कहा कि रेल सेवा बंद रहने की वजह से खाद नहीं पंहुच रही, जिसके चलते काम रूका हुआ है। सरकार को डीएपी खाद जल्द मंगवानी चाहिए, ताकि समय पर बिजाई हो सके। इस संबंध में कृषि विभाग सब डिवीजन हीरानगर के एसडीओ प्रदीप शर्मा का कहना है कि क्षेत्र में 25684 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल लगती है। विभाग ने पाच हजार क्विंटल के करीब गेहूं का बीज जोनल केंद्रों पर उपलब्ध करवा रखा है। बीज की तो कमी नहीं है, लेकिन डीएपी खाद नहीं आने से बिजाई का धीमा चल रहा है। उम्मीद है जल्द ही खाद आनी शुरू हो जाएगी।
उधर, पहाड़ी क्षेत्र बनी इलाके में बारिश नहीं होने की वजह से किसान मटर, सरसों और गेहूं की बिजाई नहीं कर पा रहे हैं। करीब दो माह से पहाड़ी क्षेत्र में बारिश नहीं हुई, इस कारण किसान परेशान है। कृषि विभाग के अधिकारी संजय कुमार ने कहा है कि अगर अब बारिश होती भी है तो सरसों की फसल बहुत ही कम होगी, और मटर के दाने भी कम निकलेंगे। बारिश न होने की वजह से कडम और गोभी आदि सब्जियों की फसल मुरझाने लग गई है। इस वर्ष बनी में 60 क्विंटल सरसों की फसल का नुकसान होगा, जबकि 20 क्विंटल के करीब मटर का नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में पूरी तरह बारिश पर ही निर्भर हैं। किसान हंस राज, दया राम, राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि सरसों की बिजाई का समय खत्म हो गया है, क्योंकि अब सरसों बिजी भी जाती है तो कोहरे के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी, मटर की बिजाई का भी समय पूरी तरह से बीत गया है। किसानों ने सरकार से फसल का मुआवजा दिए जाने की मांग की है।