सरकारी स्कूलों के 72 हजार विद्यार्थियों को मिलेंगे हेल्थ कार्ड
भले ही तीन माह से स्कूल बंद पड़े हैंलेकिन विभाग ने विद्यार्थियों को स्कूल में कक्षाएं नहीं तो घरों में ही आनलाइन शिक्षा की सुविधा की है ताकि विद्यार्थी पढ़ाई से जुड़े रहेइसी के साथ विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं को भी उनके घरों तक पहुंचाने की वैकल्पिक व्यवस्था की हैजैसे मिड डे मील का सूखा राशन विद्यार्थियों के घरों में भी जाकर बांटा गया अब उसके बाद कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदेश समग्र शिक्षा प्रोजेक्ट के प्रभारी के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने नेशनल हेल्थ मिशन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सहयोग से मिड डे
कोरोना संकट के चलते भले ही तीन माह से स्कूल बंद पड़े हैं, लेकिन शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों को स्कूल में कक्षाएं नहीं तो घरों में ही ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा प्रदान कर दी है, ताकि विद्यार्थी पढ़ाई से जुड़े रहे, इसी के साथ विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं को भी उनके घरों तक पहुंचाने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, जैसे मिड-डे मील का सूखा राशन विद्यार्थियों के घरों में जाकर बांटा गया, उसके बाद कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने नेशनल हेल्थ मिशन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सहयोग से मिड-डे मील योजना से जोड़ते हुए जिले के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को हेल्थ कार्ड जारी करने की मुहिम शुरू की है। हालांकि, इस प्रक्रिया की शुरूआत विभाग ने गत 5 मार्च को थी, लेकिन कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने के कारण इसे लंबित कर दिया गया था। इसके बाद अब इस योजना को स्कूल खुलने से पहले सभी विद्यार्थियों को हेल्थ कार्ड जारी करने का अभियान शुरू कर दिया गया है, ताकि स्कूल खुलने से पहले सभी को ये जारी हो जाए और स्कूल खुलते ही विद्यार्थियों को लाभ मिलना शुरू हो जाए। इसकी शुरूआत जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे हेम राज पखरू, जो की इस समय स्कूल शिक्षा विभाग के सह निदेशक भी है, ने जिले के कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक के सभी विद्यार्थियों को हेल्थ कार्ड जारी करने की मुहिम शुरू कर दी है। इस हेल्थ कार्ड के विद्यार्थियों को क्या-क्या लाभ मिलेगा, इन सब मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने जिला शिक्षा विभाग के सीईओ हेम राज पखरू से बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के अंश:- - हेल्थ कॉर्ड बांटने की शुरुआत कब की गई।
प्रदेश के शिक्षा विभाग के आयुक्त सचिव असगर सामून और समग्र शिक्षा विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरुण मन्हास के प्रयास से जिले में कक्षा एक से 12वीं तक के सभी सरकारी स्कूलों के 72 हजार विद्यार्थियों को पहली बार हेल्थ कार्ड जारी करने की मुहिम शुरू की गई है। इसका शुभारंभ गत दिवस बनी शिक्षा जोन से हेल्थ कार्ड बांट कर की गई है। -विद्यार्थियों को हेल्थ कार्ड से क्या- क्या लाभ मिलेंगे।
यह योजना गत 5 मार्च को शुरू हुई थी, लेकिन बीच में कोरोना संकट के कारण स्कूल बंद हो गए। इसके कारण शुरू नहीं किया जा सका, अब विभाग के उच्चाधिकारियों ने कोरोना संकट को देखते हुए इसे स्कूल खुलने से पहले ही पूरी तैयारी करके लागू करने के निर्देश जारी किए, ताकि जब भी स्कूल खुलेंगे तो विद्यार्थियों का स्कूलों में हेल्थ कार्ड संबंधित औपचारिकताएं पूरी होने पर तुरंत हेल्थ चेकअप शुरू हो जाए, अब वैसे भी कोरोना संकट के चलते ये और भी जरूरी हो गया है। इसी के चलते बंद पड़े स्कूलों के विद्यार्थियों को उनके घरों तक कम से कम हेल्थ कार्ड पहुंचा दिए जाएं, ताकि आवश्यक औपचारिकताएं पहले से ही पूरी हो जाए। अब सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का रोज हेल्थ टीम चेकअप करने पहुंचा करेगी। मिड-डे मील से ही इस योजना को जोड़ कर लागू किया गया है। जिसमें देखा जाएगा कि स्कूल में पढ़ने वाला विद्यार्थी कहीं कुपोषण का शिकार तो नहीं, उसे क्या-क्या दवा या अन्य पौष्टिक आहार दिया जाए, जिससे कुपोषणता से उसे बाहर किया जा सके। इसके अलावा देखा जाएगा कि स्कूल में अगर कोई विद्यार्थी दिव्यांग हैं तो उसे किस तरह की मेडिकल सहायता की जरूरत है, स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी को कहीं जन्मजात से बीमारी है या फिर उसके बाद किसी बीमारी से पीड़ित है, इसकी जांच क्षेत्र के ब्लॉक मेडिकल स्तर के अधिकारी अपनी टीम के साथ रेगुलर चेक करेंगे। - अगर कोई उक्त बीमारी से पीड़ित पाया जाता है तो उसे निशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी।
बिल्कुल निशुल्क होगी, जैसे प्रदेश में अब शिक्षा के अधिकार कानून लागू हुआ है, ठीक अब बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्कूलों में लागू करके दरवाजे तक स्वास्थ्य सुविधा देने का बड़ा प्रयास है यानि अब प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ बनाने के लिए उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी सरकार ने उसके स्कूल पहुंचते ही ले ली है। इसके इलाज का सारा खर्च स्वास्थ्य मिशन उठायेगा। स्कूलों से इसकी शुरूआत होने से एक तो अब हर विद्यार्थी इलाज के अभाव में पीड़ित नहीं रहेगा। इसके लिए चाहे कितना भी खर्च होगा, सरकार उठाएगी। इसका सबसे बड़ा लाभ कुपोषित और गंभीर बीमारी से पीड़ित विद्यार्थी की स्वास्थ्य विभाग स्कूलों में जल्द पहचान कर लेगा। अब कोई भी विद्यार्थी अस्वस्थ्य नहीं रहेगा। पहाड़ी क्षेत्र के बनी शिक्षा जोन के 160 स्कूलों के 10 हजार विद्यार्थियों को हेल्थ कार्ड बांटने की शुरूआत कर दी गई है।