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वित्त आयोग से गांवों के विकास कराने के लिए मिले 60 करोड़ और पंचायतें खर्च कर पाई सिर्फ 11 करोड़

सरकार ने एक बार फिर अधिकारियों को बैक टू विलेज-3 के तहत ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत स्तर

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 12:14 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 12:14 AM (IST)
वित्त आयोग से गांवों के विकास कराने के लिए मिले 60 करोड़ और पंचायतें खर्च कर पाई सिर्फ 11 करोड़
वित्त आयोग से गांवों के विकास कराने के लिए मिले 60 करोड़ और पंचायतें खर्च कर पाई सिर्फ 11 करोड़

सरकार ने एक बार फिर अधिकारियों को बैक टू विलेज-3 के तहत ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत स्तर पर लोगों की समस्याएं सुनने और मौके पर उनका समाधान करने के निर्देश दिए हैं। आगामी अक्टूबर माह के पहले सप्ताह से तीन सप्ताह तक बैक टू विलेज-3 शुरू होने वाला है। इसके लिए सरकार ने पहले 21 दिन का 30 सितंबर तक जन अभियान कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें जिला अधिकारियों को ब्लॉक स्तर पर शिविर लगाकर लोगों की समस्याएं सुनने और मौके पर ही हल करने के साथ साथ बैक टू विलेज-3 के लिए जागरूक करने के निर्देश दे रखे हैं। इसी के चलते इन दिनों जिले में डीसी और एसएसपी ब्लॉक स्तर पर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत लोगों को कितनी सुविधा मिल रही है, और किस तरह के काम प्रशासन मौके पर कर रहा है, इन सब मुददों पर दैनिक जागरण के उप मुख्य संवाददाता राकेश शर्मा ने डीसी से विशेष बातचीत की, उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:- - जन अभियान का क्या मकसद है, इससे ग्रामीणों को प्रशासन किस तरह द्वार पहुंचा रही है।

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सरकार ने बैक टू विलेज-3 को इस बार शुरू करने के लिए पूरी तैयारी से ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि वहां पहुंचने पर अधिकारी पूर्व में आयोजित दो बैक टू विलेज कार्यक्रम में ग्रामीणों द्वारा बताए गए विकास कार्य में से कम से कम दो काम पूरे करके जाएं। इसी को लेकर जन अभियान शुरू किया गया है। इसमें डीसी और एसएसपी सभी 19 ब्लॉक में जाकर लोगों की समस्याएं सुनेंगे और बैक टू विलेज कार्यक्रम के तहत बताए गए विकास कार्य को अब शुरू होने जा रहे बैक टू विलेज से पहले पूरा करना है, ताकि नए कार्यक्रम बैक टू विलेज-3 में उसका लोकार्पण हो और लोगों को पता चले कि इस कार्यक्रम के तहत उनकी लंबित समस्याएं अधिकारी उनके द्वार पर सुनने के बाद समाधान कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा मकसद लोगों को सरकारी कार्यालयों में बार-बार विकास कार्याें एवं समस्याएं बताने के लिए आने पर हो रही परेशानी से निजात दिलाना है। - 21 दिन में जिले के 19 ब्लॉक में जाकर जन अभियान कैसे पूरा कर पाएंगे।

इसे भी योजनाबद्ध तरीके से लिया गया है। इसके लिए प्रत्येक बुधवार का दिन तय किया गया है, जिसमें खुद डीसी (मैं) और एसएसपी प्रत्येक ब्लॉक में जाकर 30 सितंबर तक पड़ने वाले प्रत्येक बुधवार को वहां पहुंचेंगे। इसमें जैसे पहला बुधवार 16 को होगा, उस दिन डीसी और एसएसपी हीरानगर के रेस्ट हाउस में सुबह से शाम 5 बजे तक तीन ब्लॉक के लोगों को बारी-बारी बुलाकर समस्याएं सुनेंगे और जैसे डोमिसाइल सहित अन्य प्रमाणपत्र भी मौके पर बांटेंगे। इसमें पहले दिन हीरानगर ब्लॉक, मढ़ीन, डिगा अंब ब्लॉक के लोगों की समस्याएं सुनने के बाद दोपहर उसी दिन 2 बजे कठुआ के मछली पालन फार्म में कठुआ, किड़ियां गंडयाल, बरनोटी और नगरी ब्लॉक के लोगों की समस्याएं सुनी जाएंगी। 23 सितंबर को बिलावर उपमंडल के छह ब्लॉक, बिलावर, मांडली, बग्गन, डुग्गैनी, गुज्जरू नगरोटा और लोहाई मल्हार के लोगों की समस्याएं बिलावर में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक सुनी जाएंगी। उसके बाद 30 सितंबर को सुबह बसोहली उपमंडल के बसोहली, पूंड, धार महानपुर और महानपुर में दोपहर तक समस्याएं सुनी जाएंगी और शाम को बनी उपमंडल के बनी और डुग्गन ब्लॉक के लोगों की समस्याएं सुनी जाएंगी, ये पूरा शेड्यूल जिला प्रशासन ने 30 सितंबर तक बनाया है। जहां खुद में डीसी और एसएसपी द्वार पर जाकर लोगों की समस्याएं सुनेंगे और बैक टू विलेज-3 के लिए ज्यादा से ज्यादा भागीदारी बनाकर सफल बनाने के लिए जागरूक करेंगे। -कुछ ब्लॉक के पंचों व सरपंचों ने पूर्व में आयोजित बैक टू विलेज-एक और दो में उनके द्वारा बताए गए कार्य पूरा नहीं होने पर बहिष्कार की धमकी दी है, उन्हें कैसे संतुष्ट करेंगे। जो सरपंच पंच जैसे कठुआ ब्लॉक और हीरानगर के बोबिया पंचायत के लोग बहिष्कार की धमकी दे रहे हैं, उनके पास वे खुद जाकर उन्हें पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा कौन से कार्य सुझाए गए और नहीं हुए, उसे पूरा करने का प्रयास शुरू हो गया है और बैक टू विलेज -3 में वे कार्य पूरे हो जाएंगे। हालांकि विकास कार्य नहीं होने के पीछे कुछ पंचायतों के प्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। जिन्हें 14वें वित्त आयोग के तहत फंड जारी किए गए और सबसे अहम फंड सीधे पंचायतों के खाते में सरकार ने डाले हैं। आलम यह है कि जिला प्रशासन पर कार्य नहीं करने के आरोप लगाने वाले पंचायत प्रतिनिधि कुल मिले 257 पंचायतों में 60 करोड़ रुपये में से मात्र 11 करोड़ ही खर्च कर पाए। जबकि जिला प्रशासन ने कुल 6400 विकास कार्य पंचायतों को एप्रूव किए हैं और उनमें से मात्र अभी तक 1800 ही पंचायतें पूरा कर पाई हैं। इन कार्यो को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन का कोई हस्तक्षेप नहीं है। पूरा अधिकार पंचायतों के पास है। अब तो अगले नए वित्त आयोग के तहत भी पंचायतों को करोड़ो के फंड मिलने वाले हैं, ऐसे में अगर पहले ही पूरे खर्च नहीं किए तो अगले कैसे मिलेंगे। इसके लिए पंचायतों को खुद सक्रिय होना है। सरकार ने ग्राम में विकास कराने के लिए पूरी तरह से सशक्त बना दिया है।


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