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Year Ender 2020: गुजरते वर्ष ने कक्षाओं से बाहर पढ़ाई के लिए खोलीं ऑनलाइन खिड़कियां

Year Ender 2020 Jammu Kashmir कोरोना के चलते आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों का मॉस प्रोमोशन दे दिया गया। मार्च में जब लॉकडाउन हुआ तो उस समय जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजूकेशन के बारहवीं कक्षा के दो पेपर नहीं हो पाए थे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 07:33 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 07:33 AM (IST)
Year Ender 2020: गुजरते वर्ष ने कक्षाओं से बाहर पढ़ाई के लिए खोलीं ऑनलाइन खिड़कियां
मिशन के तहत मिड डे मील का राशन भी विद्यार्थियों के घरों तक पहुंचाया गया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: विश्व व्यापी कोरोना महामारी के बीच गुजरता वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर को अच्छी-बुरी यादें दे गया। शिक्षण संस्थान बंद हुए तो ऑनलाइन शिक्षा के दरवाजे भी खुल गए। कक्षाओं से बाहर विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए गुजरते वर्ष ने एक नई दिशा दी है। सामुदायिक शिक्षा ने ग्रामीण आबादी को आकर्षित किया तो शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के हित में कई खिड़कियां ऑनलाइन खोल दीं।

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कोरोना संक्रमण की सबसे अधिक अकादमिक सत्र पर पड़ी है। पूरा सत्र ही गड़बड़ा गया। कुछ परीक्षाएं नहीं हो सकीं तो कई के परिणामों में देर-सबेर हुई। लॉकडाउन के चरण समाप्त होते गए, लेकिन मार्च से अब तक सभी शिक्षण संस्थान बंद ही हैं। इस दौरान अभिभावकों को अपने बच्चों की पढ़ाई छूटने की चिंता हुई। इस पर प्राथमिक, हायर सेकेंडरी और उच्च शिक्षा विभागों ने भी सहूलियत के दरवाजे खोलने में कंजूसी नहीं की।

शिक्षा विभाग ने निजी चैनलों, अपनी वेबसाइट पर विषयों के लेक्चर के वीडियो अपलोड किए। रेडियो पर भी लेक्चर के प्रबंध किए गए। असाइनमेंट और पुस्तकों को घरों तक पहुंचाया गया। ऑनलाइन शिक्षा दी गई। मिशन के तहत मिड डे मील का राशन भी विद्यार्थियों के घरों तक पहुंचाया गया। अभिभावकों के खातों में पैसे भी डाले गए।

पहाड़ी इलाकों में सामुदायिक शिक्षा का वरदान: जम्मू कश्मीर के दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में सामुदायिक शिक्षा के जरिए बच्चों को पढ़ाया गया। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए खुले में कक्षाएं लगाई गईं। अध्यापक स्वेच्छा से पढ़ाने के लिए आगे गए। कश्मीर से यह शुरुआत हुई। शिक्षा विभाग के अनुसार तीन लाख से अधिक विद्यार्थियों को सामुदायिक शिक्षा दी गई। कुपवाड़ा, बांडीपोरा, अनंतनाग, शोपियां और जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी, डोडा, किश्तवाड़ जिले में तो कक्षाओं का यह तरीका विद्यार्थियों के लिए वरदान बन गया। विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव असगर सेमून जो इस समय कौशल विकास विभाग के प्रमुख सचिव हैं, ने सामुदायिक शिक्षा के लिए अध्यापकों को प्रोत्साहित किया।

विश्वविद्यालय का एक सेमेस्टर लटक गया: अंडर ग्रेजुएट की परीक्षाएं समय पर नहीं हुई। इसके कारण परिणाम भी देरी से निकला। इन हालात में अभी तक जम्मू विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों में दाखिले नहीं हो पाए है। विश्वविद्यालय में पीजी की दाखिला प्रक्रिया अगस्त तक पूरी हो जाती थी। इस तरह से एक सेमेस्टर पूरी तरह से लटक चुका है। डिग्री कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट के पहले सेमेस्टर की दाखिला प्रक्रिया भी देरी से हुई। इससे पढ़ाई पर असर पड़ा। जम्मू कश्मीर में खुले नए 52 डिग्री कालेजों में कोरोना के कारण ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई।

बिना परीक्षा के मॉस प्रोमोशन मिला: कोरोना के चलते आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों का मॉस प्रोमोशन दे दिया गया। मार्च में जब लॉकडाउन हुआ तो उस समय जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजूकेशन के बारहवीं कक्षा के दो पेपर नहीं हो पाए थे। बोर्ड ने बाद में पेपर करवाए और परीक्षा परिणाम को निर्धारित समय पर घोषित किया।

प्रवेश परीक्षा से छूट का फायदा: कोरोना संक्रमण से बचने की दिशा में विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा से छुटकारा मिला। इंजीनियङ्क्षरग कॉलेजों में दाखिला के लिए बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने कामन एंट्रेंस टेस्ट नहीं लिया। बारहवीं कक्षा के अंकों की मेरिट पर दाखिले हुए। पालीटेक्निक कॉलेजों में दाखिले भी मेरिट पर हुए। जम्मू विश्वविद्यालय भी पीजी में यही प्रक्रिया अपना रहा है।  


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