Kashmir Valley से श्रमिकों का भी निकलना शुरू, हालात चिंताजनक
श्रमिकों ने भी कश्मीर से निकलना शुरू कर दिया है। तीन दिन में 3200 से अधिक लोग कश्मीर से वापस आ चुके हैं। शनिवार 15 कश्मीर पंडित परिवार जम्मू पहुंचे। वहीं प्रशासन इस मसले पर खुलकर कुछ बोल नहीं रहा है लेकिन कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित जरूर है।
जागरण संवाददाता, जम्मू : कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या के बाद डरे सहमे कश्मीरी हिंदू और सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में घाटी छोड़ जम्मू पहुंच रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों ने भी कश्मीर से निकलना शुरू कर दिया है। बीते तीन दिन में 3200 से अधिक लोग कश्मीर से वापस आ चुके हैं। शनिवार 15 कश्मीर पंडित परिवार जम्मू पहुंचे। वहीं प्रशासन इस मसले पर खुलकर कुछ बोल नहीं रहा है, लेकिन कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित जरूर है।
नगरोटा स्थित जगटी कैंप के अलावा तलाब तिल्लो, बनतलाब, मुट्ठी आदि क्षेत्रों में पहुंचे पंडितोें का कहना है कि घाटी में अभी भी हजार्रों हिंदू और अन्य राज्यों के श्रमिक फंसे हुए हैं। उन्हें जम्मू आने के लिए बसें नहीं मिल रही। इनमें अधिकतर श्रमिक उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के हैं। कुछ श्रमिक रात को या फिर शाम को किसी तरह निजी बसों से जम्मू पहुंच रहे हैं। गत शुक्रवार को भी देर रात काफी संख्या में बिहार के श्रमिक कश्मीर से जम्मू पहुंचे। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के रविंद्र कुमार ने बताया कि वह श्रीनगर के वुलवर्ड रोड पर गर्मियों में गुब्बारे बेचने के लिए आता है, लेकिन चंद दिन में हालात इतने बिगड़े हैं कि कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं। वापस घर जा रहे हैं।
कुपवाड़ा में ईंट के भट्ठे पर काम करने वाले छत्तीसगढ़ के भिलाई से आया परिवार खुद को भाग्यशाली समझ रहा है। सूत्रों का कहना है कि बीते तीन दिन में अभी तक 1000 श्रमिक घाटी छोड़ चुके हैं कश्मीरी पंडितों और श्रमिकों को मिलाकर अभी तक 3200 लोग सुरक्षित जम्मू आए हैं। डरे सहमे जगटी पहुंचे पंडितों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत उत्तरी कश्मीर के मुथमुसू, बारामूला के वीरवांन, बड़गाम के शेखपोरा, अनंतनाग के मट्टन, बारामूला के गांदरबल स्थित तुलमुला में ट्रांजिट कैंपों में रह रहे पंडित जम्मू पहुंचे हैं। उप राज्यपाल प्रशासन ने भी पैकेज के तहत लगे मुलाजिमों को 10 दिनों की छुट्टी दी है। केवल जम्मू के जगटी विस्थापित शिविर में ही 175 परिवार पहुंचे हैं।