Jammu Kashmir में हथकरघा और हस्तशिल्प के बहुरे दिन, संरक्षण और प्रोत्साहण पर चल रहा काम
स्तकारों के आर्थिक-सामाजिक विकास के साथ साथ सदियों पुरानी कश्मीर की बेजोड़ दस्तकारी के संरक्षण और प्रोत्साहण के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर विभिन्न मोर्चाें पर काम शुरू कर दिया है।कश्मीर की दस्कारी भी पूरी दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : आतंकवाद और कोरोना महामारी की मार झेल रहे कश्मीर के दस्तकारों के सुनहरे दिन आ चुके हैं। दस्तकारों के आर्थिक-सामाजिक विकास के साथ साथ सदियों पुरानी कश्मीर की बेजोड़ दस्तकारी के संरक्षण और प्रोत्साहण के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर विभिन्न मोर्चाें पर काम शुरू कर दिया है। कारीगरों के सामाजिक-अार्थिक उत्थान से लेकर नए कारीगरों के प्रशिक्षण, बदलते परिवेश के मुताबिक डिजाइन आैर ई-कामर्स, हर स्तर पर कश्मीर की सदियों पुरानी अनूठी हस्तकला के संरक्षण और विकास की संभावनाओं का फायदा लिया जा रहा है।
कश्मीर घाटी प्राकृतिक सौंदर्य में अगर बेजोड़ है तो कश्मीर की दस्कारी भी पूरी दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है। कश्मीर में निर्मित शाल, लकड़ी का नक्काशीदार सामान और कालीन सदियों से दुनियाभर में निर्यात होता आ रहा है, लेकिन आतंकवाद के कारण इसे भी भारी नुकसान पहुंचा। कई पुराने कारीगरों ने काम छोड़ दिया तो नई पीढ़ी ने अपनाने से मना कर दिया। हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र में आर्थिक विकास और स्वरोजगार की संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से विभिन्न योजनाएं बीते साल शुरू की और उनका लाभ नजर आने लगा है।
जम्मू कश्मीर में लगभग पांच लाख लोग हस्तशिल्प आैर हथकरघा क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार कमाते हैं। पूरे प्रदेश में 179 क्राफ्ट क्लस्टर बनाए गए हैं। हस्तशिल्प विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक, पर्यटन के बाद हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग ही पर्यटन के बाद लोगों को प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजगार देने वाला क्षेत्र है। हस्तशिल्पियों के कल्याण और उनकी आर्थिक मदद के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ही आर्टिजन क्रेडिट कार्ड योजना को लागू किया गया है। करीब दो माह पहले कारखानदार योजना शुरू की गई है। इसके तहत नए कारीगरों के हुनर को निखारने के लिए उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा उनके बनाए सामान की बिक्री के लिए सहायता भी प्रदान की जाती है।
निदेशक उद्योग एवं वाणिज्य विभाग डा. महमूद अहमद शाह ने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है। 1990-2000 के दौरान जब कश्मीर में आतंकवाद के कारण लगभग सभी व्यापारिक गतिविधियां ठप नजर आती थी, उस समय भी इसी क्षेत्र के जरिए जम्मू कश्मीर ने विदेशी मुद्रा कमाते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को संभालने में पूरा सहयोग किया था। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्पियों और बुनकरों की बेहतरी के लिए ही हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग को पुनर्गठित किया गया है।
उन्होंने बताया कि परंपरागत दस्तकारी का सामान बनाने वाले सभी शिल्पियों और बुनकरों को उनके उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्रदान किया जा रहा है। इससे दस्तकारों को आर्थिक लाभ हो रहा है और नए कारीगर भी प्रोत्साहित हो रहे हैं। जम्मू कश्मीर उद्यमशीलता विकास संस्थान की मदद से भी नवोदित हस्तशिल्पियों और बुनकरों को अपने स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण और वित्तीय लाभ भी प्रदान किए जा रहे हैं। डा. महमूद अहमद शाह ने कहा कि हमने सोजनी, पेपर माछी, चेन स्टिच, क्रिवल, कालीन बुनाई समेत कश्मीर की दस्तकारी की विभिन्न विधाओं में माहिर कारीगरों केा सम्मानित करने के लिए हमने स्टेड एवार्ड भी शुरू किए हैं। इसी साल 17 अगस्त को यह सम्मान प्रदान किए गए हैं।
पश्मीना को जीआई टैगिंग का भी फायदा हुआ : पशमीना शाल की बुनाई में शामिल गौहर वानी ने कहा कि हम पहले परंपरागत डिजाइन ही तैयार करते थे, लेकिन अब यहां नेशनल इंस्टीच्यूट आफ डिजाइन एंड नेशनल इंस्टीच्यूट आफ फैशन टैक्नाेलाजी के विशेषर भी क्राफ्ट डिजाइन इंस्टीच्यूट में आकर हमारी मदद करते हैं। हमें बाजार की मांग के अनुरूप नए डिजाइन तैयार करने में सहयोग किया जा रहा है। इससे हमारे उत्पादों के लिए बाजार लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा पश्मीना को जीआई टैगिंग का भी फायदा हुआ है।
लोकल फार वोकल अभियान से प्रदेश की बदल सकती है तकदीर : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्रत्येक जिले में दस्तकारी से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है। कश्मीर हाट की तर्ज पर जम्मू में में जम्मू हाट की स्थापना की गई है। कश्मीर में एक क्राफ्ट मेला जुलाई में आयोजित किया गया और ऐसा ही एक मेला अगले चंद दिनों में जम्मू में भी आयोजित करने की संभावना है। उपराज्यपाल कई बार कह चुके हैं कि लोकल फार वोकल अभियान में हस्तशिल्प आैर हथकरघा क्षेत्र पूरे प्रदेश की तकदीर बदल सकता है।
दस्तकारों की योजनाएं अब सरकारी फाइलों से बाहर आने लगी हैं : नमदा बुनाई को एक नया आयाम देने वाली आरिफा जान ने कहा कि पहले यहां दस्तकारों की योजनाएं सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार अब तो कारीगरों को कच्चा माल उपलब्ध कराने से लेकर उनके बनाए सामान की बिक्री के लिए भी पूरी मदद कर रही है। दस्तकारों को बैंकों से कर्ज मिल रहा है औार वह सभी सब्सिडी के साथ।
कश्मीरी दस्तकारी के नाम पर बिकने वाले नकली सामान के खिलाफ भी अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा जम्मू कश्मीर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित ब्रांड का स्थानीय कारीगरों के साथ समझौता करा, उनके लिए सामान बनवा रहा है। इससे जहां कश्मीरी दस्तकारी का वैश्विक बाजार लगातार बड़ रहा है, वहीं कारिगरों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है। फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे आनलाईन मंचो पर भी विशुद्ध कश्मीरी दस्तकारी का सामान उपलब्ध है।