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पश्चिमी पाक रिफ्यूजियों के मुआवजे की प्रक्रिया सरल

जम्मू कश्मीर ने पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को राहत देते हुए उनके लिए मुआवजे की प्रक्रिया सरल बना दी है। मुआवजे के हकदार की मृत्यु पर उसके वारिसों को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के बजाय संबंधित तहसीलदार द्वारा जारी कानूनी वारिस प्रमाणपत्र ही पेश करना होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 09:42 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 09:42 AM (IST)
पश्चिमी पाक रिफ्यूजियों के मुआवजे की प्रक्रिया सरल
पश्चिमी पाक रिफ्यूजियों के मुआवजे की प्रक्रिया सरल

राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर ने पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों को राहत देते हुए उनके लिए मुआवजे की प्रक्रिया सरल बना दी है। मुआवजे के हकदार की मृत्यु पर उसके वारिसों को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के बजाय संबंधित तहसीलदार द्वारा जारी कानूनी वारिस प्रमाणपत्र ही पेश करना होगा। यह फैसला उपराज्यपाल जीसी मुर्मु की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि गत बुधवार को उपराज्यपाल की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद की बैठक हुई थी। इसमें पश्चिमी पाक से आए रिफ्यूजियों के पुनर्वास संबंधी मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई।

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उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई प्रशासकीय परिषद ने संबंधित नियमों को हटाने का फैसला करते हुए उसके स्थान पर कानूनी वारिस प्रमाणपत्र की व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। प्रमाणपत्र के साथ आवेदक को जम्मू कश्मीर में 1951 से लेकर 1984 तक संसदीय चुनावों की किसी मतदाता सूची की एक प्रति भी सलंग्न करनी होगी। प्रशासकीय परिषद ने मंडलायुक्त जम्मू को इस येजना पर तेजी से कार्यान्वित करने का निर्देश देते हुए 30 मई के या उससे पहले ही एकबार मुआवजा पुनर्वास राशि देने की प्रक्रिया को निपटाने के लिए कहा है। मंडलायुक्त जम्मू योजना के लिए नोडल अधिकारी हैं। यह आती थी दिक्कतें : पश्चिमी पाक रिफ्यूजी वे लोग हैं जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय जम्मू कश्मीर में आए थे,लेकिन जम्मू कश्मीर की विशेष संवैधानिकि व्यवस्था के चलते जम्मू कश्मीर में स्थायी नागरिकता से पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने तक वंचित रहे। इन लोगों के पुनर्वास के लिए प्रति परिवार एक बार साढ़े पांच लाख मुआवजा केंद्र ने घोषित किया है। पुनर्वास पैकेज के तहत मुआवजे के लाभार्थी असली हकदार की मृत्यु हो चुकी है तो उसके परिजनों को मुआवजा प्राप्त करने के लिए उसका उत्तराधिकारी होने का एक प्रमाणपत्र देना पड़ता था। इस प्रमाणपत्र को तैयार करान अत्यंत मुश्किल था। इससे संबधित लोगों को बहुत सी दिक्कतें आ रही थी। हस्तशिल्प व हथकरघा विकास विभाग का होगा विलय

राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य सरकार ने हस्तशिल्प व हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हस्तशिल्प, हथकरघा विकास विभागों और निदेशालयों का विलय कर एक विभाग बनाने का फैसला किया है। दो विभागों को मिलाकर बनाए गए एक विभाग का नाम जम्मू व कश्मीर हस्तशिल्प, हथकरघा विभाग होगा।

इसके साथ जम्मू कश्मीर हैंडीक्राफ्ट कॉरपोरेशन व हैंडलूम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का हैंडीक्राफ्ट्स मार्केटिग कॉरपोरेशन में विलय कर दिया गया है।

यह अहम फैसले वीरवार को जम्मू में उपराज्यपाल जीसी मुर्मू की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिए गए। दो विभागों का विलय कर बनाए जा रहे एक विभाग में जम्मू व कश्मीर संभाग के लिए अलग-अलग निदेशक होंगे। कश्मीर के अनंतनाग, बडगाम, बारामुला, बांडीपोरा और जम्मू संभाग के कठुआ, ऊधमपुर, राजौरी व डोडा जिलों के लिए आठ क्षेत्रीय उप निदेशक होंगे।

प्रशासनिक परिषद ने नए निगम जेके इंडस्ट्रीज के शोरूम के हस्तांतरण को भी मंजूरी दी है। इससे कामकाज में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता आएगा। इसके अलावा दोनों निगमों के कर्मचारियों के विलय और समावेश का तरीका तय करने के लिए उद्योग व वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक सचिव की अध्यक्षता में कमेटी के गठन को भी मंजूरी दी गई।


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