जम्मू-कश्मीर: मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता, फसलें खराब होने का सताने लगा डर
मौसम के बार-बार बदल रहे मिजाज ने सीमांत किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। किसानों को अपनी रबी फसलें मौसम की मार से खराब होने का खतरा सताने लगा है। लगातार पांच दिनों तक जारी रही बारिश ने पूरे सीमांत क्षेत्र को जलमग्न बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
रामगढ़, संवाद सहयोगी। मौसम के बार-बार बदल रहे मिजाज ने सीमांत किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। किसानों को अपनी रबी फसलें मौसम की मार से खराब होने का खतरा सताने लगा है। अभी इसी महीने के शुरुआती दिनों में लगातार पांच दिनों तक जारी रही बारिश ने पूरे सीमांत क्षेत्र को जलमग्न बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बारिश थमने के बाद घनी धुंध, कोहरे व कड़ाके की ठंड ने जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। अभी शनिवार सुबह फिर शुरू हुई बारिश ने रही सही कसर पूरा करने का काम कर दिया। अभी भी मौसम विशेषज्ञों द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमान में सोमवार तक बारिश जारी रहने का अंदेशा जताया है। ऐसे में अगर तीन दिन फिर से बारिश जारी रही तो पहले से पानी के जमावड़े से सीमांत क्षेत्र के रोई व सैलाबी क्षेत्रों में बीजी गई गेहूं व मवेशी चारा खराब होने से नहीं बचेगा।
उधर मैदानी क्षेत्रों में भी अधिक बारिश से खेतों में इतना पानी समा चुका है जिसे सामान्य होने में अभी कई हफ्ते लगेंगे। ऐसे में वहां पर बीजी गई गेहूं व अंकुरित हुई फसल, मौसमी सब्जियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बन रहा है। रबी सीजन पर पड़ रही मौसम की इस मार से चिंतित किसान रमेश कुमार, काकू राम, कृष्ण चंद, बोध राज, जनक राज, मंगल राम, बहादुर सिंह, रतन लाल, काली दास अन्य ने कहा कि बीते खरीफ सीजन को भी मौसम की मार ने पूरी तरह चौपट कर दिया। अब रबी सीजन पर भी मौसम कहर बनकर टूट रहा है।
ऐसे में किसान कैसे अपनी फसलों को सुरक्षित रखें जिससे उनकी मेहनत व किया गया खर्च बर्बाद न हो। उन्होंने कहा कि लगातार फसली सीजन मौसम की मार से बर्बाद हो रहे हैं और किसानों को मुआवजे के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिले हैं। अभी अगर वर्तमान रबी सीजन भी मौसम की मार से बर्बाद हो गया तो उसका मुआवजा कब और कितना मिलेगा जिससे किसानों के परिवारों पर आर्थिक संकट हावी न हो।