मौसम के बदले मिजाज, जून की बर्फबारी के बीच पर्यटकों ने ली सेल्फी
मौसम मिजाज ऐसा बदला कि पर्यटकों के चेहरे खिल उठे। गर्म प्रदेशों से आने वाले पर्यटक हैरान हैं कि उन्हें मध्य जून में भी यहां बर्फबारी देखने को मिली है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। मौसम मिजाज ऐसा बदला कि पर्यटकों के चेहरे खिल उठे। सोनमर्ग समेत वादी के उच्च पर्वतीय इलाकों में बुधवार की सुबह हुई बर्फबारी का पर्यटकों ने खूब मजा लिया। गर्म प्रदेशों से आने वाले पर्यटक हैरान हैं कि उन्हें मध्य जून में भी यहां बर्फबारी देखने को मिली है।
गुलमर्ग के ऊपरी हिस्सों के अलावा सोनमर्ग, जोजिला, द्रास, करगिल व गुरेज में बुधवार को बर्फबारी हुई है। देश-विदेश से आए सैलानियों ने बर्फबारी के बीच सेल्फी भी ली और इसके वीडियो बनाए। सोशल मीडिया पर ये वीडियो और तस्वीरें खूब वायरल हुई हैं।
सोनमर्ग में हिमपात की खबर मिलते ही श्रीनगर से अपने परिजनों संग पहुंचे आसिफ ने कहा कि ईद पर हमारे कुछ रिश्तेदार दिल्ली से आए थे। वह यहीं पर हैं, जब सुबह पता चला कि बर्फ गिर रही है तो सभी ने कहा कि चलो सोनमर्ग। यहां आकर खूब मजा आ रहा है। जहां तक मुझे याद है कि जुलाई 2008 में भी एक दिन यहां सुबह हल्का हिमपात हुआ था। उस समय मैं यहां किसी काम से आया हुआ था। आसिफ के पास खड़े उसके दोस्त निसार व राजेंद्र ने कहा कि हम यहां आकर बहुत खुश हैं। यह हमारी ङ्क्षजदगी का सबसे यादगार पल है, जून में बर्फबारी के हम गवाह हैं। दिल्ली में जहां हम रहते हैं, वहां सुबह सात बजे ही हम पसीने से तर हो जाते हैं और यहां आकर जैकेट पहन रहे हैं।
राजस्थान से आए एक पर्यटक राजेश कुमार ने कहा कि मेरे लिए तो जून में बर्फ गिरना कुदरत का करिश्मा ही है। मेरे बच्चे बहुत हैरान हैं। वह कहते थे कि बर्फ देखनी है, उन्होंने आज पहली बार बर्फ गिरते देखी है। हम यहां अब कुछ और दिन रुकने का कार्यक्रम बना रहे हैं।
एक दशक पहले भी हुई थी जून में बर्फबारी
श्रीनगर स्थित मौसम विभाग केंद्र के निदेशक सोनम लोटस ने कहा कि जून में वादी के उच्च पर्वतीय इलाकों में या फिर लद्दाख के ऊपरी हिस्सों में हिमपात कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी हो चुका है। जंस्कार में हमारा कोई केंद्र नहीं है, इसलिए वहां पहले कभी जून में बर्फ गिरी है, इसका रिकार्ड नहीं है। कश्मीर में एक दशक पहले जोजिला और बालटाल के इलाके में हल्का हिमपात हुआ था। जब भी वादी में कुछ दिनों तक लगातार बारिश होती है और तापमान में गिरावट आती है, तो हिमपात की संभावना बढ़ जाती है।
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