Jammu Kashmir: दो कमरों का कच्चा मकान और बिजली बिल 10 करोड़ का
यही नहीं दूसरी गलती यह भी है कि बिल डिस्ट्रीब्यूटर ने भी बिल को वेरीफाइ किए बिना ही उपभोक्ता को बिल थमा दिया।
राजौरी, जेएनएन। उमस भरी गर्मी के बीच निरंतर बढ़ते तापमान में बिजली की अघोषित कटौती ने वैसे ही लोगों का जीना दुर्भर किया हुआ है। लोग प्रशासन व पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड के समक्ष नियमित सप्लाई की मांग भी कर रहे हैं। पसीने निकाल रही इस गर्मी में नियमित बिजली सप्लाई न मिल पाने के कारण संभाग की जलापूर्ति भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में इन परेशानियों के बीच बिजली निगम द्वारा उपभोक्ताओं को जब बिल थमाया जाता है तो उस बिल को देखकर भी कई बार बिजली का झटका लगता है। ऐसा ही एक मामला जिला पुंछ की मेंढर सब डिवीजन के अधीन आने वाले गोरियां शेखलियां में देखने को मिला है।
क्या है मामला : जिला पुंछ की मेंढर तहसील के सीमांत गांव गोरियां शेखलियां का रहने वाला मोहम्मद हनीफ पुत्र फिराेज दीन पेशे से किसान है। पहाड़ी इलाके में कच्चे मकान में रहने वाले हनीफ के घर आए बिजली कर्मचारियों ने जब उसे 10 करोड़ रूपये का बिल थमाया तो उसके होश फाख्ता हो गए। बिल देने आए कर्मचारियों से जब उन्होंने इस बारे में पूछा ताे उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि उनका काम बिल पहुंचाना है। उससे संबंधित कोई परेशानी है तो अधिकारियों से मिलो। हनीफ को यह बात समझ नहीं आ रही थी कि पिछले महीने विभाग ने जो उसे 550 रूपये का बिल भेजा था, वह कामकाज न होने की वजह से उसका भुगतान भी नहीं कर पाए थे। ऐसे में मई महीने का उन्हें सीधा 10 करोड़ रूपये का बिल भेज विभाग ने क्या जोड़-तोड़ किया है।
सरपंच से लेकर तहसीलदार कार्यालय तक पहुंचाई बात: बिजली निगम से करीब 10 करोड़ का बिल पाकर हनीफ की नींद उड़ चुकी थी। वह हाथों में बिल लेकर सबसे अपले अपने गांव के सरपंच के पास पहुंचे। गांव में यह बात आग की तरफ फैल गई और देखते-देखते बिजली विभाग द्वारा गरीब किसान हनीफ को भेजा गया 10 करोड़ रूपये का यह बिजली बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हनीफ सरपंच के कहने पर तहसीलदार मेंढर डॉ विक्रम के पास पहुंचे। उन्होंने इस बात का कड़ा ंसंज्ञान लेते हुए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मकबूल से बात की और मामले को तुरंत हल करने के निर्देश दिए।
इनका यह है कहना: तहसीलदार के हस्तक्षेप के बाद जब हनीफ मेंढर सब डिवीजन के असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मकबूल के पास पहुंचे तो उन्होंने जांच करने पर पाया कि यह कंप्यूटर टाइपिंग के दौरान हुआ है। रीडिंग डालते समय कंप्यूटर आपरेटर ने रीडिंग गलत डाली थी जिसकी वजह से इतना अधिक बिल बन गया। यही नहीं दूसरी गलती यह भी है कि बिल डिस्ट्रीब्यूटर ने भी बिल को वेरीफाइ किए बिना ही उपभोक्ता को बिल थमा दिया। उन्होंने संबंधित जूनियर इंजीनियर को रीडिंग सही कर उपभोक्ता को नया बिल जारी करने के निर्देश दे दिए हैं।