किसान सलाहकार बोर्ड के वाइस चेयरमैन ने उपराज्यपाल को बताई अखनूर की समस्याएं
उनका कहना था कि इन अस्पतालों में लगाई गई विभिन्न टेस्ट मशीनों को चलाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति न होने के कारण यह मशीनें पड़ी-पड़ी धूल फांक रही हैं तथा इन अस्पतालों में सायं चार बजे के बाद गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करना तक संभव नहीं हो पाता।
ज्यौड़ियां, संवाद सहयोगी : किसान सलाहकार बोर्ड के पूर्व वाइस चेयरमैन दलजीत सिंह चिब ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भेंट कर उन्हें अखनूर उपमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की समस्याओं पर चर्चा की। चर्चा के दौरान उपमंडल में स्वास्थ्य सेवाओं की चरमराई व्यवस्था का उल्लेख करते हुए चिब ने कहा कि अखनूर, चौकी चौरा, मेरा मांदरेयां, खौड़, ज्यौड़ियां, पलांवाला व ढांगर स्थित उपजिला अस्पताल, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी के चलते स्थानीय लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उनका कहना था कि इन स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात किए गए डॉक्टरों द्वारा अपनी सुविधानुसार अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में अटैचमेंट करवा लिए जाने के चलते क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। उनका यह भी कहना था कि इन अस्पतालों में लगाई गई विभिन्न टेस्ट मशीनों को चलाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति न होने के कारण यह मशीनें पड़ी-पड़ी धूल फांक रही हैं तथा इन अस्पतालों में सायं चार बजे के बाद गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करना तक संभव नहीं हो पाता।
वही इंद्री पत्तन एवं परगवाल के बीच चिनाब दरिया पर निर्माणाधीन पुल के मुद्दे को उठाते हुए चिब ने राज्यपाल को बताया कि सीमावर्ती परगवाल क्षेत्र के लोगों की दशकों से चली आ रही मांग के मद्देनजर अगस्त 2018 में 206 करोड़ की लागत इस पुल का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था जिसे फरवरी 2021 तक बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन गत डेढ़ साल से भी अधिक अभी से इस पुल का निर्माण कार्य ठप पड़ा होने के चलते स्थानीय लोगों की आशाएं एवं अपेक्षाएं चिनाब के पानी में बही जा रही हैं।
वहीं तहसील ज्यौड़ियां के रख ढोक गांव के लोगों की समस्या को उजागर करते हुए चिब ने कहा कि इस गांव के 90 प्रतिशत लोग वर्ष 1947, 1965 व 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के देवा-बटाला एवं छंब क्षेत्रों से विस्थापित होने के उपरांत इस गांव में बसाए गए थे। उनका कहना था कि 50 वर्ष की लंबी अवधि भी जाने के बावजूद इन लोगों को अभी तक इनके घरों व जमीनों के मालिकाना अधिकार उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं जिसके चलते यह गरीब लोग प्रधानमंत्री आवास योजना समेत अन्य कई प्रकार की केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। उपराज्यपाल ने चिब द्वारा उठाएंगे विभिन्न विषयों को धैर्यपूर्वक सुनने के बाद उन्हें आश्वासन दिया कि इस बारे यथाशीघ्र कोई कार्रवाई की जाएगी।