Kashmiri Pandits : पहले कश्मीरी पंडितों से बातचीत तो करे सरकार, सम्मान के साथ घाटी वापसी चाहते हैं पंडित
केंद्र सरकार को ऐसे कई कदम उठाने चाहिए जिससे कश्मीरी पंडितों को अहसास हो कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है। जैसे घाटी में मंदिरों के सरंक्षण कड़े कदम उठाएं जाएं। कश्मीर वापिस जाना चाहता है। यह वापसी उसी के हिसाब से होगी।
जम्मू, जागरण संवाददाता: घाटी वापसी के लिए केंद्र सरकार कश्मीरी पंडित नेताओं से बातचीत करे, उनके दिल का हाल समझे। तभी तो घर वापसी का अगला कदम आगे बढ़ पाएगा। बातचीत के लिए केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल ही नही हो पाने से कश्मीरी पंडित भी निराश हैं।
उनका कहना है कि बिना बातचीत घर वापसी कैसे संभव होगी। जिन लोगों ने घाटी जाना है, किन हालातों में जाना है, उनसे तो बातचीत होनी चाहिए। यह सवाल कश्मीरी पंडितों के दिलों में गूंज रहे हैं। पनुन कश्मीर के प्रधान वीरेंद्र रैना का कहना है कि कश्मीरी पंडित सम्मान के साथ घाटी वापसी चाहता है।
केंद्र सरकार को ऐसे कई कदम उठाने चाहिए जिससे कश्मीरी पंडितों को अहसास हो कि सरकार उनके लिए कुछ कर रही है। जैसे घाटी में मंदिरों के सरंक्षण कड़े कदम उठाएं जाएं। वहीं दूसरी ओर जिन लोगों ने जाना है, उनसे कोई बातचीत तो हो। लेकिन इस दिशा में कदम नही उठ रहे। कश्मीरी पंडित अपनी धरती, अपनी संस्कृति से जुड़ना चाहता है। कश्मीर वापिस जाना चाहता है। यह वापसी उसी के हिसाब से होगी।
सरकार अपनी मनमर्जी थोप नही सकती। इसलिए पहले सरकार को कश्मीरी पंडितों से बात करनी होगी, उसके बाद भी कोई ब्लू प्रिंट बनाया जाए कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी किस तरह से होगी। रैना ने कहा कि प्रधानमंत्री पैकेज के तहत 6000 कश्मीरी पंडित युवाओं को घाटी में नौकरियां मिल रही हैं। इन युवाओं के घाटी जाने पर इसे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी से नही जोड़ा जा सकता। कश्मीरी पंडित घाटी में अलग से सुरक्षित कालोनियों में रहने का इच्छुक है ।
यह कालोनियां कहां बननी चाहिए, किस तरह से बननी चाहिए, इस पर फैसला तो कश्मीरी पंडित प्रतिनिधियों से बातचीत से ही निकल पाएगी। वीरेंद्र रैना ने कहा कि केंद्र सरकार अब ज्यादा समय बर्बाद न करें और सीधे कश्मीरी पंडित प्रतिनिधियों से बातचीत करे।