Jammu Kashmir: कभी जल संकट से परेशान वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड आज देश भर में बन गया जल संरक्षण की मिसाल
नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर दिन दो से तीन हजार लीटर पानी की जरूरत रहती है। इसमें से साढ़े छह सौ लीटर के करीब पानी को रि-साइकिल किया जाता है। इस पानी को बागवानी शौचालयों व सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: लाखों की संख्या में हर साल दर्शनों के लिए आने के कारण कभी श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। यात्रा मार्ग से लेकर भवन तक में श्रद्धालु पानी की समस्या से परेशान रहते थे। लेकिन उसी श्राइन बोर्ड ने अपनी दूरदर्शी सोच से यात्रा के आधार शिविर से लेकर भवन तक की तस्वीर ही बदल दी। बोर्ड ने न सिर्फ उपलब्ध पानी का बेहतर इस्तेमाल किया बल्कि वर्षा जल संचयन से लाखों लीटर पानी का सरंक्षण कर इसका इस्तेमाल कर रहा है। बोर्ड ने ताराकोट मार्ग से लेकर अपनी कई इमारतों तक में वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की है।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन वर्ष 1986 में हुआ था। उस वर्ष 13.96 लाख श्रद्धालु माता के दरबार में दर्शनों के लिए पहुंचे। पानी की समस्या नहीं थी। लेकिन धीरे-णीरे यात्रा बढ़ती गई और एक करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गई। अब भी औसतन अस्सी लाख श्रद्धालु हर वर्ष माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। इस कारण पानी की मांग भी बढ़ती गई। कई बार श्रद्धालुओं ने भी पानी की कमी की बात की। लेकिन पिछले कुछ वर्ष में श्राइन बोर्ड ने इस क्षेत्र में अहम किया। श्रद्धालुओं को पेयजल की समस्या न हो, इसके लिए यात्रा मार्ग पर 125 वाटर प्वाइंट और पचास वाटर कूल लगाए गए हैं। पानी जाया न हो, इसके लिए वाटर एटीएम हैं।
श्राइन बोर्ड की हर इमारत में है जल संचयन की व्यवस्था: यही नहीं श्राइन बोर्ड ने अपनी इमारतों, अस्पताल, विश्वविद्यालय और स्टेडियम में भी वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की है। सिर्फ श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ही पांच लाख लीटर वर्षा जल संचयन और यात्र मार्ग पर बनाए गए भवनों में दो लाख लीटर से अधिक संचयन किया जाता है। वहीं, इस्तेमाल पानी को रि-साइकिल कर इसे बागवानी, शौचालयों और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बोर्ड अणिकारियों के अनुसार बोर्ड की इमारतों में आठ से दस लाख लीटर के बीच वर्षा जल संचयन की व्यवस्था है। नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हर दिन दो से तीन हजार लीटर पानी की जरूरत रहती है। इसमें से साढ़े छह सौ लीटर के करीब पानी को रि-साइकिल किया जाता है। इस पानी को बागवानी, शौचालयों व सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पानी को रि-साइकिल करकिया जाता है इस्तेमाल: अस्पताल में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से पानी को रि-साइकिल कर इस्तेमाल किया जाता है। एसटीपी की साढ़े पांच लाख लीटर की क्षमता है। इसके अलावा बोर्ड द्वारा तैयार स्टेडियम में एक लाख लीटर तथा यात्रा मार्ग पर बनाई गई भवनों में दो लाख लीटर से अधिक पानी की व्यवस्था है। सभी इमारतों में वर्षा जल संचयन की सुविधा है। बोर्ड ने पिछले दो से तीन वर्ष में यात्रा मार्ग पर पानी रहित शौचालय बनाए हैं। इनसे भी कई हजार लीटर पानी की बचत हो रही हे। इससे गंदगी भी कम हो रही है। दिन में सिर्फ एक बार ही इन शौचालयों को साफ किया जाता है।
जल संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक अपना रहा श्राइन बोर्ड : श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिफर रमेश कुमार का कहना है कि श्राइन बोर्ड ने जल संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक अपनाई हैं। बोर्ड ने इसके लिए कई जगहों पर पानी के तालाब बनाए हैं। पानी के एएटीएम लगाए हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं जह और वहां के पानी को शौचालयों, बागवानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पानी रहित शौचालय भी बनाए गए हैं। अपनी इमारतों में वर्षा जल संचयन की सुविधा बनाई गई है। यही नहीं ताराकोट मार्ग पर भी वर्षा जल संचयन की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि भवन से अद्धकुवारी तक फायर हाइड्रेड स्थापित किए गए हैं ताकि गर्मियों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन इसमें भी रिसाइकिल पानी का ही इस्तेमाल किया जाता है। बोर्ड ने हट स्टेशन, भवन, हिमकोटी, और अद्धकुंवारी में पचास-पचास हजार गैलेन पानी के टैंक बनाए हैं। ऐसे इस पानी को बागवानी,मार्ग को साफ करने और निर्माण कायों पर इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं कायों के आधार पर सरकार ने श्राइन बोर्ड को जल संरक्षण के लिए पुरस्कार दिया।