भय और आक्रोश के बीच दम तोड़ रहीं जिंदगियां, अज्ञात बीमारी ने 10 बच्चों की ले ली है जान
एक बच्चा अब पीजीआइ चंडीगढ़ में है। बच्चे की किडनी खराब हो गई हैं। डायलिसिस हुआ और अब कोमा में है। समझ नहीं आ रहा कि क्या हो गया उसके बच्चे के साथ।
जम्मू, रोहित जंडियाल। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की एक ऐतिहसिक तहसील रामनगर में इन दिनों मौत के भय का माहौल है तो लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश भी। इसका कारण तहसील के 15 गांवों के 10 बच्चे अज्ञात बीमारी से दम तोड़ चुके हैं, जबकि नौ से दस बच्चे विभिन्न प्रतिष्ठित अस्पतालों में ङ्क्षजदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। उनके परिजन इन अस्पतालों की इमरजेंसी, आइसीयू, वार्डों में भर्ती बेबस बच्चों को खामोश नजरों से जिंदगी की आस लगाए देख रहे हैं। वहीं रविवार को तीन और बच्चों में इसी तरह के लक्षण देखे जाने पर उन्हें रामनगर से ऊधमपुर में भेज दिया गया।
इस समय अधिकारिक स्तर पर पीजीआइ चंडीगढ़ में कटवालत गांव के पांच साल का आशीष थापा और कथील गंजू गांव का तीन साल का तनवीर ङ्क्षसह भर्ती हैं। हालांकि, गैर अधिकारिक तौर पर इन बच्चों की संख्या तीन से चार के बीच है। आशीष कोमा में है। तनवीर की हालत में भी कोई सुधार नहीं है। आशीष के पिता सुभाष ने बताया कि उनके बच्चे को बुखार हुआ तो दुकान से दवाई खरीदी। इसके बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। वह ऊधमपुर में एक निजी डाक्टर के पास गए। इसके बाद जम्मू के एसएमजीएस अस्पताल और अब पीजीआइ चंडीगढ़ में है। बच्चे की किडनी खराब हो गई हैं। डायलिसिस हुआ और अब कोमा में है। समझ नहीं आ रहा कि क्या हो गया उसके बच्चे के साथ। अब तो वह बिल्कुल भी बोल नहीं रहा है। उसने बताया कि अस्पताल में रामनगर के तीन से चार बच्चे हैं और सभी की हालत गंभीर है।
पीजीआइ में ही भर्ती कथील गंजू गांव के तनवीर के दादा बद्री ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं ही नहीं हैं। बच्चे को बुखार हो गया और दुकान से दवाई ली, मगर ठीक नहीं हुआ। पहले रामनगर, फिर उधमपुर और जम्मू में इलाज करवाया। बाद में उसे पीजीआइ ले गए। मगर उसकी हालत अभी भी ठीक नहीं है। उम्मीद है कि उनका बच्चा पहले की तरह ही घर में ठीक होकर आ जाएगा।
नौजी, रामनगर का रहने वाला सवा साल का आदव शर्मा का हालत अभी स्थिर बनी हुई है। वह प्रतिष्ठित अस्पताल डीएमसी में भर्ती है। उसके पिता जोगेंद्र ने भी वही दास्तां सुनाई जो कि अन्य परिजनों की है। जम्मू में श्री महाराजा गुलाब ङ्क्षसह (एसएमजीएस) अस्पताल शालामार से पहले पीजीआइ जाने की सोची लेकिन हालत खराब होते देख उसे डीएमसी में ले आए। इसी अस्पताल में सलां गांव का तीन साल का प्रणव भी भर्ती है। जम्मू के सबसे पुराने एसएमजीएस अस्पताल में एक साल का नेगरू और सवा साल का पवन कुमार भर्ती हैं। इन दोनों के परिजन भी अस्पताल के बाहर बेबस होकर खड़े हैं।
एक भी बाल रोग विशेषज्ञ नहीं
जम्मू से मात्र सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामनगर में कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर बने हुए करीब साढ़े तीन दशक हो गए हैं। इस अस्पताल पर एक लाख से अधिक लोग इलाज के लिए निर्भर हैं लेकिन यहां पर एक बाल रोग विशेषज्ञ तक नहीं है। किसी का बच्चा बीमार हो जाता है तो उसे या तो जिला अस्पताल ऊधमपुर में जाना पड़ता है या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करवाना पड़ता है। बच्चों की ङ्क्षजदगी दांव पर लगी रहती है।
लोगों का गुस्सा फूटा
स्वास्थ्य विभाग की टीम जब रामनगर के दौरे पर पहुंची तो वहां के लोगों का गुस्सा टीम पर फूट गया। सिटीजन काउंसिल के चेयरमैन सुभाष कुडियार और काउंसलर संजीव जंडियाल ने टीम पर रामनगर में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध न करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यहां पर डॉक्टरों की नियुक्ति ही नहीं की जाती है। अगर होती भी है तो वह ज्वाइन नहीं करता। इतना पुराना अस्पताल होने के बावजूद यहां पर कोई भी सुविधा नहीं है। इस पर टीम के सदस्यों ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका मुद्दों को उच्चाधिकारियों के समक्ष उठाया जाएगा।
केंद्रीय टीम आएगी जांच करने
बीमारी का पता लगाने के लिए केंद्र से विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम सोमवार या मंगलवार को रामनगर में पहुंच रही है। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की बच्चों की मौत के मामले की जांच में सहयोग करेगी। अपना काम पूरा करने के बाद केंद्रीय टीम डायेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेस को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। टीम के सभी सदस्यों को शनिवार को ही रिलीव कर दिया गया है।