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Union Territory Ladakh: जहरीले धुएं को खत्म कर पर्यावरण बचाने की लड़ाई लड़ रहा लद्दाख

कमेटी में लद्दाख में पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेवारी संभालने सभी अधिकारियों को शामिल कर उन्हें जवाबदेह बनाया गया है। कमेटी छह महीनों के अंदर यह खाका पेश करेगी कि लद्दाख में प्रदूषण को किस तरह से खत्म करना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 10:17 AM (IST)
Union Territory Ladakh: जहरीले धुएं को खत्म कर पर्यावरण बचाने की लड़ाई लड़ रहा लद्दाख
लद्दाख में एक मैगावाट का जियाे थर्मल प्रोजेक्ट शुरू करने की दिशा में भी काम हो रहा है।

जम्मू, विवेक सिंह: चांद की धरती कहे जाने वाले केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में जहरीले धुएं को खत्म कर पर्यावरण को बचाने की लड़ाई लड़ी जा रही है। लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाने के लिए जारी मुहिम में साैर उर्जा एक कारगर हथियार होगी।

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पहले ही लद्दाख के पर्यवरण में आक्सीजन की कमी है, उस पर हवा में प्रदूषण का जहर विश्व के खूबसूरत पर्यटक स्थल में अपने वाले पर्यटकों व स्थानीय निवासियों के लिए मुश्किल बन सकता है। लद्दाख के दुर्गम इलाकों में अभी भी डीजल के जेनरेशन सेट से बिजली पैदा करने से कार्बन उत्सर्जन होता है। इसके साथ सामान ढ़ाने वाले सार्वजनिक वाहन भी लद्दाख की हवा को दूषित करते हैं। क्षेत्र में सेना दो देशों के साथ लगती सरहदों की रक्षा कर रही हैं। इसके साथ पर्यटकों की संख्या में वृद्धि भी प्रदूषण की चुनौती को बढ़ा रही है।

ऐसे हालात में इस समय लद्दाख में सौर उर्जा से साफ बिजली पैदा करने की दिशा में अभियान ने जोर पकड़ लिया है। इस समय लेह में सौर उर्जा, जियो थर्मल एनजी से बिजली पैदा करने के दो प्रोजेक्टों बनाने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने के साथ आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है। लद्दाख को कार्बन रहित बनाने की मुहिम को तेजी देने के लिए लेह में 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया ने लद्दाख प्रशासन के साथ मिलकर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस समय इस प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार करने की दिशा में काम हो रहा है। इसके साथ एक मैगावाट का जियाे थर्मल प्रोजेक्ट शुरू करने की दिशा में भी काम हो रहा है।

लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लेह में प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्रवाई नही हुई। लेह में प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड तो बना था, लेकिन कश्मीर प्रशासन की नीतियों के कारण कुछ खास नही हो पाया। यह कहना है कि लद्दाख के निवासी व पर्यावरण संरक्षण कीर दिशा में काम करने वाले स्टेंजिन दोरजे का। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में प्रदूषण की रोकथाम के लिए कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना जरूरी है। अब इस दिशा में कार्रवाई शुरू हुई है।

लद्दाख को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तय किया है। ऐसे में इस दिशा में गंभीरता से कार्रवाई हो रहा है। इस दिशा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड ने चौदह सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर उसे लद्दाख को प्रदूषण मुक्त बनाने की रणनीति तैयार करने के लिए कहा है। कमेटी में लद्दाख में पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेवारी संभालने सभी अधिकारियों को शामिल कर उन्हें जवाबदेह बनाया गया है। कमेटी छह महीनों के अंदर यह खाका पेश करेगी कि लद्दाख में प्रदूषण को किस तरह से खत्म करना है।

सौर उर्जा से हल होंगी लद्दाख की मुश्किलें: लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर का कहना है कि लद्दाख के पास सौर उर्जा का खजाना है। आने वाले समय लद्दाख सौर उर्जा से न सिर्फ अपनी जरूरत पूरा करेगा अपिुत देश को भी बिजली देगा। उनका कहना है कि लद्दाख में कुदरती साधनों से 33 गीगावाट बिजली पैदा करने की संभावना है। इसमें से 26 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल हैं। हमने 50 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सोलर एनर्जी कारपोरेशन के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। आने वाले समय में सोलर कार एनर्जी कारपोरेशन सौर उर्जा से एक हजार मैगावाट बिजली दोहन का लक्ष्य हासिल करेगा।

लेह में हाईड्रोजन फ्यूल सेल बसें चलाने की तैयारी: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में प्रदूषण रोकने के लिए हाईड्रोजन फ्यूल सेल बसें चलाने की दिशा में काम हो रहा है। यह जिम्मेवारी देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) लिमिटेड ने उठाई है। लेह के लिए 10 हाईड्रोजन फ्यूल सेल आधारित इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए कार्रवाई हो रही है। इस नई तकनीक से बसों के चलाए जाने एक एक तरफ जहां प्रदूषण में कमी आएगी तो वहीं जैविक ईंधन की भी बचत होगी।

लद्दाख को हरा भरा बनाने की मुहिम: लद्दाख को हरा भरा बनाकर प्रदूषण को खत्म करने की दिशा में कार्रवाई जारी है। हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ अल्टरनेटिव ने अपने लेह परिसर में अगले करीब अढ़ाई सालों में 1.3 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। संस्थान के निदेशक सोनम वांगचुक का कहना है कि हमारी पूरी कोशिश है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण को और बेहतर बनाया जाए। हवा में कार्बन काे कम करने के लिए क्षेत्र में हरियाली जरूरी है। इसके लिए हमें सहयोग भी मिल रहा है।


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