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Jammu Kashmir: नितिन गडकरी ने ज़ोजिला सुरंग निर्माण कार्य के लिए ब्लास्टिंग प्रक्रिया शुरू की

श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनमर्ग के आगे स्थित जोजिला दर्रे एक तरह से कश्मीर प्रांत और लद्दाख को एक-दूसरे से अलग करने वाली प्राकृतिक विभाजन रेखा का काम भी करता है। लद्दाख का देश के विभिन्न हिस्सों से सारा साल सड़क संपर्क बहाल रहेगा

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 03:07 PM (IST)
Jammu Kashmir: नितिन गडकरी ने ज़ोजिला सुरंग निर्माण कार्य के लिए ब्लास्टिंग प्रक्रिया शुरू की
केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो/एएनआई केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जोजिला टनल में निर्माण कार्य के लिए वर्चुअली पहला ब्लास्ट किया। ये टनल श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह में सभी मौसम में कनेक्टिविटी मुहैया कराएगी। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही यह सुरंग लद्दाख के सामाजिक-आíथक जीवन में भी बेहतरी लाने का रास्ता तैयार करेगी। श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनमर्ग के आगे स्थित जोजिला दर्रे एक तरह से कश्मीर प्रांत और लद्दाख को एक-दूसरे से अलग करने वाली प्राकृतिक विभाजन रेखा का काम भी करता है। प्रस्तावित जोजिला सुरंग जोजिला दर्रे से करीब 300 मीटर नीचे बनेगी। इसकी लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी।

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में एनएच -1 पर ज़ोजिला टनल परियोजना के लिए पहला ब्लास्टिंग शुरू किया। ज़ोजिला टनल श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्रों के बीच सभी मौसम की कनेक्टिविटी प्रदान करेगा

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ये एशिया की सबसे लंबी टनल है और निश्चित रूप से लद्दाख, लेह और कश्मीर की अर्थव्यवस्था बदलने में इसका उपयोग होगा। हमारे विभाग के सभी लोगों के प्रयासों से इस टनल के काम में हमने करीब 4,000 करोड़ रुपये की बचत भी की है।

बहुप्रतिक्षित जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य अंतत: वीरवार से शुरू हो गया है । केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी जोजिला सुरंग के निर्माण की औपचारिक शुरुआत की । जोजिला सुरंग के निर्माण से लद्दाख का देश के विभिन्न हिस्सों के साथ सारा साल सड़क संपर्क बहाल रहेगा।

जोजिला सुरंग की परियोजना की परिकल्पना 2005 में की गई थी और सीमा सड़क संगठन ने इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) 2013 में तैयार की थी। इस परियोजना के लिए ठेका आबंटन की प्रक्रिया चार बार विफल रही और उसके बाद इसे ईपीसी मोड पर तैयार करने का जिम्मा जुलाई 2016 में राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को सौंपा। इसके बाद यह काम मैसर्स आइटीएनएल को सौंपा गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका लेह में इसका नींव पत्थर रखा।

आइटीएनएल ने जुलाई 2019 तक काम किया, लेकिन बाद में उसने काम छोड़ दिया। इसी साल फरवरी में गडकरी ने पूरी परियोजना की समीक्षा की। परियोजना की लागत राशि घटाने और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए उन्होंने विशेषज्ञ समिति को निर्माण से जड़े विभिन्न मुद्दों के आकलन कर पूरी योजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा। विशेषज्ञ समिति ने 17 मई का रिपोर्ट सौंपी और 23 मई को सड़क परिवहन मंत्रालय ने परियोजना को मंजूरी प्रदान कर दी। संशोधित कार्ययोजना के तहत जोजिला सुरंग परियाजना की अनुमानित लागत 4429.83 करोड़ रुपये आंकी गई गई। 

यह परियोजना रणनीतिक महत्व रखती है क्योंकि ज़ोजिला दर्रा 11,578 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। सर्दियों के दौरान, यह भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है, जिससे कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र कट जाता है। ज़ोजिला टनल की लंबाई 14.15 किमी, एप्रोच रोड की लंबाई 18.63 किमी और कुल प्रोजेक्ट की लंबाई 32.78 किमी है।


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