पीएससी के कामकाज में आएगी पारदर्शिता, बेरोजगार युवाओं को नियुक्त 6 सदस्यों से ढेरों अपेक्षाएं
पीएससी में चार सदस्यों ने शपथ ग्रहण कर ली है। कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए परीक्षा और साक्षात्कार का जिम्मा भी इसी आयोग के हाथों में है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग (पीएससी) में नियुक्त छह सदस्यों से ढेरों अपेक्षाएं हैं। उन्हें उम्मीद है कि भर्तियों में पारदर्शिता होगी। कम समय में भर्ती प्रक्रिया पूरी होगी। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद से मुक्ति मिलेगी। नौकरी पाने की राह आसान होगी। प्रदेश सरकार ने भी विभिन्न विभागों में खाली पदों को भरने के लिए इन्हें आयोग के पास भेज दिया है।
उपराज्यपाल प्रशासन ने जेके पीएससी में छह सदस्यों की नियुक्ति काफी परख के साथ की है। इसमें शामिल छह सदस्यों का अनुभव आयोग को प्रभावी बनाने के साथ कामकाज में पारदर्शिता लाने में मदद देगा। पुलिस, वन, न्यायपालिका, शिक्षा व लोक निर्माण से जुड़े क्षेत्रों के उन अधिकारियों को कमीशन में शामिल किया गया है, जिन्होंने लंबे समय तक अपनी सेवाएं दी हैं। आयोग की कमान वरिष्ठ नौकरशाह पूर्व आइएएस अधिकारी बीआर शर्मा के हाथ में है। वह प्रदेश में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। उन्हें केंद्र में भी काम करने का अनुभव है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग का गठन किया गया है। गजटेड पदों की नियुक्ति करने वाली इस अहम बॉडी पीएससी से युवाओं को काफी उम्मीदें होती हैं। पीएससी में चार सदस्यों ने शपथ ग्रहण कर ली है। कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए परीक्षा और साक्षात्कार का जिम्मा भी इसी आयोग के हाथों में है।
सैयद अहफदुल : संवेदनशील इलाकों में काम का अनुभव
जम्मू कश्मीर कैडर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सैयद अहफदुल मुजतबा को 15 नवंबर 2019 को जम्मू कश्मीर में नवगठित अभियोजन विभाग का पहला महानिदेशक नियुक्त किया गया था। यह विभाग आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए बनाया गया था। मुजतबा 1984 में जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी के रूप में पुलिस में शामिल हुए थे। वह 1998 में आइपीएस बने। मुजतबा को संवेदनशील इलाकों में कार्य करने का अनुभव है। वह श्रीनगर में तीन साल से अधिक समय तक एसएसपी और मध्य कश्मीर में डीआइजी भी रहे। कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच के दौरान वह अपराध शाखा का नेतृत्व कर रहे थे।
समीर भारती : वनों के संरक्षण व विकास में अहम योगदान
वन विभाग से चीफ कंजरवेटर के रूप में 31 जनवरी 2020 को सेवानिवृत्त हुए समीर भारती ने विभाग में 36 वर्ष सेवा दी। उन्होंने वर्ष 1984 में एसीएफ के पद से अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में 1999 में आइएफएस बने। उन्होंने सोशल फॉरेस्टरी पुंछ के डीएफओ, प्रोजेक्ट ऑफिसर सुखातो प्रोजेक्ट राजौरी, डीएफओ सोशल फॉरेस्टरी ऊधमपुर, डीएफओ रियासी, ङ्क्षटबर पाङ्क्षसग ऑफिसर जम्मू, डीएफओ जम्मू, स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के रूप में काम किया। वनों के संरक्षण और विकास में समीर भारती का अहम योगदान रहा।
सैयद इकबाल आगा: जूनियर इंजीनियर से यहां तक पहुंचे
सैयद इकबाल आगा 31 जनवरी 2020 को डेवलपमेंट कमिश्नर वर्कर्स के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। श्रीनगर के हावल के रहने वाले आगा ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1984 में सड़क और भवन निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर से की थी।। चीफ इंजीनियर बनने से पहले उन्होंने कई पदों पर काम किया। वह शेर-ए-कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीक विश्वविद्यालय कश्मीर के चीफ इंजीनियर भी रहे। डेवलपमेंट कमिश्नर वर्कर्स के पद से सेवानिवृत्त हुए।
देस राज: सड़क व भवन निर्माण विभाग के हैं चीफ इंजीनियर
सड़क और भवन निर्माण विभाग कश्मीर के चीफ इंजीनियर देस राज दिसंबर 2020 में सेवानिवृत्त होंगे। वह विभाग में सुपङ्क्षरटेंङ्क्षडग इंजीनियर लोक निर्माण विभाग डोडा और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चीफ इंजीनियर भी रहे।
शौकत अहमद जरगर: गणित के प्रोफेसर रहे
श्रीनगर के बुचपोरा के रहने वाले शौकत अहमद जरगर अप्रैल 2019 में उच्च शिक्षा विभाग से गणित के एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। जरगर ने विभिन्न डिग्री कॉलेजों में गणित के प्रोफेसर के पद पर काम किया।
सुभाष गुप्ता: टाडा कोर्ट के न्यायाधीश रह चुके हैं
जम्मू के तीसरे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश टाडा कोर्ट से इसी साल मार्च में सेवानिवृत्त हुए सुभाष गुप्ता ने कई अहम पदों पर काम किया है। मूल रूप से सांबा के रहने वाले सुभाष गुप्ता प्रीजाइङ्क्षडग अधिकारी जिला न्यायाधीश मैटरीमोनियल मामले, प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीश राजौरी और कुलगाम रह चुके हैं। इससे पहले उन्होंने बतौर एडवोकेट जम्मू और सांबा में प्रैक्टिस भी की है।