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कभी धुएं से जलती थीं आंखें, अब चेहरे पर है सुकून

सतीश शर्मा जम्मू मैंने सारी उम्र लकड़ी का चूल्हा जलाया। शादी से पहले अपने परिवार में घ्

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 02:55 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 02:55 AM (IST)
कभी धुएं से जलती थीं आंखें, अब चेहरे पर है सुकून
कभी धुएं से जलती थीं आंखें, अब चेहरे पर है सुकून

सतीश शर्मा, जम्मू :

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मैंने सारी उम्र लकड़ी का चूल्हा जलाया। शादी से पहले अपने परिवार में घर के बाहर कच्ची रसोई थी और वहां अपनी मां को खांसते-खांसते चूल्हे में फूंके मारते देखा था। बढ़ती उम्र के साथ मां को खांसी की बीमारी हो गई तो मैंने घर का चूल्हा संभाल लिया। वही रसोई और वही लकड़ी का चूल्हा। मेरा ही नहीं, पूरे गांव के घरों में यही चूल्हा था। हम सभी लड़कियां चूल्हे की लकड़ी चुनने के लिए एक साथ ही जंगल में जाया करती थी। जब शादी हुई तो यहां पर भी यही था। घर परिवार बढ़ता गया और चूल्हे में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों की जरूरत भी। दिन का अधिकतर समय तो चूल्हा फूंकते ही निकल जाता था। बुढ़ापा आ गया, आंखें पथरा गई थीं लकड़ी के चूल्हे को फूंके मारते-मारते, लेकिन पिछले साल किसी ने बताया कि सरकार एलपीजी सिलेंडर दे रही है। हमने भी आवेदन दे दिया। रसोई गैस सिलेंडर भी मिल गया और चूल्हा भी। बुढ़ापे में ही सही, लेकिन उस लकड़ी के चूल्हे से राहत मिल गई और मेरी बहुओं को भी लकड़ी का चूल्हा नहीं जलाना पड़ता। यह कहानी है बिश्नाह के वार्ड नंबर 12 निवासी जित्तो देवी की, जो पूरी जिदगी लकड़ी का चूल्हा फूंकती रही, लेकिन अब उनके घर में एलपीजी कनेक्शन है।

उन्होंने कहा कि पहले घर के आंगन में रसोई थी, जहां चूल्हा जलता था, क्योंकि लकड़ी के चूल्हे को घर के अंदर तो जला नहीं सकते थे। वरना धुएं से पूरा घर खराब होता ही, चूल्हे के धुएं से घर के भीतर बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता। रसोई गैस सिलेंडर मिलने के बाद हमने घर के भीतर नई रसोई भी तैयार की और आज एलपीजी पर खाना बनता है, जिससे हर कोई राहत महसूस कर रहा है। पहले धुएं के कारण बच्चे रसोई के निकट नहीं आते थे, लेकिन अब रसोई के पास सभी मिलकर बैठते हैं और गरमागरम खाने का मजा लेते हैं। इस एलपीजी ने तो हमारे पूरे घर का माहौल ही बदल दिया। सच कहूं तो पूरी जिदगी बदल गई है।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत वर्ष 2018 में एलपीजी कनेक्शन लिया, जिसने उनके परिवार की जिंदगी बदल दी है। घर के बाहर एक कोने में कच्ची रसोई में लकड़ी के चूल्हे से निजात मिलने के बाद आज जित्तो देवी का परिवार एक पक्की रसोई में एलपीजी पर खाना तैयार कर रहा है। जित्तो देवी की तरह ही जम्मू जिले में 66,778 परिवारों को उज्ज्वला योजना ने पारंपरिक लकड़ी के चूल्हे से निजात दिलाई। हालांकि अभी भी कई ऐसे परिवार हैं जो लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना तैयार कर रहे हैं।

एलपीजी कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, इंडियन आयल कॉरपोरेशन व हिदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार जम्मू जिले में चुनाव आचार संहिता लागू होने तक 99,256 परिवारों की ओर से उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन के लिए आवेदन दिया गया था। इनमें से 74214 आवेदन मंजूर किए गए और 66778 परिवारों को योजना के तहत कनेक्शन दिए गए। इन कंपनियों के अनुसार चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद शेष आवेदनों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी और बहुत जल्द जिले में शत-प्रतिशत परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन होगा।


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