जम्मू-कश्मीर में दो मेडिसिटी को मंजूरी मिली, राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में हुआ फैसला
राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व में हुई राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में जम्मू कश्मीर में दो मेडिसिटी की स्थापना के लिए नीति दस्तावेज को मंजूरी दी गई।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य क्षेत्र को और मजबूत किया जा रहा है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व में हुई राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में जम्मू कश्मीर में दो मेडिसिटी की स्थापना के लिए नीति दस्तावेज को मंजूरी दी गई। इस कार्य के लिए राजस्व विभाग भूमि की पहचान और हस्तांतरण का काम करेगा। इन प्रोजेक्टों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को मेडिसिटी परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग बनाया है। मेडिसिटी की सुविधाओं में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नर्सिग कॉलेज, फार्मास्यूटिकल, अस्पताल प्रबंधन एवं डेंटल कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, चिकित्सा शिक्षा केंद्र, आयुष केंद्र, शोध केंद्र आदि शामिल हैं। मेडिसिटी की स्थापना से स्वास्थ्य देखभाल को प्रमुख प्रोत्साहन मिलेगा। परिषद की बैठक में कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों में 3500 सरकारी स्वास्थ्य संस्थान हैं। सरकार जन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के निर्माण में निवेश कर रही है। जम्मू कश्मीर में निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को विकसित करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने मार्च 2019 में राज्य स्वास्थ्य देखभाल निवेश नीति 2019 को मंजूरी दी थी। निजी निवेशक आवश्यक चिकित्सा व गैर चिकित्सा ढांचे के साथ मेडिसिटी के डिजाइन, वित्त, निर्माण के लिए आवश्यक होंगे।
मेडिकल ऑफिसर्स से बढ़ाए जाएंगे 800 पद
राज्य प्रशासनिक परिषद ने जम्मू व कश्मीर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (राजपत्रित सेवा) में मेडिकल ऑफिसर्स के लिए ट्रेनिंग रिजर्व के अंतर्गत मौजूदा ड्यूटी पदों को छह फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद करने को मंजूरी दे दी है। डेपुटेशन रिजर्व के अंतर्गत मौजूदा चार फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद करने को भी स्वीकृति दी है। वर्तमान में मेडिकल ऑफिसर्स के 3781 पद मंजूर हैं। इनमें 3151 ड्यूटी और 630 रिजर्व पद हैं। रिजर्व पदों में बढ़ोतरी से मेडिकल ऑफिसर्स के पदों की मंजूर संख्या 4726 होगी। इससे मेडिकल ऑफिसर्स के 800 पदों की भर्ती के लिए रास्ता खुल गया है। यह पद लोक सेवा आयोग को रेफर होंगे। यह नियुक्तियां होने से राज्य के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर होगी। इससे सहयोगी संगठनों में मेडिकल ऑफिसर्स उपलब्ध करवाने में मदद होगी, जहां स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से डेपुटेशन पर मेडिकल ऑफिसर्स को नियुक्त किया जाना आवश्यक है।