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बर्फीले रेगिस्तान में दो बूंद जिंदगी का जोश

कारगिल में भी न्यूनतम तापमान माइनस में था और यह जिला सबसे अधिक ठंडा है। मगर इन दोनों जगहों पर 90 फीसद से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाए गए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 03:41 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2018 04:18 PM (IST)
बर्फीले रेगिस्तान में दो बूंद जिंदगी का जोश
बर्फीले रेगिस्तान में दो बूंद जिंदगी का जोश

जम्मू, [राज्य ब्यूरो] । जम्मू-कश्मीर के कई जिले इन दिनों बर्फ से ढके हैं। दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्र सड़क संपर्क से कटे हुए हैं। इन क्षेत्रों में इन दिनों कोई भी अभियान चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जब बच्चों के स्वास्थ्य की बात आती है तो लोग तमाम मुश्किलों को दरकिनार कर आगे आते हैं। यही कारण है कि रविवार को पल्स पोलियो अभियान में बर्फीले रेगिस्तान से विख्यात लेह में सबसे अधिक लोग दो बूंद जिंदगी के लिए बच्चों को लेकर घरों से बाहर आए।

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रविवार को लेह में न्यूनतम तापमान माइनस 11 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम दो डिग्री सेल्सियस था। कारगिल में भी न्यूनतम तापमान माइनस में था और यह जिला सबसे अधिक ठंडा है। मगर इन दोनों जगहों पर 90 फीसद से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाए गए। लेह में सबसे अधिक 98.2 फीसद और कारगिल में करीब 92 फीसद बच्चों को बूंदें पिलाई गई। लेह जिला हर साल इस अभियान में सबसे आगे रहता है। इस साल कारगिल ने भी इसमें लेह के लोगों को कड़ी टक्कर दी। 

राज्य में वर्ष 2010 के बाद पोलियो का कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ। मगर कारगिल में तो करीब तीन दशक से पोलियो का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। इसका श्रेय इन जिलों के लोगों के अलावा स्वास्थ्य विभाग के हजारों कर्मचारियों और स्वयं संगठनों को भी जाता है। स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर डॉ. सलीम-उर-रहमान का कहना है कि इन जिलों में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इसके अलावा सभी जगहों पर केंद्र बनाए जाते हैं। कर्मचारी भी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभाते हैं।

अभियान चलाना बड़ी चुनौती

जम्मू-कश्मीर के करीब 16 जिले बर्फ में दबे होते हैं। इन जिलों में 60 से 70 फीसद आबादी रहती है। लेह, कारगिल के अलावा डोडा, किश्तवाड़ व कश्मीर के कई क्षेत्र पूरी तरह सड़क संपर्क से कटे होते हैं। इन जिलों में खून जमा देने वाली ठंड के बीच सफलतापूर्वक अभियान चलाना एक चुनौती है।

पड़ोसी देश चिंता का कारण

जम्मू-कश्मीर के लिए एक चुनौती पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान व बंगलादेश हैं। दोनों ही देशों में हर वर्ष पोलियो के मामले दर्ज हो रहे हैं। इन देशों के कई लोग जम्मू-कश्मीर में वैध व अवैध रूप से आते रहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और अन्य संगठनों की ओर से झुग्गियों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशनों पर अभियान चलाने से कोई मामला दर्ज नहीं होता।


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