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Jammu Kashmir Coronavirus: जम्मू संभाग में कोरोना के दोनों बड़े अस्पताल मरीजों से फुल

जीएमसी के मौजूदा हालात के बीच उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर ने रविवार को अस्पताल का दौरा कर मरीजों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 11:32 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 11:32 AM (IST)
Jammu Kashmir Coronavirus: जम्मू संभाग में कोरोना के दोनों बड़े अस्पताल मरीजों से फुल

जम्मू, अवधेश चौहान : राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल और चेस्ट डिजीज अस्पताल में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के कारण अब बेड लगभग फुल हो चुके हैं। जम्मू संभाग में कोविड-19 के लिए बनाए गए यही दोनों सबसे बड़े अस्पताल हैं। उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर ने अस्पतालों में बेड की कमी को जल्द से जल्द दूर करने के निर्देश दिए हैं। भटनागर रविवार को जीएमसी के दौरे पर आए थे।

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जानकारी के मुताबिक, जीएससी अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए 200 बेड हैं। इसमें से 106 आक्सीजन की सुविधा वाले बेड हैं, जो पूरी तरह भर चुके हैं। आइसोलेशन वार्ड में 33 मरीज भर्ती हैं, जबकि क्रिटिकल केयर यूनिट में 16 और वार्ड नंबर तीन में 42 मरीज भर्ती हैं। ऐसे में यदि मरीजों की संख्या बढ़ती है, तो अस्पताल प्रशासन को अस्पताल के हाई डिपेंडेसी वार्ड को कोविड वार्ड बनाने की जरूरत पड़ सकती है। वहीं, चेस्ट डिजीज अस्पताल भी कोविड मरीजों से भर चुका है। यहां पर कोविड मरीजों के लिए बेड नहीं बचे हैं। इस अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए कुल 110 बेड हैं। यहां ऑक्सीजन वाले बेड पर 50, जबकि 56 अन्य मरीज भर्ती हैं।

संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल जीएमसी पहले ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में अब कोरोना मरीजों के लिए बेड की कमी होने से हालात और खराब हो सकते हैं। हालांकि जीएमसी अस्पताल के प्रिङ्क्षसपल नसीब चंद ढींगरा ने दावा किया है कि अस्पताल में बेड की कमी को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, जीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर टीएस सूदन का कहना है कि अगर अस्पताल में बेड बढ़ाने भी पड़े तो ऑक्सीजन सिलेंडरों की पर्याप्त व्यवस्था है। हालांकि उनका यह भी कहना था कि वेंटीलेटरों पर ज्यादा मरीज आ गए तो अस्पताल प्रबंधन के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। 176 नए वेंटीलेटर जो अभी तक खुले नहीं हैं, उन्हें खोलना पड़ सकता है। इन दावों से इतर बड़ा सवाल यह है कि इन वेंटीलेटरों को चलाने के लिए ऑक्सीजन कहां से आएगी। यह स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे बड़ा सवाल है, जिससे अब तक आंख चुराई जाती रही है। अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट में वैसे भी ऑक्सीजन का उत्पादन कम हो रहा है। एक हजार के करीब सिलेंडरों को मार्केट से खरीदा जा रहा है।

घबराएं नहीं, रैपिड एंटीजन टेस्ट से तेजी से बढ़ी मरीजों की संख्या: भटनागर

जीएमसी के मौजूदा हालात के बीच उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर ने रविवार को अस्पताल का दौरा कर मरीजों को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया। भटनागर ने अस्पताल में स्थापित किए गए कंट्रोल रूम की कार्यप्रणाली का भी जायजा लिया। उनके साथ स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त सचिव अतुल डुल्लू, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मेकेनिकल तेजेंद्र ङ्क्षसह सूदन, जेएडंके मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन के एमडी भी थे। बाद में भटनागर ने बैठक कर डॉक्टरों से कहा कि इन अस्पतालों से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इसलिए मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं। अस्पताल में बेड की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। पल्स ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन के फ्लो में कितना ठहराव है, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। एसिम्टोमेटिक मरीजों को घर पर ही रखा जाए। उन्होंने लोगों से अपील की कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। रैपिड एंटीजन टेस्ट की वजह से तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ी है।


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