लखनपुर से लद्दाख तक 12 जून को 75 हजार कमर्शियल वाहनों के चक्के जाम रहेंगे, कंट्रोल रूम बनाने के लिए बीएसएनएल से करार हुआ
ट्रांसपोर्टरों ने साफ कर दिया है कि 12 जून को राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर लद्दाख तक 75 हजार कमर्शियल वाहनों के चक्के जाम रहेंगे।
जम्मू, जागरण संवाददाता । ट्रांसपोर्टरों और राज्यपाल के सलाहकार स्कंदन कृष्णन के बीच बैठक बेनतीजा रहने के उपरांत ट्रांसपोर्टरों ने साफ कर दिया है कि 12 जून को राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर लद्दाख तक 75 हजार कमर्शियल वाहनों के चक्के जाम रहेंगे। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया तो फिर 12 जून की शाम को बैठक कर हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ाने का फैसला लिया जाएगा।
ऑल जेएंडके ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन टीएस वजीर ने रविवार को पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टरों को मजबूरन हड़ताल पर जाने के लिए विवश किया जा रहा है। कमर्शियल वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग और पैनिक बटन डिवाइस नहीं लगाए जाने के कारण गत 20 मई से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जा रहे हैं। इससे अब तक करीब 250 वाहन सड़कों पर उतर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टर अपने वाहनों में जीपीएस और पैनिक बटन डिवाइस लगाने के लिए तैयार हैं लेकिन सबसे पहले इसके लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया जाना चाहिए।
पांच हजार रुपए की कीमत वाले जीपीएस पंद्रह हजार रुपए में लगाने का विरोध
उन्होंने जीपीएस की कीमतों को लेकर भी आक्रोश जताते हुए कहा कि जितनी कीमत में जम्मू-कश्मीर में वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाए जा रहे हैं उससे आधी कीमत में पड़ोसी राज्य पंजाब में जीपीएस सिस्टम आसानी से मिल जाता है। राज्य में पहले से ही ट्रांसपोर्ट नीति नहीं है और ऐसे में ट्रांसपोर्टरों को रियायत देने की बजाय जिस कंपनी को जीपीएस सिस्टम लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह दोगुनी कीमत में इन्हें लगा रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि अगर 12 जून की शाम तक प्रस्तावित एक दिवसीय चक्के जाम के बावजूद सरकार की आेर से ट्रांसपोर्टरों को जीपीएस नहीं लगाने में छूट नहीं मिली तो फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। 12 जून की एक दिवसीय हड़ताल के कारण लखनपुर से लेकर लद्दाख तक कमर्शियल वाहनों के चक्के जाम रहेंगे। इससे आम नागरिकों, विद्यार्थियों और श्रद्धालुओं को पेश आने वाली समस्याओं के लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार रहेगी।
20 मई तक छूट दी गई थी
भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के निर्देशानुसार देश के सभी राज्यों में दौड़ने वाले यात्री वाहनों में उक्त डिवाइस लगाना अनिवार्य कर दिया है और इसके लिए बाकायदा से कंट्रोल रूम भी स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि ट्रांसपोर्टरों को पहले एक अप्रैल 2019 तक वाहनों में जीपीएस लगाने का समय दिया गया था लेकिन बाद में इसके लिए 20 मई तक छूट दी गई थी। इसके उपरांत किसी भी कमर्शियल वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा रहा है। इससे ट्रांसपोर्टर काफी परेशान हैं।
अलग से कंट्रोल रूम बनाने की जरूरत नहीं, बीएसएनएल का प्लेटफार्म इस्तेमाल करेगा परिवहन विभाग
जीपीएस और पैनिक बटन डिवाइस लगाने से पहले इसके लिए अलग से कंट्रोल रूम बनाने की कोई जरूरत नहीं है। सहायक परिवहन आयुक्त स. स्वर्ण सिंह ने बताया कि इस संबंध में बीएसएनएल से इसके लिए करार हो चुका है। अब बीएसएनएल के सर्वर के माध्यम से यात्री वाहनों की स्पीड पर पूरी तरह से नजर रखी जा सकेगी। इसके लिए विभाग का वाहन साॅफ्टवेयर और बीएसएनएल के बीच एकीकरण हो चुका है। विभाग द्वारा उनका आईपी भी दिया जा चुका है।
जीपीएस, पैनिक बटन केवल यात्री वाहनों में ही लगेगा
जीपीएस और पैनिक बटन सभी कमर्शियल वाहनों में नहीं बल्कि बस, मिनी बस, टैक्सियों और नेशनल परमिट रूट पर दौड़ने वाले ट्रकों में लगाया जाएगा। ट्रक और आॅटो रिक्शा को इस श्रेणी से बाहर रखा गया है।
सलाहकार और ट्रांसपोर्टरों के बीच आज बैठक होने के आसार
ट्रांसपोर्टरों और राज्यपाल के सलाहकार स्कंदन कृष्णन के बीच गत शनिवार को वार्ता का पहला दौर असफल रहने के बाद सोमवार को अब दोनों पक्षों के बीच बैठक होने की उम्मीद है। हालांकि अभी तक ट्रांसपोर्टरों को बैठक के लिए कोई न्यौता नहीं मिला है लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार हड़ताल को टालने के लिए बातचीत के माध्यम से बीच का रास्ता तलाशेगी ताकि किसी को कोई परेशानी न झेलनी पड़े। बैठक में ट्रांसपोर्टरों को कहीं से भी जीपीएस सिस्टम लगाने में भी छूट मिल सकती है।
ट्रांसपोर्टरों को वाहनों मे जीपीएस लगाने पड़ेंगे : आरटीओ
जम्मू के आरटीओ धनंतर सिंह ने कहा कि मिनी बस, बस, टैक्सियों और नेशनल परमिट वाले ट्रकों को जीपीएस लगाने पड़ेंगे। इसके लिए ट्रांसपोर्टरों को 20 मई तक का समय दिया गया था और अब समयावधि समाप्त होने के बाद जीपीएस नहीं लगाने वाले वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जा रहे हैं।
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