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जम्मू-कश्मीर में टीएडंडी लासेस और खस्ताहाल बिजली ढांचा बढ़ रहा बिजली किल्लत

जम्मू कश्मीर पाॅवर डवेल्पमेंट कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर गुरमीत सिंह का कहना है कि जम्मू में रोजाना 1530 मैगावॉट बिजली की जरूरत है जबकि लोगों को 1258 मैगावॉट बिजली ही लोगों को मिल रही है।अभी भी 272 मैगावॉट अतिरक्त बिजली की आवश्यकता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 11:08 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में टीएडंडी लासेस और खस्ताहाल बिजली ढांचा बढ़ रहा बिजली किल्लत
बिजली चोरी रोकने के लिए इंसुलेटिड तारे शहर में बिछाई गई है, ताकि चोरी रूक सके।

जम्मू, अवधेश चौहान: जम्मू कश्मीर में बिजली के ट्रांसमीशिन और डिस्ट्रीब्यूशनल (टीएडंडी)में हो रहा नुकसान देश में सबसे अधिक है।इस नुकसान को कम करने में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कोई प्रभावी कदम नही उठाया है।नतीजा यह है कि जम्मू संभाग के लोग भीषण बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं।जम्मू कश्मीर की बात करें तो यहां टीएडंडी लासेज 50 प्रतिश्त है, जबकि समूचे देश में यह लासेज 30 प्रतिश्त हैं।टीएडंडी लासेस में बिजली की चोरी भी शामिल है।

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बेशक जम्मू कश्मीर में 2015 से 2019 के दौरान 1147723 मीटर जिनमें घरेलु और कमर्शियल शामिल है को घरों में लगाए गए।जिनमें वर्ष 2016-2017 में 22537 मीटर लगाने का लक्ष्य था, लेकिन कश्मीर में आतंकवाद के कारण यह लक्ष्य पूरा नही हो पाया। जिससे घाटी में अभी भी पर्याप्त मीटरिंग न होने से बिजली की चोरी रूक नही पा रही है। जिसका खमियाजा जम्मू के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमन भल्ला का कहना है कि जम्मू के लोग पूरी इमानदारी से बिजली का किराया दे रहे है, फिर भी उन्हें 24 घंटे बिजली नही मिल पा रही है।

लोगों को 1258 मैगावॉट बिजली ही लोगों को मिल रही है।जम्मू कश्मीर पाॅवर डवेल्पमेंट कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर गुरमीत सिंह का कहना है कि जम्मू में रोजाना 1530 मैगावॉट बिजली की जरूरत है, जबकि लोगों को 1258 मैगावॉट बिजली ही लोगों को मिल रही है।अभी भी 272 मैगावॉट अतिरक्त बिजली की आवश्यकता है। गैर राजनीतिक संगठन जम्मू इकजुट प्रधान अंकुर शर्मा का कहना है कि जम्मू कश्मीर में रोशनी एक्ट लाया ही इसलिए था कि जम्मू कश्मीर राज्य में बिजली के ढांचे को चुस्त दुरूस्त बनाया जा सके।शर्मा का कहना है कि ढांचे को दुरूस्त करना एक बहाना था, लेकिन इसकी आड़ में नेताओं ने सरकारी जमींनों को कब्जा लिया।

वर्ष 2011 में इब्राह्म कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बिजली विभाग बिजली के लासेस काे कम करने में कोई प्रयास नही कर रहा है।पड़ौसी राज्य हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगड़ में क्रमश यह नुकसान 20,21 और 19 प्रतिश्त तक है। जबकि जम्मू कश्मीर में टीएडंडी लासेस बीते एक दशक से 200 प्रतिश्त है।जम्मू शहर के लोगों में भी इसलिए रोष है कि बिजली विभाग टीएडंडी लासेस को कम करने के बजाए उपभोक्ताओं को इस नुकसान का भागीदार बना रहा है। बिजली चोरी रोकने के लिए इंसुलेटिड तारे शहर में बिछाई गई है, ताकि चोरी रूक सके।

बिजली विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू संभाग में टीएडंडी लासेस 40 फीसद और कश्मीर घाटी में 62 फीसद तक हैं।इसका एक अन्य कारण पुरानी लाइनों का न बदला जाना, बिजली चोरी, मीटरों से छेड़छाड़ और कर्मचारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से न निभा पाना। जेकेपीडीसीएले के एमडी ने तो यहां तक कह दिया कि बिजली चोरी की वीडियों जो उन्हें भेजेगा तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

वीवीआइपी कालोनियों में नही बिछाई गई है इंसुलेटेड तारे: विडंबना यह है कि सबसे ज्यादा बिजली की चोरी वीवीआइपी गांधीनगर इलाके में नौकरशाहों और पूर्व मंत्रियों द्वारा सरकारी बंगलों में है। जहां सरेआम बिजली की कुंडिया विभाग के अधिकारियों का मुंह चिढ़ा रही है।यहां तक कि वीवीआइपी इलाकों में इंसुलेटेड तारे तक नही लगाई गई है, ताकि माहानुभावों को चोरी करने का मौका दिया जाए।


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