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Tulsi Vivah: कल होगा तुलसी विवाह, जानिए क्या है शुभ मुहुर्त, क्या है विवाह-पूजन का विधान!

तुलसी धार्मिक आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से विलक्षण पौधा है।जिस घर में इसकी स्थापना होती है। आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख शांति और समृद्धि स्वमेव आती है। इस दिन गन्ना आंवला और बेर का फल खाने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 04:04 PM (IST)
Tulsi Vivah: कल होगा तुलसी विवाह, जानिए क्या है शुभ मुहुर्त, क्या है विवाह-पूजन का विधान!
जन्म से मौत तक तुलसी काम आती है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: तुलसी विवाह 25 नवंबर बुधवार को होगा।कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम जी से एवं विवाह नक्षत्र काल में ही करने का शास्त्र विधान हैं।मुख्यत: कार्तिक शुक्ल एकादशी व्रत वाले दिन प्रदोष काल में तुलसी विवाह एवं पूजन करने का विधान हैं।

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तुलसी विवाह के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया जिन लोगों ने स्मार्त संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 25 नवंबर को व्रत रखें।जिन लोगों ने वैष्णव संप्रदाय के गुरुओं से दीक्षा ली है वे लोग 26 नवंबर को व्रत रखें। 

विवाह का शुभ मुहुर्त: बुधवार 25 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 57 मिनट से भद्रा शुरू होगी और भद्रा काल में विवाह नहीं करना चाहिए और दोपहर 03.57 के पहले तुलसी विवाह करने का शुभ मुहूर्त 25 नवंबर बुधवार दिवा लग्न सुबह 08 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट के मध्य काल में एवं दोपहर 12 बजकर 29 मिनट से दोपहर 1 बजकर 54 मिनट के मध्य काल में तुलसी विवाह सम्पन्न करें ।

पूजा की विधि: महंत रोहित शास्त्री ने बताया इस दिन तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप बनाना चाहिए। तुलसी जी के पौधे पर चुनरी या ओढ़नी चढ़ानी चाहिए। तुलसी पूजन करते समय ऊं तुलस्यै नमरूद्ध मंत्र जाप करें। दूसरे दिन पुन: तुलसी जी और विष्णु जी की पूजा कर, ब्राह्मण को भोजन करवा कर यजमान खुद भोजन कर व्रत का पारण करना चाहिए। भोजन के पश्चात तुलसी के स्वत: गलकर या टूटकर गिरे हुए पत्तों को खाना शुभ होता है। इस दिन गन्ना, आंवला और बेर का फल खाने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

तुलसी का है बहुत महत्व: तुलसी धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से विलक्षण पौधा है।जिस घर में इसकी स्थापना होती है। वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख, शांति और समृद्धि स्वमेव आती है।इससे वातावारण में स्वच्छता और शुद्धता बढती है। प्रदूषण पर नियंत्रण होता है।आरोग्य में वृद्धि होती है।अनेक लाभ इससे प्राप्त होते हैं। घर में तुलसी पौधे की उपस्थिति एक वैध के समान है जौ घर में वास्तु दोष को भी दूर करने में सक्षम है।हमारे शास्त्र इसके गुणों से भरे पड़े हैं।जन्म से मौत तक तुलसी काम आती है।कन्या के विवाह में अगर विलंब हो रहा हो अग्नि कोण में तुलसी लगा कर कन्या रोज पूजन करें तो विवाह जल्दी अनुकूल स्थान पर होगा। 

शास्त्रों के अनुसार तुलसी के बहुत प्रकार के अलग अलग पौधे मिलते है जैसे श्री कृष्ण तुलसी, राम तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, शामा तुलसी, वन तुलसी, भू तुलसी, रक्त तुलसी आदि ।

इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें: शास्त्रों के अनुसार एकादशीए रविवार के दिन और सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। इसके अलावा रात में और बिना उपयोग के भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को दोष लग सकता है। 


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