कश्मीर में 33 दिनों में मारे गए तीन पाकिस्तानी आतंकी, सैफुल्ला पर था 10 लाख का इनाम
सैफुल्ला वर्ष 2016 में गुरेज (बांडीपोरा) के रास्ते कश्मीर में घुसपैठ करने में कामयाब रहा था। कुछ समय उत्तरी कश्मीर में सक्रिय रहने के बाद उसने गुलाम कश्मीर में बैठे अपने आकाओं के कहने पर हारवन में नया ठिकाना बनाया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : श्रीनगर में आत्मघाती हमलों की बड़ी साजिश को नाकाम कर सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा को बड़ा झटका दिया है। गत रविवार को लश्कर के जिस कुख्यात पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्ला को हारवन क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में मार गिराया, उस पर 10 लाख का इनाम घोषित था। मारे गए आतंकी से एसाल्ट राइफल और अन्य साजो सामान भी बरामद किया है।
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने बताया कि बीते 33 दिनों में सुरक्षाबलों ने विभिन्न मुठभेड़ों में तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया है। रंगरेथ में 13 दिसंबर को हुई मुठभेड़ में मारे गए दो आतंकियों में भी एक पाकिस्तानी आतंकी था। उससे पहले 16 नवंबर को हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ में भी एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यहां हालात बिगाड़ने, हिंसा का वातावरण बनाए रखने के लिए हर संभव साजिश में लगा हुआ है।
आपको बता दें कि गत रविवार को लालचौक से करीब 20 किलोमीटर दूर थीड-हारवन में अबु सैफुल्ला उर्फ अबु खालिद उर्फ शहबाज अपने संपर्क सूत्र के घर में शनिवार देर रात आया। पुलिस को उसी समय भनक लग गई। कुछ देर में पुलिस ने सेना व सीआरपीएफ जवानों के साथ मिलकर आतंकी ठिकाने को घेर लिया। चारों तरफ से घेरते हुए आतंकी को आत्मसमर्पण के लिए कहा, लेकिन उसने गोलीबारी कर भागने का प्रयास किया।
सुरक्षाबलों ने त्वरित कार्रवाई कर उसे फिर घेर लिया। इस दौरान सुरक्षाबलों ने आतंकी ठिकाना बने मकान और साथ सटे मकानों से कई लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। सुबह चार बजे शुरू हुई मुठभेड़ दो घंटे बाद सैफुल्ला के मारे जाने के साथ खत्म हो गई। आतंकी ठिकाना बना मकान क्षतिग्रस्त हो गया। उसके पास से एक एसाल्ट राइफल,तीन मैगजीन और एक ग्रेनेड जब्त किया है। इसी दौरान दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में लश्कर के तीन लाख के इनामी आतंकी फिरोज अहमद जरगर उर्फ कामरान को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ की जा रही है।
नए लड़कों की भर्ती में लगा था सैफुल्ला : पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि सैफुल्ला नए लड़कों की भर्ती और ट्रेङ्क्षनग में लगा हुआ था। वह श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में किसी बड़े आत्मघाती हमले की साजिश को अंजाम देने का मौका तलाश रहा था। बीते पांच साल से कश्मीर में सक्रिय सैफुल्ला की मौत लश्कर के लिए बड़ा आघात है। हम सैफुल्ला के पीछे कई दिनों से लगे थे। वह लगातार ठिकाने बदलता रहता था इसलिए बच रहा था।
बांडीपोरा के रास्ते पांच साल पहले पहुंचा था कश्मीर : सैफुल्ला वर्ष 2016 में गुरेज (बांडीपोरा) के रास्ते कश्मीर में घुसपैठ करने में कामयाब रहा था। कुछ समय उत्तरी कश्मीर में सक्रिय रहने के बाद उसने गुलाम कश्मीर में बैठे अपने आकाओं के कहने पर हारवन में नया ठिकाना बनाया था। वह गांदरबल, हारवन, श्रीनगर, त्राल और अवंतीपोरा में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। बीते सप्ताह बांडीपोरा के गुलशन चौक में पुलिस दस्ते पर हुए हमले में भी वह शामिल था। हमले में दो पुलिसकर्मी बलिदानी हुए थे। वह आठ जुलाई 2020 में बांडीपोरा में भाजपा नेता वसीम बारी की उनके पिता और भाई संग हत्या के अलावा श्रीनगर के लावेपोरा में सुरक्षाबलों पर हमले की वारदात में लिप्त था। दो सुरक्षाकर्मियों ने बलिदान प्राप्त किया था। आतंकी एक बलिदानी सुरक्षाकर्मी की राइफल भी ले गए थे। वह पहली अप्रैल 2017 में बेमिना बाईपास श्रीनगर में सैन्य काफिले पर आतंकी हमले में शामिल था। तीन सैन्यकर्मी घायल हुए थे।
घुसपैठियों को एलओसी पर लाने की थी जिम्मेदारी : पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्ला उर्फ अबु खालिद कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपने ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए नए लड़कों को आतंकी बनाता था। वह इनमें से कुछ लड़कों को चिन्हित कर उन्हें खुद हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी देता था। वह आतंकी बनने वाले स्थानीय लड़कों को बांडीपोरा और हारवन के ऊपरी हिस्सों में स्थित जंगलों में तीन से चार दिन तक हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था। वह आइईडी बनाने में भी माहिर था। वह उत्तरी कश्मीर में गुलाम कश्मीर की तरफ से घुसपैठ करने वाले आतंकियों को एलओसी से वादी के भीतरी इलाकों में सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उसके पास था।
अनंतनाग में पकड़ा गया कामरान: दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों ने विशेष सूचना पर लश्कर ए तैयबा के आतंकी फिरोज अहमद जरगर उर्फ कामरना को गिरफ्तार कर लिया। कोयमू कुलगाम का फिरोज अहमद ने सात जून को लश्कर में बतौर आतंकी सक्रिय हुआ था। इससे पहले वह लश्कर के लिए ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम करता था। उसका भाई माजिद जरगर उर्फ तल्हा वर्ष 2017 में अरवनी मे हुई मुठभेड़ मेें मारा गया था। माजिद लश्कर का डिवीजनल कमांडर था और दक्षिण कश्मीर में सक्रिय दुर्दांत आतंकियों में एक था। फिरोज सी श्रेणी के आतंकियों में सूचीबद्ध था और उस पर तीन लाख का इनाम था।