जम्मू से विशेष विमान में अर्धसैनिकबलों की तीन और कंपनियां वापस भेजीं, तीन दिनों में 50 कंपनियां हटाई गई
जम्मू से भेजी जाने वाली केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की इन तीनों कंपनियों के तीन सौ जवान जम्मू संभाग के जिला सांबा कठुआ राजौरी उधमपुर व रियासी में तैनात थे।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: शीतकालीन राजधानी जम्मू से केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की तीन और कंपनियों को विशेष विमान से पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भेज दिया दिया गया है। इन कंपनियों के जवानों को असम और त्रिपुरा में तैनात किया जाएगा। बीते तीन दिनों में जम्मू कश्मीर से पूर्वाेत्तर की तरफ जाने वाली अर्धसैनिकबलों की कपंनियों की संख्या लगभग 50 हो गई है।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू करने से पहले केंद्र सरकार ने बीएसएफ, सीआरपीएफ, आरपीएफ, सीआइएसएफ, एसएसबी और आइटीबी की अतिरिक्त टुकडिय़ों को जम्मू कश्मीर में तैनात किया था। अब हालात में बेहतरी के आधार पर गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की टुकडिय़ों को गत माह वापस उनके मूल नियुक्ति स्थलों पर फिर से स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
गत 25 नवंबर से तीन दिसंबर तक करीब 20 कंपनियों को झारखंड, कर्नाटक समेत पूर्वाेत्तर में भेजा गया था। इनके अलावा 30 और कंपनियों को 31 दिसंबर तक भेजा जाना तय हुआ था, लेकिन पूर्वाेत्तर में स्थिति को बिगड़ते देख न सिर्फ गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर से हटाए जाने वाले अर्धसैनिकबलों की संख्या बढ़ाई है बल्कि इस प्रक्रिया को तेज भी कर दिया है। गत बुधवार को अर्धसैनिकबलों की 10 कंपनियां को रवाना किया गया था और उसके बाद लगभग एक दर्जन कंपनियों को गत वीरवार को रवाना किया गया है।
जम्मू संभाग में तैनात थीं तीनों कंपनियां
जम्मू से भेजी जाने वाली केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की इन तीनों कंपनियों के तीन सौ जवान जम्मू संभाग के जिला सांबा, कठुआ, राजौरी, उधमपुर व रियासी में तैनात थे। इन सभी को शुक्रवार की सुबह जम्मू एयरपोर्ट से विशेष विमान के जरिए भेजा गया है। जम्मू कश्मीर में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका निभा रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों की सुरक्षा परिस्थितियों की समीक्षा के आधार पर ही संबंधित इलाकों से अर्धसैनिकबलों को हटाया जा रहा है।
आतंकरोधी अभियानों पर कोई असर नहीं
अर्धसैनिकबलों को हटाए जाने से आतंकरोधी अभियानों पर किसी तरह के नकारात्मक प्रभाव से इन्कार करते हुए नोडल अधिकारी ने कहा कि जिन सुरक्षाबलों को यहां जुलाई-अगस्त माह के दौरान बुलाया गया था, उन्हें काउंटर मिलिटेंसी आपरेशन में नहीं रखा गया था। उन्हें सिर्फ कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए ही बुलाया था। काउंटर मिलिटेंसी आपरेशनों के लिए तैनात जवानों में कोई कटौती नहीं है।