Pulitzer Prize 2020: चन्नी समेत जम्मू-कश्मीर के तीन फोटो जर्नलिस्ट को पुलित्जर पुरस्कार
जम्मू-कश्मीर के किसी प्रेस जर्नलिस्ट को पहली बार यह पुरस्कार मिला है। चन्नी आनंद यह उपलब्धि प्राप्त करने वाले जम्मू के एकमात्र फोटो जर्नलिस्ट हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर के फोटो जर्नलिस्ट चन्नी आनंद को पत्रकारिता में सबसे प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके अलावा प्रदेश के दो अन्य फोटो जर्नलिस्ट मुख्तार अहमद और यासीन डार को भी उनके साथ यह पुरस्कार मिला है। दक्षिण एशिया के किसी फोटो जर्नलिस्ट को पहली बार यह पुरस्कार मिला है।
चन्नी आनंद फोटो एजेंसी एपी के साथ काम करते हैं। यासीन डार और मुख्तार अहमद भी एपी से ही जुड़े हैं। यासीन डार और मुख्तार अहमद श्रीनगर के रहने वाले हैं। वे मुख्यत: कश्मीर के घटनाक्रम को कवर करते हैं जबकि चन्नी आनंद जम्मू प्रांत के मैदानों से लेकर आतंकवाद ग्रस्त डोडा और नियंत्रण रेखा से सटे राजौरी-पुंछ के हालात, सीमावर्ती लोगों के विस्थापन, भारत-पाक के बीच गोलाबारी से पैदा स्थिति और जम्मू-कश्मीर के सामाजिक व राजनीतिक घटनाक्रम पर काम करते हैं। तीनों को यह पुुरस्कार फीचर फोटोग्राफी वर्ग में मिला है।
पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित होने पर ईश्वर का आभार जताते हुए चन्नी आनंद ने कहा कि यह पुरस्कार सभी साथियों, दोस्तों के सहयोग का नतीजा है। मैंने पुलित्जर पुरस्कार के बारे में सुना था लेकिन कभी इसे प्राप्त कर पाउंगा, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। मेरे पास तो खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं है। जब मैंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी तो कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रेस फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। बाद में मैंने इनमें भाग लेना छोड़ दिया क्योंकि मैं यह मानने लगा था कि हम हिंदुस्तानी फाेटो जर्नलिस्टों के काम को मान्यता नहीं दी जाती। यह पहला अवसर है जब दक्षिण एशिया के प्रेस फोटो जर्नलिस्ट काे यह पुरस्कार मिला।
जम्मू के एक स्थानीय दैनिक से मीडिया में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले चन्नी आनंद वर्ष 2000 से एपी से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2004 में एपी के साथ बतौर फ्रीलांसर वीडियोग्राफर जुड़े यासीन डार दो वर्ष बाद एपी में बतौर छायाकार नियमित हुए। वह म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका के हिंसा ग्रस्त इलाकों में भी रिपोर्टिंग कर चुके हैं। वहीं मुख्तार अहमद भी एपी के साथ बीते 20 सालों से कार्यरत हैं।
यासीन डार ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में बताया कि न्यूयार्क स्थित हमारे मुख्यालय ने ही पुलित्जर पुरस्कार के लिए हमारी तस्वीरों का चयन कर उन्हें भेजा है। यह एक ग्रुप एंट्री थी।
जम्मू-कश्मीर के तीन छायाकारों को पुलित्जर पुरस्कार 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू किए जाने के बाद के हालात को बयां करती तस्वीरों के लिए प्रदान किया गया है। पुलित्जर निर्णायक मंडल ने इन तस्वीरों को स्ट्राइकिंग इमेजिस ऑफ लाइफ कहा है। पुलित्जर पुरस्कार पत्रकारिता जगत में सबसे अधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। हर साल पुलित्जर पुरस्कार की अधिकांश श्रेणियों में अमरीकी मीडिया ही आगे रहता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय वर्ग की कुछ श्रेणियों में गैर अमरीकी पत्रकार और छायाकार भी अपनी प्रतिभा साबित करने में आगे रहते हैं। सामान्य तौर पर पुल्तिजर पुरस्कारों की घोषणा कोलंबिया यूनिवर्सिटी न्यूयार्क में हाेती है, लेकिन इस बार कोविड-19 से पैदा हालात को देखते हुए इन पुरस्कारों की घोषणा पुलित्जर प्रशासक डाना कैनेडी ने यू टयूब पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए की है।
चन्नी आनंद समेत प्रदेश के तीन फोटो जर्नलिस्टों को इस उपलब्धि पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि बीते एक साल से जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां पत्रकारों के लिए काफी मुश्किल भरी रही हैं। बीते 30 साल के हालात को देखते हुए कुछ कहना कतई आसान नहीं है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए डार यासीन, मुख्तार अहमद और चन्नी आनंद को बधाई।
वहीं पीडीपी अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी इन तीनों को बधाई देते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के मीडियाकर्मी दुनियाभर में सराहना और सम्मान प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन घर में उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके अलावा जम्मू प्रेस क्लब और जम्मू-कश्मीर के मीडियाकर्मियों ने भी चन्नी आनंद, मुख्तार अहमद और यासीन डार को पुलित्जर पुरस्कार के लिए मुबारक दी है।