Move to Jagran APP

Jammu Kashmir: नजूल जमीन पर कब्जा रखने वालों ने भी उठाया रोशनी एक्ट का फायदा, रद होंगे सभी इंतकाल

नजूल एक्ट के तहत जिनके पास जमीन का कब्जा रहता है सरकार उन्हें चालीस साल के लिए जमीन लीज पर देती है। पहले यह अवधि नब्बे साल हुआ करती थी जिसमें संशोधन कर पूर्व राज्य सरकार ने लीज अवधि चालीस साल की थी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 02:28 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 02:30 PM (IST)
Jammu Kashmir: नजूल जमीन पर कब्जा रखने वालों ने भी उठाया रोशनी एक्ट का फायदा, रद होंगे सभी इंतकाल
हाईकोर्ट ने अब इस मामले पर सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: रोशनी एक्ट की आड़ में जहां-जहां बड़े-बड़े नेताओं ने सरकारी जमीन पर कब्जे किए, वहीं जिन्होंने जम्मू शहर में नजूल जमीन पर कब्जा कर रखा था और उन्हें सरकार ने यह जमीन लीज पर दे रखी थी, उन्हाेंने भी इस काले कानून का सहारा लेकर जमीन के मालिकाना अधिकार हासिल कर लिए। अब जबकि रोशनी एक्ट के तहत सभी लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है, वहीं नजूल जमीन का मालिकाना अधिकार पाने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी और राजस्व रिकार्ड में किए गए इंतकाल(जमीन के मालिक होने का राजस्व रिकार्ड) रद करके उन्हें दोबारा लीज पर जमीन दी जाएगी।

prime article banner

जम्मू शहर में नेशनल कांफ्रेंस के पार्टी कार्यालय समेत कई महत्वपूर्ण इमारतें है जो नजूल जमीन पर है और सरकार की ओर से रोशनी एक्ट के लाभार्थियों की जो सूची जारी की गई है, उसके अनुसार नेकां ने भी रोशनी एक्ट के तहत नजूल जमीन पर बने अपने पार्टी कार्यालय का मालिकाना अधिकार हासिल किया। नजूल एक्ट के तहत जिनके पास जमीन का कब्जा रहता है, सरकार उन्हें चालीस साल के लिए जमीन लीज पर देती है। पहले यह अवधि नब्बे साल हुआ करती थी जिसमें संशोधन कर पूर्व राज्य सरकार ने लीज अवधि चालीस साल की थी। अब अधिकांश मामलों में कब्जा करने वालों ने रोशनी एक्ट के तहत जमीन के मालिकाना अधिकार हासिल कर लिए थे।

क्या है नजूल जमीन: पुराने जम्मू शहर में जो भी सरकारी जमीन है, उसे नजूल का दर्जा दिया गया है। इसके लिए महाराजा के दरबार मुबारक मंडी को केंद्र बिंदू रखा गया और इस बिंदू के 13 किलोमीटर के दायरे में जो भी सरकारी जमीन थी, उसे नजूल जमीन का दर्जा दिया गया।

हाईकोर्ट में दायर हुआ आवेदन: नजूल जमीन का मालिकाना अधिकार पाने वालों की ओर से जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है जिसमें नजूल जमीन पर कब्जा रखने वालों को रोशनी एक्ट के लाभार्थियों से अलग रखने की मांग की गई है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक ऐसा कोई रिकार्ड पेश नहीं किया गया है जिससे यह पता चल सके कि रोशनी एक्ट के लाभार्थियों में नजूल जमीन वाले कितने थे और कितनी नजूल जमीन का रोशनी एक्ट के तहत मालिकाना अधिकार दिया गया। हाईकोर्ट ने अब इस मामले पर सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.