इस साल जैश को लगा करारा झटका, 18 नवंबर तक मारे गए 50 दहशतगर्द
घाटी में पहली जनवरी से 18 नवंबर 2018 तक मारे गए करीब 205 आतंकियों में 50 जैश के ही हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू । राज्य में एक बार फिर अपने आतंकराज को कायम करने का मंसूबा पाले जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को इस साल कश्मीर में खूब नुकसान उठाना पड़ा है। घाटी में पहली जनवरी से 18 नवंबर 2018 तक मारे गए करीब 205 आतंकियों में 50 जैश के ही हैं। इनमें अजहर मसूद का भतीजा उस्मान इब्राहिम भी शामिल है।
गौरतलब है कि जैश ए मोहम्मद वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2004 तक कश्मीर में खूब सक्रिय था, लेकिन वर्ष 2010 के बाद जैश ने धीरे-धीरे कश्मीर में अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू की। वर्ष 2013 के बाद उसके आतंकियों की घुसपैठ भी बढ़ने लगी। इस दौरान उसके आतंकियों ने वादी में नियमित आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने के बजाय सुरक्षाबलों के शिविरों व अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आत्मघाती हमलों तक खुद को सीमित रखा। हालांकि बीते तीन वर्षो से जैश ने स्थानीय आतंकियों की भर्ती शुरू की और हिज्ब व लश्कर की तरह एक बार फिर आतंकी गतिविधियों को शुरूकिया।
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद एक नए और बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहा है। इससे निपटने के लिए पुलिस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है। हालांकि बीते एक साल में जैश को कश्मीर में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे उसकी मारक क्षमता भी प्रभावित हुई है। इसके बावजूद वह अन्य आतंकी संगठनों के मामले में ज्यादा खतरनाक माना जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जैश के सरगना अजहर मसूद का पूरा ध्यान इस समय कश्मीर में अपनी जिहादी गतिविधियों पर लगा हुआ है। उसके परिवार के दो सदस्य बीते एक साल में यहीं कश्मीर में मारे गए हैं। बीते साल नवंबर में उसका भांजा तल्हा जिला पुलवामा में मारा गया और कुछ दिन पहले उसका भतीजा उस्मान इब्राहिम उर्फ उसामा त्रल में स्थानीय आतंकी संग मारा गया है। उस्मान इब्राहिम का बाप वर्ष 1999 में कंधार हाईजैक में शामिल था। इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 को जैश के आतंकियों ने हाईजैक कर कंधार पहुंचाया था। हवाई जहाज और यात्रियों को रिहा कराने के लिए केंद्र सरकार को अजहर मसूद समेत तीन आतंकियों को छोड़ना पड़ा था।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद किसी भी जगह कोई बड़ा हमला करने से पहले उसकी पूरी तरह रेकी कर जगह के हिसाब से ही हमले के लिए आत्मघाती दस्ते को चुनता है। बीते तीन वर्षो में जैश ने जो भी बड़े हमले किए हैं, वह सुरक्षाबलों के खिलाफ ही थे। इनमें पठानकोट एयरबेस, उड़ी ब्रिगेड, नगरोटा व सुंजवां ब्रिगेड पर हुए हमले उल्लेखनीय हैं। बीते दो वर्षो के दौरान हिज्ब और लश्कर के सभी प्रमुख कमांडरों के मारे जाने के बाद जैश ही ऐसा संगठन है, जिसके कैडर में दुर्दात और पूरी तरह प्रशिक्षित विदेशी लड़ाके स्थानीय आतंकियों की अपेक्षा ज्यादा हैं। जैश ने अफजल गुरु स्कवाड भी बना रखा है। यह स्कवाड संसद हमले में लिप्त अफजल गुरु को फरवरी 2013 में हुई फांसी का बदला लेने के लिए ही बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस समय कश्मीर में जैश के अधिकांश आतंकी जिला पुलवामा के त्रल, उत्तरी कश्मीर के सोपोर, बारामुला व हंदवाड़ा में सक्रिय हैं।