कश्मीर में इस साल 76 युवक आतंकी संगठनों में हुए शामिल, जुलाई में ही 9 युवक आतंकी बने
9 लड़कों में से 3 अल-बदर मुजाहिदीन के साथ जुड़े हैं। दक्षिण कश्मीर के पांच अन्य लड़कों में से दो हिजबुल मुजाहिदीन दो लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती हुए हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सरकार यह दावा कर रही है कि कश्मीरी युवकों के आतंकी संगठनों में भर्ती होने का सिलसिला कम हुआ है। परंतु जुलाई के पहले पखवाड़े में ही घाटी के नौ युवकों के विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल होने की बात सामने आई है। यही नहीं इनमें से दो युवकों के परिजनों ने तो सोशल मीडिया पर उनकी घर वापसी की अपील भी की है। वहीं पुलिस के अनुसार मौजूदा साल के पहले छह महीनों में 67 लड़के आतंकी बने हैं।
संबधित सूत्रों ने बताया कि जुलाई के पहले 15 दिनों में आतंकी बने 9 युवकों में से 8 दक्षिण कश्मीर के रहन वाले है। एक उत्तरी कश्मीर में जिला बांडीपोर का रहने वाला है। बांडीपोर से आतंकी बने युवक ने किस जिहादी तंजीम का दामन थामा है, यह तत्काल पता नहीं चल पाया है। अन्य 8 लड़कों में से 3 अल-बदर मुजाहिदीन के साथ जुड़े हैं। दक्षिण कश्मीर के पांच अन्य लड़कों में से दो हिजबुल मुजाहिदीन, दो लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती हुए हैं। अलबत्ता, पुलिस ने इन युवकों के आतंकी बनने की अधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं की है।
बांडीपोर के बाग इलाके से लापता आजाद अहमद शाह ने कश्मीर विश्वविद्यालय से एमसीए की डिग्री हासिल की है। वह अजस बांडीपोर में अपना एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट चला रहा था। उसके अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर एक अपील जारी कर उससे वापस लौटने को कहा है। दक्षिण कश्मीर में चुरसु अवंतीपोर के शोएब शफी बट के परिजनों काभी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह उससे घर लौटने की मार्मिक अपील कर रहे हैं। शोएब शफी पैरामेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। उसकी उम्र 21 साल बतायी जाती है।
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि जुलाई में लापता हुए अधिकांश लड़के पढ़े-लिखे और मध्यमवर्गीय परिवारों से ही संबंध रखते हैं। पुलिस ने भी इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज रखी है, लेकिन किसी का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। पुलिस अधिकारी दबे मुंह मानते हैं कि यह सभी आतंकी बन चुके हैं। लापता लड़कों के अभिभावक भी अपने बच्चों के आतंकी बनने की आशंका जताते हैं। जिहादी संगठनों से उन्हें घर वापस भेजने की अपील कर रहे हैं।
कश्मीर में आतंकी हिंसा पर नजर रखने वाले आसिफ कुरैशी ने कहा कि आइजीपी कश्मीर विजय कुमार का अपना बयान है कि इस साल जून तक 67 स्थानीय लड़के आतंकी बने हैं। उनमें 24 मारे गए हैं। पुलिस के विपरीत कई अन्य लोगों का दावा है कि जून तक आतंकी बनने वालों की संख्या 80 के ऊपर थी। इस माह भी नौ लड़के आतंकी बने हैं। ये वे लड़के हैं जिनकी गुमशाुदगी की रिपोर्ट उनके परिजनों ने दर्ज करायी है।
कई लड़कों के परिजन तो पुलिस तक पहुंचते भी नहीं हैं क्योंकि वे उन्हें अपने स्तर पर चुपचाप आतकी संगठनों से मुक्त करा घर लाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में आतंकी बने 9 लड़कों पर भी पुलिस ने चुप्पी साध रखी है। कुछ दिन पहले यहां श्रीनगर के नटीपोरा इलाके से एक युवक के घर से लापता होकर आतंकियों से जा मिलने की घटना सामने आयी है, लेकिन पुलिस ने आज तक इस पर चुप्पी साध रखी है।