Jagran Exclusive: आतंकवाद से त्रस्त जम्मू कश्मीर में फोरेंसिक एक्सपर्ट तक नहीं
जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही आतंकी घटनाओं के बाद भी फॉरेंसिक जांच पड़ताल नही हो पाती क्योंकि यहां फोरेंसिक लैब तो हैं पर फॉरेंसिक एक्सपर्टस नहीं हैं।
जम्मू, अवधेश चौहान। जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं आम हैं। पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठनों का इनमें हाथ होता है। लेकिन ऐसी घटनाओं की फोरेंसिक जांच पड़ताल कर अहम सुराग जुटाने में पापड़ बेलने पड़ जाते हैं और कई बार महज खानापूर्ति होकर रह जाती है। राज्य में फॉरेंसिक लैब तो हैं पर एक्सपर्टस नहीं हैं। तत्काल जांच न होने से कई बार अहम सुबूत मिट जाते हैं, जिससे आरोपितों तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।
मजूबरी में दिल्ली या अन्य राज्यों की तरफ नजर टिकानी पड़ती है। जम्मू में बस स्टेंड पर हुए ग्रेनेड हमले में भी खानापूरी के लिए सुराग जुटा लिए गए। पुलवामा आतंकी हमले की जांच पड़ताल में भी यही हाल हुआ था। राज्य में फॉरेंसिक एक्सपर्ट नहीं होने के कारण दिल्ली से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को अगले दिन मौके से सुबूत जुटाने के लिए आना पड़ा।
ये है हाल...
आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में कोई भी बैलेस्टिक एक्सपर्ट नहीं है, जो आतंकवादियों से बरामद हथियार और गोला-बारूद की जांच कर सके। हद तो यह है कि जम्मू फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में एक्सप्लोसिव, बैलेस्टिक, सेरोलॉजी, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट,बायोलॉजी और फिजिक्स के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में जांच के लिए कई सैंपल बाहरी राज्यों में भेजे जा रहे हैं जिनकी रिपोर्ट मिलने में कई महीने लग जाते हैं।
पुलवामा के बाद...
पुलवामा आतंकी हमले के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा जांच एजेंसी (एनआइए) को लेबोरेटरी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला, जिस कारण एनआइए के एक्सपर्ट की टीम दिल्ली से लेकर जम्मू पहुंची।
ग्रेनेड हमले के बाद...
हालही जम्मू मुख्य बस स्टेंड में हुए ग्रेनेड हमले की जांच के लिए भी कोई भी एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट नहीं मिल पाया। अन्य एक्सपर्ट ने इसके सैंपल भरे।
राज्य पुलिस के हाथों में...
हैरानी इस बात की है कि अन्य प्रदेशों में फॉरेंसिक लैब सीधे तौर पर केंद्रीय गृह विभाग के अधीन हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में इसकी देखरेख राज्य पुलिस के हाथ है।
करोड़ों रुपये मिले लेकिन...
जम्मू-कश्मीर में पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों रुपये की राशि केंद्र की ओर से जारी तो गई, लेकिन लेबोरेटरी के कायाकल्प के लिए इसे खर्च नहीं किया। एक्सपर्ट की कमी के चलते राज्य में करीब 1450 मामले लंबित पड़े हैं।
गंभीर नजरअंदाजी क्यों...
जम्मू कश्मीर में आम्र्ड फोर्सेंज स्पेशल एक्ट लागू है, जिसमें सेना को पूर्ण अधिकार हैं, ऐसे में जम्मू कश्मीर में फॉरेंसिक लैब में एक्सपर्ट का नहीं होना किसी गंभीर जांच को नजरअंदाज करने जैसा है। वैज्ञानिक सुबूतों पर ही जांच का दारोमदार होता है और इनके बगैर कोर्ट में चालान भी पेश नही हो सकता।