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इंसानियत शर्मसार: कश्‍मीर की ठंड में अस्पताल से निकाली महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, ठंड में नवजात की मौत

इंसानियत शर्मसार, गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के चलते परिजन उसे चारपाई पर लिटाकर अस्पताल पहुंचे। पूरा सफर बर्फ में पैदल ही करना पड़ा था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 04:20 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 04:20 PM (IST)
इंसानियत शर्मसार: कश्‍मीर की ठंड में अस्पताल से निकाली महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, ठंड में नवजात की मौत
इंसानियत शर्मसार: कश्‍मीर की ठंड में अस्पताल से निकाली महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, ठंड में नवजात की मौत

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे मूरी, कुपवाड़ा से श्रीनगर स्थित ललदेद अस्पताल में उपचार के लिए लायी गई एक गर्भवती महिला को अस्पताल प्रबंधन द्वारा भर्ती न करने पर सड़क किनारे ही ठंड में बच्चे को जन्म देना पड़ा। ठंड के कारण नवजात ज्यादा देर तक सांस नहीं ले पाया और उसकी मृत्यु हो गई। इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना के प्रकाश में आने के साथ ही जहां सियासी नेता इसकी निंदा में सक्रिय हुए हैं, वहीं राज्य प्रशासन ने दोषियों को दंडित करने के लिए मामले की जांच बैठा दी है।

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यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में मूरी और उसके साथ सटे इलाकों में इस समय तीन से पांच फुट बर्फ की माेटी चादर बिछी हुई है। बताया जाता है कि मूरी की रहने वाली एक गर्भवती महिला जिसका नाम सुरैया बेगम है, को प्रसव पीड़ा के चलते गत वीरवार को उसके परिजन उसे चारपाई पर लिटाकर कलारुस अस्पताल पहुंचे। इन लोगों को पूरा सफर बर्फ में पैदल ही करना पड़ा था। कलारुस स्थित स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों ने महिला को आवश्यक उपचार प्रदान करने के बाद जिला अस्पताल कुपवाड़ा भेज दिया। कुपवाड़ा अस्पताल के डाक्टरों ने महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे श्रीनगर रवाना किया।

श्रीनगर स्थित ललदेद अस्पताल में पहुंचने पर संबधित डाक्टरों ने कथित तौर पर पहले सुरैया बेगम को कुछ समय तक अंडर आब्जर्वेशन में रखा और उसके बाद उसे दाखिल करने से मना कर दिया। इस पर महिला को वहीं पास ही एक सड़क पर खुले में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। बताया जाता है कि वीरवार की रात साढ़े आठ बजे के करीब महिला ने बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के कुछ ही देर बाद बच्चे की मौत हो गई।

यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि मौसम विभाग के मुताबिक वीरवार की रात को श्रीनगर में तापमान शून्य से नीचे -0.7 डिग्री सेल्सियस था।

कलारुस अस्पताल के अधिकारियों ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि महिला की हालत बहुत गंभीर थी,इसलिए उन्होंने उसे कुपवाड़ा रेफर किया था। कुपवाड़ा अस्पताल के अधिकारियों ने भी यही तर्क देते हुए कहा कि ठंड के कारण महिला की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। इसलिए उसे श्रीनगर भेजा गया,क्योंकि श्रीनगर में सभी आवश्यक चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं।

श्रीनगर स्थित ललदेद अस्पताल और मेडिकल कालेज अस्पताल श्रीनगर के अधिकारियों ने इस घटना पर खेद जताते हुए कहा कि हमने पहले ही स्टाफ व डाक्टरों को निर्देश दे रखा है कि किसी भी दूर दराज के इलाके से आए बीमार को वापस न भेजा जाए,विशेषकर अंधेरा होने पर। फिलहाल,इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है जो पूरे प्रकरण की जांच करते हुए दोषियों की पहचान करेगी।

मंडलायुक्त कश्मीर बसीर अहमद खान ने कहा कि हमने गवर्नमेंट मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल को इस मामले की जल्द जांच करने और उन हालात का पता लगाने को कहा है जिनके चलते एक महिला को सड़क पर बच्चे को जन्म देना पड़ा है।

इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना के लिए जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हमने उन्हें दो दिन में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

इस मामले पर राज्य के राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया जताना शुरु कर दी है। पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफती ने इस घटना को लेकर टवीटर पर लिखा है यह अत्यंत दर्दनाक और दिल दहलाने वाला है कि एक गर्भवति महिला को उस अस्पताल से निकाला गया,जो कश्मीर की एक महान महिला संत ललदेद के नाम पर है। बाद में पीड़ित महिला ने जमा देने वाली ठंड में ही बच्चे को जन्म दिया जो बच नहीं सका। इस आघात पर माता-पिता को पहुंची पीड़ा और तकलीफ का शायद ही कोई अंदाजा लगा सकता है।

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उम्मीद करता हूं कि राज्यपाल प्रशासन इस दुखद घटना पर त्वरित कार्रवाई करेगा ताकि दोबारा इस तरह की घटनाएं न हों।

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर ने कहा कि ललदेद अस्पताल में एक महिला को अस्पताल में भर्तीकरने के बजाय संबधित लोगों ने उसे बाहर निकला दिया और उसे सड़क पर बच्चे को जन्म देना पड़ा। यह बच्चा ठंड में जिंदा नहीं रह सका। यह घटना अत्यंत शर्मनाम,निंदनीय और दुर्भाग्यजनक है। स्वास्थ्य प्रशासन को विशेषक राज्य प्रशाासन को इस घटना का सख्त नोटिस लेते हुए राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी और महिला को यूं अस्पताल से निकाले जाने पर सड़क पर बच्चे को जन्म न देना पड़े। अस्पताल में डाक्टरों ने जो महिला के साथ व्यवहार ककिया है,वह डाक्टरों के लिए अशोभनीय और मानवता के उसूलों के खिलाफ हैॅ। इस घटना की जांच होनी चाहिए।  


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