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अनुशासित जीवन जीने की पद्धति है देश का संविधान, स्वयंसेवकों से राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी बताई

संविधान हमें व्यापक अधिकार देता है। हमारे संविधान की यही विशेषता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लाेकतंत्र सुचारु रूप संचालित होता है।संविधान अनुशासित जीवन जीने की पद्धति है और राष्ट्रीय सेवा योजना से विद्यार्थियों का समग्र विकास हो सकता है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 04:29 PM (IST)
अनुशासित जीवन जीने की पद्धति है देश का संविधान, स्वयंसेवकों से राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी बताई
संविधान दिवस पर केंद्रीय संस्कृत विद्यालय रणवीर परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से कार्यक्रम किया गया।

जम्मू, जेएनएन : स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स राज भवन के निदेशक शक्ति पाठक ने कहा कि संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों के द्वारा ही नागरिक अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। संविधान हमें व्यापक अधिकार देता है। हमारे संविधान की यही विशेषता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लाेकतंत्र सुचारु रूप संचालित होता है। पाठक ने ये बातें शुक्रवार को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संविधान दिवस पर केंद्रीय संस्कृत विद्यालय रणवीर परिसर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। इस सेवा योजना कार्यक्रम का उद्घाटन आनलाइन और आफलाइन दोनों मोड में किया गया।

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कार्यक्रम में शिक्त पाठक ने संविधान में बताये गये विभिन्न आयामों की विस्तार से व्याख्या की तथा सामुदायिक सेवा की भावना को जागृत करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना की आवश्यकता पर जोर दिया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथिग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग के उपसचिव डॉ. उधम दास शर्मा ने कहा कि संविधान अनुशासित जीवन जीने की पद्धति है और राष्ट्रीय सेवा योजना से विद्यार्थियों का समग्र विकास हो सकता है। वहीं हिमाचल आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, जांगला की सह आचार्या ड. स्नेहलता भारद्वाज ने वर्चुअल मोड से राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों को राष्ट्रीय सेवा व समाज के प्रति जिम्मेदारियों का बोध कराया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर के निदेशक प्रो. मदन मोहन झा ने की। उन्होंने कहा कि संविधान में निहित मूल्यों के द्वारा देश के प्रत्येक नागरिक का आत्मविकास हो सकता है। संविधान ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे व्यक्ति देश का एक श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इस अवसर पर निदेशक और परिसर के अध्यापकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा और अतिथियों का सम्मान किया। इस मौके पर शरत् चन्द शर्मा, डा. दीपक कुमार शर्मा, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डा. योगेन्द्र दीक्षित, राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी पंकज, विश्वविद्यालय के प्रो. मनोज कुमार मिश्र, प्रो. प्रभात कुमार महापात्र, प्रो. सतीश कुमार कपूर, डा. कैलास चन्द्र दाश, विशाल महाजन, मनीन्दर सिंह, कमल किशोर, कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के सचिव राकेश गंडोत्रा आदि उपस्थिति रहे।


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