Move to Jagran APP

जम्मू-कश्मीर: चार पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा संभाल रही एसएसजी को भंग करने की तैयारी

एसएसजी का गठन वर्ष 1996 में डा. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार ने किया था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद 31 मार्च 2020 में एसएसजी अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के प्रविधान को हटा दिया गया था।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 06:42 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jan 2022 08:00 PM (IST)
सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाला जम्मू कश्मीर पुलिस की एसएसजी जल्द ही इतिहास का हिस्सा बनने जा रही है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों डा. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, महबूबा मुफ्ती और उनके स्वजन की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहा जम्मू कश्मीर पुलिस का विशेष सुरक्षा दल (एसएसजी) जल्द इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। करीब 15 साल पहले गठित एसएसजी को प्रदेश सरकार पूरी तरह भंग करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सुरक्षा व्यवस्था को तार्किक बनाने और सुधार की इस प्रक्रिया के बाद चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा का जिम्मा संबंधित जिला पुलिस या पुलिस का सुरक्षा ङ्क्षवग संभालेगा। अलबत्ता, चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेड प्लस श्रेणी की सुविधा पहले की तरह उपलब्ध रहेगी। एसएसजी को भंग करने के बाद इसके अधिकारियों व जवानों को उनके साजो सामान समेत सुरक्षा ङ्क्षवग और उपराज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) में भेजा जाएगा।

loksabha election banner

एसएसजी का गठन वर्ष 1996 में डा. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार ने किया था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद 31 मार्च 2020 में एसएसजी अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्रियों व उनके स्वजन को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के प्रविधान को हटा दिया गया था। एसएसजी में अधिकारियों व जवानों का सेवाकाल पांच से सात साल तक होता है। परिस्थितियों के आधार पर इसमें नियुक्त अधिकारियों व जवानों को समय से पहले भी हटाया जा सकता है।

जम्मू कश्मीर पुलिस से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने पर बताया कि एसएसजी का गठन जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्रियों और उनके स्वजन की सुरक्षा के लिए किया गया था। अब जम्मू कश्मीर राज्य समाप्त हो चुका है। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है, इसलिए अब एसएसजी को भंग किया जा सकता है या फिर इससे संबंधित कानून में व्यापक संशोधन करना होगा। उन्होंने बताया कि बीते दिनों सुरक्षा समन्वय समिति की सुरक्षा बैठक हुई थी। यह समिति जम्मू कश्मीर में प्रमुख राजनीतिक नेताओं और जन प्रतिनिधियों की सुरक्षा व्यवस्था की नियमित अंतराल पर समीक्षा करते हुए उसमें आवश्यता अनुसार बदलाव करती है। समिति की बैठक में ही एसएसजी और चारों पूर्व मुख्यमंत्री के स्वजन के सुरक्षा चक्र पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ। चर्चा के बाद समिति ने एसएसजी को भंग करने और तब तक इसके अधिकारियों व जवानों की संख्या में कटौती का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि एसएसजी में अब डीआइजी और एसएसपी रैंक के अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जाएगी। जब तक इसे पूरी तरह भंग नहीं किया जाता, तब तक एएसपी या फिर डीएसपी रैंक का अधिकारी इसका जिम्मा संभालेगा।

कई भंग करने के बजाए जवानों की संख्या न्यूनतम करने के हक में :

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू कश्मीर पुलिस के कई अधिकारी एसएसजी को पूरी तरह भंग किए जाने के फैसले के हक में नहीं हैं। उनके मुताबिक, जम्मू कश्मीर प्रदेश मेें देर सवेर विधानसभा के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री भी होगा। उस स्थिति में एसएसजी जैसे संगठन की दोबारा जरूरत होगी। इसलिए वह चाहते हैं कि इसे पूरी तरह भंग करने के बजाय इसके अधिकारियों व जवानों की संख्या को न्यूनतम स्तर पर लाया जाए।

जेड प्लस श्रेणी का सुरक्षा कवच बरकरार रहेगा :

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चारों पूर्व मुख्यमंत्री जेड प्लस श्रेणी के सुरक्षा कवच में आते हैं और उन्हें यह सुविधा पहले की तरह उपलब्ध रहेगी। फारूक अब्दुल्ला के साथ एनएसजी के कमांडो हमेशा तैनात रहते हैं। गुलाम नबी आजाद अधिकांश समय दिल्ली में रहते हैं, इसलिए उन्हें दिल्ली के सुरक्षा परिदृश्य के आधार पर सुरक्षा कचच प्रदान किया जाएगा। वह जब जम्मू कश्मीर आएंगे तो उन्हें तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर जम्मू कश्मीर पुलिस सुरक्षा प्रदान करेगी। इसके अलावा, जिला पुलिस और पुलिस का सुरक्षा ङ्क्षवग इन सभी नेताओं व इनके स्वजन की सुरक्षा का लगातार आकलन करते हुए सुरक्षा कवच तैयार करेगा। अलबत्ता, एसएसजी भंग होने के बाद स्वजन भी इससे वंचित हो जाएंगे।

एसएसजी के हथियार सुरक्षा विंग व एसएसएफ को सौंपे जाएंगे :

उन्होंने बताया कि एसएसजी में तैनात सभी पुलिस अधिकारियों व जवानों को उनके मूल विंग में भेजा जाएगा। इनमें से अधिकांश को जम्मू कश्मीर पुलिस के सुरक्षा विंग और उपराज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एसएसएफ में भेजा जाएगा। सुरक्षा विंग मेंं पुलिस ने बीते माह ही विस्तार किया है। उसमें दो वाहिनियों को और शामिल किया गया है। एसएसजी के पास जो सुरक्षा उपकरण और हथियार हैं, उन्हें सुरक्षा विंग व एसएसएफ को सौंपा जाएगा। एसएसफ का गठन वर्ष 2018 में तत्कालीन उपराज्यपाल एनएन वोहरा के नेतृत्व में प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने किया था। एसएसएफ का गठन राज्यपाल की सुरक्षा को सुनिश्ति बनाने के लिए किया गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.