परिसीमन की प्रक्रिया अंतिम दौर में, अपत्तियों और सुझावों का दस्तावेज कल सौंप सकती है नेशनल कांफ्रेंस
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत गठिति केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में विधानसभा का प्रविधान है। प्रदेश में परिसीमन की प्रक्रिया जारी है और 83 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को बढ़ाकर 90 किया जाना है। गुलाम कश्मीर के कोटे की 24 सीटों की स्थिति यथावत रहेगी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में जारी परिसीमन की प्रक्रिय अपने अंतिम दौर मेें पहुंच चुकी है। अगले एक दो माह में आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट देगा और पहली बार जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातीय वर्ग के लिए नौ सीटें आरक्षित हो जाएंगी। अभी इन प्रस्तावित नौ विधानसभा क्षेत्रों को सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इनमें से चार कश्मीर घाटी में होंगे, जबकि पांच जम्मू प्रांत राजौरी, पुंछ आैर रियासी जिले में होंगे। इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस ने परिसीमन आयोग की प्रस्तावित रिपोर्ट को लेकर अपनी आपत्तियों और सुझावों का एक दस्तावेज तैयार कर लिया है। इसे वह शुक्रवार को आयोग को सौंपेगी।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत गठिति केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में विधानसभा का प्रविधान है। प्रदेश में परिसीमन की प्रक्रिया जारी है और 83 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को बढ़ाकर 90 किया जाना है। गुलाम कश्मीर के कोटे की 24 सीटों की स्थिति यथावत रहेगी। परिसीमन आयोग ने 20 दिसंबर की अपनी बैठक में प्रदेश में नए सात प्रस्तावित निर्वाचन क्षेत्रों का जिक्र किया है, लेकिन उसने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की जाने वाली सीटों के बारे में कोई ज्यादा खुलासा नहीं किया था। पांच अगस्त, 2019 से पहले के एकीकृत जम्मू कश्मीर राज्य में सिर्फ अनुसूचित जातियों को ही आरक्षण प्राप्त था, लेकिन कभी भी उनकी आरक्षित सीटों का क्रम नहीं बदला गया था। अनुसूचित जनजातियों के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं थी। एकीकृत जम्मू कश्मीर राज्य में 87 सीटों पर मतदान होता था।
परिसीमन की प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अनुसूचित जनजातियों के लिए कश्मीर घाटी में जो चार आरक्षित सीटें प्रस्तावित हैं, उनमें कोकरनाग, पहलगाम, कंगन और बांडीपोर है। अन्य पांच सीटें जम्मू प्रांत के राजौरी, पुंछ और रियासी जिले में हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि आयोग चाहता है कि अनुसूचित जनजातियों को उन इलाकों में भी प्रतिनिधित्व मिले, जहां उनकी आबादी कम है या फिर जिस क्षेत्र विशेष में बहुसंख्यक होने के बावजूद उनका कोई प्रतिनिधि कभी विधानसभा में नहीं पहुंचा है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की जाने वाली सभी नौ सीटों का क्रम लगातार बदलेगा। प्रदेश में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, उनसे पहले पुरानी आरक्षितों सीटों को सामान्य श्रेणी में लाते हुए, नयी सीटों को आरक्षित किया जाएगा।
आरक्षण पर नहीं, जम्मू को अधिक सीटें मिलने पर नेकां को एतराज : नेशनल कांफ्रेंस के सांसद जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने कहा कि 20 दिसंबर को हमने परिसीमन आयोग के पेपर-एक पर चर्चा की थी। उसे लेकर हमने अपने एतराज से सभी को अवगत कराया था। उसमें अनुसूचित जनजताियों के लिए आरक्षित की जाने वाली सीटों का कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं था और न उन पर चर्चा हुई थी। अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण को लेकर हमेें कोई आपत्ति नहीं है और न अनुसूचित जातियों के आरक्षण के हम खिलाफ हैं। हम सिर्फ नियमों की अनदेखी कर कश्मीर के बजाय जम्मू में सीटें बढ़ाए जाने के खिलाफ हैं। इसके अलावा परिसीमन आयेाग असंवैधानिक है। हमने इस पूरे मुददे पर अपने सुझाव, आपत्तियों का एक दस्तावेज तैयार कर लिया है। शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला या पार्टी द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य नेता इसे आयोग को सौंपेगा। इसके बाद हम जनता को भी आयेाग को सौंपे गए अपने सुझावों व आत्तियों से अवगत कराएंगे।