जून में विधानसभा चुनाव की संभावना, जुलाई में पूरे होंगे राष्ट्रपति शासन के छह माह
राज्य पुलिस संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चुनाव पर्यवेक्षकों से बातचीत में पुलिस ने स्पष्ट कहा है कि वह किसी भी समय चुनावों के लिए तैयार है बशर्ते पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध हों।
नवीन नवाज, जम्मू। राज्य में पाक रमजान के संपन्न होने के साथ ही जून में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरु हो सकती है। संभवत: यह चुनाव सात चरणों में होंगे। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में गत जून माह के दौरान पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के भंग होने के बाद से दिसंबर माह तक राज्यपाल शासन रहा और उसके बाद से राज्यपाल बतौर राष्ट्रपति के प्रतिनिधि राज्य में प्रशासनिक प्रमुख के तौर पर राज-काज चला रहे हैं। राष्ट्रपति शासन के छह माह जुलाई में पूरे होंगे।
केंद्र का प्रयास है कि तीन जुलाई को राष्ट्रपति शासन के छह माह पूरे होने से पहले राज्य में विस चुनाव करा, राज्य में निर्वाचित सरकार का गठन किया जाए। इसलिए परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर राज्य के 22 जिलों में फैले 87 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान की प्रक्रिया मई माह के अंत से जून माह के तीसरे सप्ताह तक निपटायी जा सकती है।
विधानसभा चुनाव न करवाने पर राजनीतिक दलों ने किया था विरोध
राज्य में भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य सभी राजनीतिक दल अपने दलगत मतभेदोें से ऊपर उठकर राज्य में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन जब चुनाव आयेाग ने गत दिनों राज्य में सिर्फ संसदीय चुनाव कराने का एलान करते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों से विधानसभा चुनाव कराने लायक माहौल नहीं है तो नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस, माकपा समेत विभिन्न दलों ने कड़ा एतराज व निराशा जताई थी। नेकां उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सीधे शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव टाल, उन्होंने अलगाववादी खेमे के आगे घुटने टेके हैं। उन्होंने कहा कि यह बात मेरी समझ से परे है कि लोस चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देकर विस चुनाव टाले गए हैं,क्यों। महबूबा मुफ्ती ने भी विधानसभा चुनावों को टाले जाने पर केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि केंद्र यहां अपने एजेंडे को लागू करने के लिए ही चुनाव टाल रहा है।
पुलिस महानिदेशक ने कहा था कि दोनों चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं
राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनवरी माह के दौरान केंद्रीय चुनाव आयेाग के साथ बैठक में राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा था कि राज्य के सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए पहले संसदीय चुनाव कराए जाएं और उसके बाद ही विधानसभा चुनाव होने चाहिए। अगर चुनाव आयोग दोनों चुनाव एक साथ कराना चाहता है तो राज्य में सुरक्षा का माहौल बनाए रखने के लिए चुनाव ड्यूटी के लिए केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की एक हजार अतिरिक्त कंपनियां प्रदान करनी होंगी। गत फरवरी माह के दौरान भी राज्य पुलिस महानिदेशक और राज्य गृह विभाग ने अलग-अलग पत्र लिखकर बताया था कि राज्य में लोस और विस चुनाव कराने के लिए अर्धसैनिकबलों की कम से कम एक हजार कंपनियां अतिरिक्त तैनात करनी पड़ेंगी।
चुनावों में सभी प्रत्याशियों की सुरक्षा को यकीनी बनाना भी मुश्किल
राज्य पुलिस ने कथित तौर पर अपने एक अन्य पत्र में कहा था कि लोस और विस चुनावों में एक साथ सभी प्रत्याशियाें की सुरक्षा काे यकीनी बनाना बहुत मुश्किल है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने राज्य में एक हजार अर्धसैनिकबल कंपनियां भेजने में असमर्थता जताते हुए कहा था कि पूरे देश में संसदीय चुनावों के चलते जम्मू कश्मीर को अर्धसैनिकबलों की एक हजार अतिरिक्त कंपनियां नहीं दी जा सकती। सिर्फ 500 कंपनियां ही दी जा सकती हैं। लिहाजा, विधानसभा चुनाव बाद में कराने पर ही मूक सहमति हुई।
पर्यवेक्षकों ने राज्य का दौरा कर सुरक्षा हालात का जायजा लिया
राज्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने पहले ही दिन कह दिया था कि तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं जो जम्मू कश्मीर का दौरा कर हालात का जायजा लेते हुए विधानसभा चुनावों को जल्द कराने की संभावना तलाशेंगे। इन तीन पर्यवेक्षकों में पूर्व नौकरशाह अमरजीत सिंह गिल, पूर्व महानिदेशक सीआरपीएफ नूर मोहम्मद और पूर्व नौकरशाह विनोद जुत्शी शामिल हैं, यह लोग गत वीरवार को राज्य दौरे पर पहुंचे। इन लोगों ने कश्मीर में सुरक्षा मुददे पर संबधित अधिकारियों से बैठक की। इसके अलावा इन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों से भी मुलाकात की है। अलबत्ता, इन लोगों ने क्या रिपोर्ट तैयार की है,यह यही जानते हैं या फिर केंद्रीय चुनाव आयोग।
पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध हों तो पुलिस चुनावों के लिए तैयार है
अलबत्ता, राज्य पुलिस संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चुनाव पर्यवेक्षकों से बातचीत में पुलिस ने स्पष्ट कहा है कि वह किसी भी समय चुनावों के लिए तैयार है, बशर्ते पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों में हमारी रियासत में 60 से 70 उम्मीदवार ही छह क्षेत्रों में चुनाव लड़ते हैं जबकि विधानसभा चुनावों में यह संख्या 500 से ऊपर जा सकती है। इसके अलावा विस चुनावों में मतदान केंद्रों की संख्या भी ज्यादा होती है, चुनावी रैलियां और बैठकें भी लोसभा चुनावों से ज्यादा होती हैं। मई माह के दूसरे पखवाड़े में लोसभा चुनाव प्रक्रिया लगभग संपन्न् हो चुकी होग। विभिन्न राज्य में तैनात अर्धसैनिकबलों को उस समय जम्मू कश्मीर में चुनाव डयूटी के लिए भेजना केंद्रीय गृहमंत्रालय के लिए मुश्किल नहीं होगा। इसलिए उस समय यहां यह विधानसभा चुनावों की मतदान प्रक्रिया शुरु कराए जाने की संभावना है। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि हमे जिस समय कहा जाएगा, हम उसी समय विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हैं।