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Jammu : जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में हुआ भित्ति पत्रिका ‘शारदा’ का लोकार्पण

शारदा पीठ सिर्फ जम्मू-कश्मीर का ही नहीं बल्कि भारत देश और विश्व स्तर का ज्ञान केंद्र रहा है। उसी की सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए इस पत्रिका का नामकरण शारदा किया गया है। यह एक ऐसा मंच है जो विद्यार्थियों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेगा।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 05:01 PM (IST)
Jammu : जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में हुआ भित्ति पत्रिका ‘शारदा’ का लोकार्पण
त्रैमासिक भित्ति पत्रिका ‘शारदा’ का लोकार्पण शुक्रवार को किया गया।

जम्मू, जागरण संवाददाता: जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी व अन्य भारतीय भाषा विभाग की त्रैमासिक भित्ति पत्रिका ‘शारदा’ का लोकार्पण शुक्रवार को किया गया। लोकार्पण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक ऐमा ने किया। उन्होंने पत्रिका में विद्यार्थियों को बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अभी से लेखन प्रक्रिया शुरू होगी तो आगे जाकर इसका काफी लाभ हो सकता है। हर विद्यार्थी की कोशिश होनी चाहिए कि उसकी नई रचना इस पत्रिका में प्रकाशित हो। इस अवसर पर उन्होंने हिंदी विभाग की विभिन्न गतिविधियों के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की।

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विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण और हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. रसाल सिंह ने कहा कि भित्ति पत्रिका ‘शारदा’ का उद्देश्य विश्वविद्यालय में साहित्यिक-सांस्कृतिक वातावरण निर्मित करना है। शारदा पीठ सिर्फ जम्मू-कश्मीर का ही नहीं, बल्कि भारत देश और विश्व स्तर का ज्ञान केंद्र रहा है। उसी की सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए इस पत्रिका का नामकरण शारदा किया गया है। यह एक ऐसा मंच है जो विद्यार्थियों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करेगा।

उन्होंने विभाग की अन्य गतिविधियों के बारे में भी बताया। इन गतिविधियों में आचार्य रघुवीर विशेष व्याख्यान माला, रचना से मुलाकात, फुलवारी और नेट-जेआरएफ की तैयारी के लिए विशेष कक्षाओं का संचालन आदि प्रमुख हैं। इस भित्ति पत्रिका के परामर्शदाता डा. शशांक शुक्ल ने पत्रिका की परिकल्पना और रूपरेखा को लेकर अपने विचार रखे।

उन्होंने बताया कि पत्रिका में युवा मन, स्त्री मन, धरोहर और नवांकुर जैसे कॉलमों को स्थान दिया गया है। भित्ति पत्रिका शारदा के प्रथम अंक का संपादन शोधार्थी पीयूष कुमार और सुशील कुमार ने किया है। इस अवसर पर हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के अन्य शिक्षक डा. वंदना शर्मा, डा. विनय शुक्ल, डा. रत्नेश यादव और डा. अरबिंद यादव भी उपस्थित थे। उनके अलावा अन्य विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। 


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