Move to Jagran APP

Loudspeaker Controversy : जम्मू में गर्माने लगा लाउडस्पीकर का मुद्दा, विपक्षी दल इसे राजनीतिक रंग देने में लगे

जम्मू में लाउडस्पीकर को लेकर सरगर्मियां जोर पकड़ रही हैं। जम्मू नगर निगम प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर इस पर कार्रवाई शुरू करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 03:05 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 03:05 PM (IST)
Loudspeaker Controversy : जम्मू में गर्माने लगा लाउडस्पीकर का मुद्दा, विपक्षी दल इसे राजनीतिक रंग देने में लगे
ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 में लाउडस्पीकर और सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि के स्तर पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : शहर में अवैध लाउडस्पीकर हटाने पर चर्चाएं तेज होना शुरू हो गई हैं और विभिन्न पार्टियों की प्रतिक्रिया आने लगी हैं। विपक्षी इसे भाजपा की राजनीति करार देे रहे हैं तो भाजपा ध्वनि प्रदूषण के नियमों को सख्ती से लागू करवाने के पक्षधर है। भाजपा इस कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाते हुए नियमों का पालन करवाना चाह रही है।

loksabha election banner

जम्मू में लाउडस्पीकर को लेकर सरगर्मियां जोर पकड़ रही हैं। जम्मू नगर निगम, प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर इस पर कार्रवाई शुरू करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

जम्मू नगर निगम ने जनरल हाउस में 17 मई को शहर में अवैध तरीके से लगे लाउडस्पीकर हटाने और निर्धारित ध्वनि में ही इन्हें चलाने देने की अनुमति होने का प्रस्ताव पारित किया था। चूंकि उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर पर कार्रवाई के बाद देश भर में यह एक मुद्दा बन गया है। अब जम्मू में कार्रवाई की तैयारी है और विभिन्न संगठनों, पार्टियों के नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी हैं। भिन्न रिपोर्ट में सामने आया है कि जिस तरह के लाउडस्पीकर मंदिरों और मस्जिदों में लगे होते हैं, उनसे करीब 100 से 120 डेसीबल साउंड पैदा होता है। ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 में लाउडस्पीकर और सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि के स्तर पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए है। साइलेंट जोन यानि धार्मिक स्थल, शैक्षाणिक संस्थान, अस्पताल आदि के सौ मीटर के दायरे में 50 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि वर्जित है।

यह हैं नियम

  • औद्योगिक क्षेत्र : दिन में 75 डेसीबल, रात में 70 डेसीबल
  • कामिर्शयल क्षेत्र : दिन में 65 डेसीबल, रात में 55 डेसीबल
  • रिहायशी क्षेत्र : दिन में 55 डेसीबल, रात में 45 डेसीबल
  • साइलेंट जोन : दिन में 50 डेसीबल, रात में 40 डेसीबल

(ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के अनुसार)

‘भाजपा लाउडस्पीकर को राजनीतिक रंग न दे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत कार्रवाई ही हो लेकिन अफसोस की बात है कि सरकार को न तो बेरोजगारी दिख रही है और न ही अन्य मुद्दे। सिर्फ लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाकर धार्मिक और राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। लोगों की आस्था से नहीं खेला जाना चाहिए। जब लाउडस्पीकर नहीं थे, तब भी सारे कार्यक्रम चलते थे। लिहाजा इसे मुद्दा न बनाया जाए।’ -वीरेंद्र सिंह साेनू, उपप्रधान, पीडीपी यूथ

‘सिर्फ उन्हें लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति होनी चाहिए जिन्होंने इसकी अनुमति ली है। शेष लाउडस्पीकर हटाए जाने चाहिए। एक जांच कमेटी होनी चाहिए जो पता नियमों का पालन नहीं करने वालों को सूचीबद्ध करे और उन पर कार्रवाई की जा सके। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन होना ही चाहिए। रात 10 से सुबह 6 बजे तक इन्हें चलाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।’ -संजय बडू, वरिष्ठ भाजपा नेता

‘स्पीकर पर रियासत करना बंद करे भारतीय जनता पार्टी। कोई विकास की बात होनी चाहिए। बिजली, पानी जैसे मसले उठाए जाने चाहिए। शुरू से ही लाउडस्पीकर चल रहे हैं। हर धर्म में इनका इस्तेमाल होता है। भाजपा इसे चुनावी रंग दे रही है। यह ठीक नहीं। सर्वोच्च न्यायालय के जो निर्देश हैं, उनके अनुसार काम किया जाए। इसमें किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। धार्मिक रंग देने से माहौल खराब होता है।’ -सोबत अली, वरिष्ठ कांग्रेस नेता  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.