Jammu Kashmir Lockdown Effect: उद्यमियों ने कहा- माल के लिए बाजार मिले तो सरपट दौड़े उद्योगों का पहिया
खुदरा बाजार पर निर्भर इन फैक्टरियों में से कुछ ने उत्पादन शुरू किया है क्योंकि उन्हें सरकारी एजेंसियों व ठेकेदारों से कुछ आर्डर मिले हैं।
जम्मू, ललित कुमार। प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने के लिए रॉ मैटेरियल है। श्रमिकों की भी कमी नहीं। उत्पादन शुरू करने की प्रशासन ने अनुमति भी दी है, इसके बावजूद डेढ़ महीने से फैक्टरी में कामकाज बंद है। जम्मू-कश्मीर में ऐसी कई फैक्टरियां हैं जिनके पास उत्पादन शुरू करने की अनुमति है लेकिन कामकाज शुरू नहीं हुआ।
जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक क्षेत्रों में इस समय नब्बे फीसद फैक्टरियों में उत्पादन शुरू हो गया है। अगर सीमित ही सही, बाजार खुल जाए तो खुदरा बाजार पर निर्भर शेष दस फीसद औद्योगिक इकाइयों में भी उत्पादन शुरू हो जाएगा। बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध न होने के कारण उद्यमियों ने काम शुरू नहीं किया है। प्लास्टर आफ पेरिस, पेंट व पीवीसी श्रेणी की ये फैक्टरियां सीधे खुदरा बाजार से जुड़ी हैं। इन फैक्टरियों का उत्पाद सीधे बाजार में बिकता है। बाजार 25 मार्च से बंद है। बड़ी ब्राrाणा औद्योगिक क्षेत्र में प्लास्टर आफ पेरिस की फैक्टरी चलाने वाले विशाल मल्होत्र बताते हैं कि लॉकडाउन-2 में उन्हें उत्पादन शुरू करने की अनुमति मिल गई थी। श्रमिक भी हैं लेकिन माल तैयार करें तो बेचेंगे कहां?
4802 फैक्टरियों में उत्पादन : उद्योद विभाग की निदेश्र अनु मल्होत्र के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 4802 फैक्टरियों में उत्पादन शुरू हो चुका है। जम्मू संभाग में 2727, कश्मीर संभाग में 2075 फैक्टरियों में उत्पादन चल रहा है।
स्टोन क्रशर को भी मंजूरी : निर्माण कार्यो में रेत-बजरी की जरूरत को देखते हुए स्टोन क्रशर चलाने की अनुमति दे दी है। सभी स्टोन क्रशर प्रबंधकों को शारीरिक दूरी अपनाकर काम करने की अनुमति दी। स्टोन क्रशर खुलने से विकास कार्यो को गति मिलेगी।
सरकारी खरीद के भरोसे खुलीं कुछ फैक्टरियांः खुदरा बाजार पर निर्भर इन फैक्टरियों में से कुछ ने उत्पादन शुरू किया है क्योंकि उन्हें सरकारी एजेंसियों व ठेकेदारों से कुछ आर्डर मिले हैं। लॉकडाउन-2 में सरकार ने मनरेगा के तहत कार्य शुरू करने के साथ शहरी इलाकों में भी कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके चलते सीमेंट, सीमेंट टाइल, प्लास्टर आफ पेरिस, पेंट व पीवीसी की कुछ फैक्टरियों ने उत्पादन शुरू किया है।
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज जम्मू ने लॉकडाउन के बीच औद्योगिक उत्पादन जारी रखने के लिए सरकारी सहयोग को समय की जरूरत करार देते हुए कहा है कि उद्योग जगत इस समय भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। लिहाजा तत्काल आर्थिक राहत प्रदान की जानी चाहिए। फेडरेशन के चेयरमैन ललित महाजन के अनुसार औद्योगिक उत्पादन काफी सीमित हो चुका है, लिहाजा उद्योगपति इस समय अपने कर्मचारियों-श्रमिकों को अप्रैल 2020 का वेतन, बैंक का ब्याज, बिजली किराया व अन्य सरकारी देनदारियां चुकाने की हालत में नहीं है। महाजन ने कहा कि कोविड-19 के बाद की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है जो पंद्रह मई तक औद्योगिक क्षेत्र, पर्यटन व होटल उद्योग को आर्थिक राहत पर अपने सुझाव रखेगी। ऐसे में जरूरी है कि इसमें उद्योगपतियों की मांगों पर भी गौर किया जाए।
यह हैं उद्योग जगत की मुख्य मांगें
- अप्रैल-मई व लॉकडाउन रहने तक कर्मचारियों-श्रमिकों के वेतन देने के लिए तत्काल आर्थिक सहयोग दिया जाए।
- अप्रैल-मई व लॉकडाउन रहने तक बिजली विभाग कनेक्शन का फिक्स चार्ज व ड्यूटी माफ करे और इस दौरान बिजली खपत का बिल चुकाने के लिए भी लॉकडाउन खुलने व औद्योगिक गतिविधियां सामान्य होने तक छूट जाए। इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क भी न वसूला जाए।
- बैंक 31 मार्च 2021 तक टर्म लोन पर ब्याज माफ करें और बिना कोई अतिरिक्त गारंटी के मौजूदा टर्म लोन को 25 फीसद तक बढ़ाएं।
- सरकारी विभाग 31 मार्च 2022 तक जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदारी बंद करें।
- जम्मू-कश्मीर के भीतर बिक्री कर रही इकाइयों को टर्नओवर का दो से पांच फीसद रिफंड किया जाए।
- दूसरे राज्यों से आने वाले रॉ मैटेरियल व वहां बिकने वाले उत्पादों पर होने वाले ट्रांसपोर्ट खर्च को सरकार रिफंड करे।