कुदरत की खूबसूरती देख मुंह से निकलता है वाह क्या नजारा है
जम्मू संभाग के रियासी जिला को कुदरत ने अपार प्राकृतिक सुंदरता से नवाजा है, लेकिन बरसात के दौरान कुदरत कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो जाती है।
रियासी, राजेश डोगरा। जम्मू संभाग के रियासी जिला को कुदरत ने अपार प्राकृतिक सुंदरता से नवाजा है, लेकिन बरसात के दौरान कुदरत कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो जाती है। इन दिनों धुंध और हरियाली का संगम प्राकृतिक नजारों को इतना विहंगम बना देता है कि कोई भी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाता।
वैसे तो रियासी में कई स्थान खुद में अनुपम सुंदरता समेटे हुए हैं, लेकिन बारादरी चिनाब पुल क्षेत्र और यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर चंकाह इलाके का नजारा इन दिनों देखते ही बनता है। बारादरी क्षेत्र में चिनाब नदी पर छाई घनी धुंध मनमोहक नजारा पेश करती है।
धुंध इतनी घनी होती है कि कई बार पुल और नीचे बहने वाली नदी तक ओझल हो जाती है। इस घनी धुंध के बीच पुल पर से गुजरते समय बादलों के बीच से होकर गुजरने का एहसास होता है। धुंध के बीच लुकाछिपी करते समीप के ऊंचे हरे भरे पहाड़ नजारे को और भी हसीन बना देते हैं। कुदरती नजारे के बीच इस स्थान पर चलने वाली ठंडी हवाएं सुखद अनुभूति कराती हैं। यहां पहुंचते ही इन कुदरती नजारों के बीच ठंडी हवाएं पर्यटकों और स्थानीय लोगों के साथ शिवखोड़ी श्रद्धालुओं को कुछ पल यहां रुकने पर मजबूर कर देते हैं। जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर चंकाह भी प्राकृतिक सुंदरता में कम नहीं है।
पहाड़ों के बीच बहती चिनाब नदी झील का रूप में नजर आती है। इसकी किनारे ही हरा भरा मखमली घास का विशाल मैदान दूर से बेहद सुंदर नजर आता है। यह किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम है। इसका नजारा देखने के लिए यहां पर कोई न रुके ऐसा संभव नहीं। बारादरी पुल क्षेत्र में इन कुदरती नजारों को अपने कैमरे में कैद कर रहे नासिक के दिनेश पंडित और विशाल दीनानाथ ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर राज्य की खूबसूरती के बारे में जो सुना था। रियासी क्षेत्र में आकर वह सब देख भी लिया।
उन्होंने कहा कि वह दोस्तों संग वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए शिवखोड़ी रनसू आए थे। रास्ते और विशेषकर चिनाब क्षेत्र में उन्होंने कभी न भूलने वाली कुदरत की जो खूबसूरती देखी। उन्हें देखकर वह बेहद खुश और अचंभित है। इन नजारों को कैमरे में कैद कर अपने परिवार वालों और अन्य दोस्तों को दिखाएंगे। उनका यही प्रयास रहेगा कि अगले वर्ष वह अपने परिवार को भी इन नजारों से रूबरू कराने के लिए यहां लाएंगे।