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Jammu Kashmir: नए समीकरण के संकेत दे रहीं डोगरा राज परिवार की PM Modi से नजदीकियां

जम्मू कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा गीता के श्लोकों की 21 व्याख्याओं के 11 संस्करणों में प्रकाशित करवाया गया है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री ने गत मंगलवार को इनका लोकार्पण किया था। इससे पूर्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी डा. कर्ण सिंह से भेंटकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 08:26 AM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 09:28 AM (IST)
Jammu Kashmir: नए समीकरण के संकेत दे रहीं डोगरा राज परिवार की PM Modi से नजदीकियां
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व सदर-ए-रियासत डा. कर्ण सिंह के कार्य की खुले दिल से तारीफ की।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद खासकर जम्मू में नित नए सियासी समीकरण उभर रहे हैं। अब डोगरा राजपरिवार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी ऐसे समीकरणों का संकेत दे रही है। फिलहाल, भाजपा और राज परिवार भले ही इस मुद्दे पर चुप्पी धारण किए हों, लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा महाराजा हरिसिंह के पुत्र और पूर्व सदर-ए-रियासत डा. कर्ण सिंह की तारीफ के अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

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डा. कर्ण सिंह और उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह पूर्व में कांग्रेस की सियासत करते रहे हैं और कई चुनाव भी लड़ चुके हैं। पर जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन पर कांग्रेस की नीति के विरोध में खड़े दिखे हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 के खात्मे का खुलकर समर्थन किया था। भले ही उन्होंने खुलकर कांग्रेस से किनारा नहीं किया, लेकिन अपने विचारों से पार्टी को असहज करते रहे हैं।

यहां बता दें कि जम्मू कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा गीता के श्लोकों की 21 व्याख्याओं के 11 संस्करणों में प्रकाशित करवाया गया है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री ने गत मंगलवार को इनका लोकार्पण किया था। इससे पूर्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी डा. कर्ण सिंह से भेंटकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी।

विक्रमादित्य स्वयं पीएम के कार्यक्रम में न केवल शामिल रहे बल्कि उन्होंने पीएम के साथ अपनी व स्वजनों की तस्वीरें भी इंटरनेट मीडिया पर साझा कीं।

प्रधानमंत्री ने डा. कर्ण सिंह को जमकर सराहा : आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय ज्ञान व दर्शन के क्षेत्र में पूर्व सदर-ए-रियासत डा. कर्ण सिंह के कार्य की खुले दिल से तारीफ की। मोदी ने कहा कि उन्होंने भारतीय दर्शन में जिस तरह से स्वयं को समर्पित किया है, उसका प्रकाश और प्रभाव भारतीय शिक्षा जगत पर स्पष्ट देखा जा सकता है। उन्होंने जम्मू कश्मीर की उस पहचान को पुनर्जीवित किया है, जिसने सदियों तक भारत की विचार परंपरा का नेतृत्व किया। भले ही इस कार्यक्रम में सियासी कुछ नहीं था पर नई चर्चा का कारण अवश्य बन गया।

नेहरू की नीतियों को बताया था दोषी : विक्रमादित्य सिंह कश्मीर की स्थिति के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि नेशनल कांफ्रेंस की सोच और कांग्रेस नेताओं की संदिग्ध भूमिका के कारण कश्मीर पर दिक्कतें बढ़ीं। विक्रमादित्य ङ्क्षसह इस समय राजनीतिक भेदभाव का शिकार होते हुए जम्मू को मजबूत बनाने की पैरवी कर रहे हैं। वह जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के भी समर्थक हैं। प्रदेश भाजपा भी यह मुद्दा उठा रही है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहनोई हैं विक्रमादित्य सिंह : इस अवसर पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके ज्योतिरादित्य सिंह भी उपस्थित थे। विक्रमादित्य सिंह भाजपा नेता ज्योतिरादित्य के बहनोई हैं। वहीं उनके छोटे भाई अजातशत्रु सिंह पहले से ही भाजपा में हैं। उनके माध्यम से नए समीकरण पहले से ही गढ़े जा रहे हैं।

370 के बाद बहाल हुआ सम्मान : जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद कश्मीर केंद्रित दलों की डोगरा शासकों की छवि खराब करने की साजिश को जवाब मिला है। पहली बार न सिर्फ विलय दिवस पर राजकीय अवकाश की घोषणा हुई है अपितु 13 जुलाई 1931 को महाराजा के खिलाफ विद्रोह करने वालों की याद में दशकों से हो रही शहीद दिवस की छुट्टी भी रद हो गई है।

आजाद भी पार्टी नेतृत्व को ले चुके हैं निशाने पर : इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर कांग्रेस नेतृत्व को असहज कर चुके हैं। यही वजह है कि पार्टी के कुछ नेता इस पर भी बहुत कुछ देख रहे हैं पर खुलकर प्रतिक्रिया से बच रहे हैं।


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