Jammu Kashmir : प्रशासन से निराश है मढ़ के गन्ना उत्पादक
जम्मू के मढ़ ब्लाक के गन्ना उत्पादक किसान प्रशासन से निराश है। कारण यह कि पूरा सीजन बीत गया लेकिन कोरोना महामारी के कारण गन्ना नही बिक पाया और न ही प्रशासन ने कोई सहायता की।
जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू के मढ़ ब्लाक के गन्ना उत्पादक किसान प्रशासन से निराश है। कारण यह कि पूरा सीजन बीत गया लेकिन कोरोना महामारी के कारण गन्ना नही बिक पाया और न ही प्रशासन ने कोई सहायता की। ऐसे में नुकसान में आए यह किसान अब प्रशासन से अपना गिला शिकवा कर रहे हैं व नुकसान का मुआवजा मांग रहे हैं। जिला जम्मू में मढ़ ब्लाक के दर्जन भर गांव ऐसे हैं जहां पर पारंपरिक तौर पर गन्ने की खेती होती आई है। पानी की उपलब्धता के कारण शामा चक, चनुचक, कल्याणपुर, राजपुरा पंजौड़ व जसवां पंचायतें ऐसी हैं जोकि गन्ने की खेती के लिए मशहूर हैं। यहां का गन्ना नरम और मीठा होता है व 10 फुट तक लंबाई ले जाता है।
वैसे तो साल के आखिर में गन्ना अच्छी तरह से परिपक्क हो जाता है लेकिन किसानों को इंतजार गर्मियों के सीजन के आने का रहता है जब जूस के लिए यह गन्ना खूब बिकता है। बरसात से पहले ही सारा माल बेचना होता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण जूस की रेहड़ियां लगी ही नही। ऐसे में मढ़ ब्लाक के इन किसानों के गन्ने की फसल की बिकवाली नही हो पाई। एक क्विंटल गन्ने के लिए किसानों को सौ रुपये का दाम मिला जिसका दाम पिछले साल 800 रुपये तक था।
हालांकि समर्थन मूल्य जारी करने के लिए मढ़ के किसान कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले और अपना दुखड़ा सुनाया, लेकिन कोई हल नही निकला। अब यह किसान प्रशासन से नाराज हैं और मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि फसल के हुए नुकसान का मुआवजा दिलाया जाए। समाज सेवक दर्शन मेहरा का कहना है कि मढ़ में गन्ने की खेती की परंपरा बहुत पुरानी है , लेकिन खुशी यह है कि यह परंपरा आज भी जारी है। संभवतया कमाई हो जाने के कारण किसान यह खेती कर रहे हैं। सरकार को तो इस खेती को बढ़ावा देना चाहिए था। लेकिन सीजन में किसानों ने घाटा उठाया। ऐसे में अब अगली फसल के लिए किसान डर रहा है। किसान चमेल सिंंह ने कहा कि सहायता देकर प्रशासन इन गन्ना उत्पादक किसानों में विश्वास बहाली करे।