Jammu: जम्मू पहुंचा भाजपा काउंसलर राकेश पंडिता का शव, बन तालाब में हुआ अंतिम संस्कार
पिछले वर्ष भी आतंकियों ने एक कश्मीर में एक कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की उनके घर के बाहर ही हत्या कर दी थी जबकि ये ऐसा दूसरा मामला पेश आया है जिसमें आतंकियों ने कश्मीरी पंडित नेता को अपना निशाना बनाया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: कश्मीर के त्राल में आतंकियों की गोलियों का शिकार बने भाजपा काउंसलर राकेश पंडिता का शव वीरवार तड़के जम्मू स्थित रूप नगर में उनके निवास पहुंचा जहां कुछ धार्मिक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को बनतालाब शमशान भूमि ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। राकेश पंडिता की चिता को उनके बेटे पारस पंडिता ने मुखािग्नी दी जबकि इस मौके पर भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना व पूर्व एमएलसी विक्रम रंधावा भी वहां मौजूद थे।
राकेश पंडिता का शव जब तड़के उनके निवास स्थान पर लाया गया तो वहां पहले से ही काफी लोग मौजूद थे जो उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंच चुके थे। जैसे ही शव को एंबुलेंस से उतार कर उनके घर के भीतर ले जाया गया तो वहां मौजूद लोगों ने "जिस धरती को खून से सींचा, वह कश्मीर हमारा है' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
वहीं लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा था कि आतंकियों ने एक वर्ष के भीतर दो कश्मीरी पंडित नेताओं को अपना निशाना बनाया और ये दोनों ही नेता कश्मीर में अमन शांति के लिए प्रयास कर रहे थे। इससे पहले पिछले वर्ष भी आतंकियों ने एक कश्मीर में एक कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की उनके घर के बाहर ही हत्या कर दी थी जबकि ये ऐसा दूसरा मामला पेश आया है जिसमें आतंकियों ने कश्मीरी पंडित नेता को अपना निशाना बनाया है।
उधर राकेश पंडिता के अंतिम संस्कार में पहुंचे सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि यह पाकिस्तान की साजिश है जो कश्मीर में हालात बेहतर नहीं होने देना चाहता। भारतीय जनता पार्टी कश्मीर में अमन शांति बहाल कर रही है लेकिन यह बात पाकिस्तान को रास नहीं आ रही। यही कारण है कि पाकिस्तान के इशारे पर आतंकी उनके नेताओं को निशाना बना रहे हैं।
वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। राकेश पंडिता के परिवार में उनकी मां शारिका पंडिता, पत्नी अपर्णा पंडिता, बेटा पारस पंडिता के अलावा दो भाई संजय पंडिता और किंग पंडिता हैं।
कश्मीर में लोकतंत्र को जिंदा रखा राकेश ने: राकेश पंडिता के भाई संजय पंडिता का कहना था कि कश्मीर में उनके भाई ने लोकतंत्र को जिंदा रखा। जिस समय कश्मीर में चुनाव करवाए जाने की घोषणा हुई तो कई पार्टियों ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। उनके भाई ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह लोगों की मदद करते थे। वह हमेशा ही अपने इलाके में विकास करवाने की कोशिश करते थे। कश्मीर के हालात ठीक न होने के बावजूद भी वह अपने इलाके में जाते थे ताकि लोगों की परेशानियों को हल करवा सकें। वहीं स्थानीय लोगों का भी कहना था कि राकेश बहुत मिलनसार थे। वह अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाले अकेले थे लेकिन उनके जाने के बाद परिवार का सहारा छिन गया है। सरकार को परिवार की मदद करनी चाहिए।