Jammu Kashmir Cooperative Bank Scam : 250 करोड़ के घोटाले में आरोपित की जमानत अर्जी खारिज
फर्जी रिहायशी कॉलोनी बनाने के नाम पर जम्मू कश्मीर कोऑपरेटिव बैंक में हुए 250 करोड़ के ऋण घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
जम्मू , जेएनएफ : फर्जी रिहायशी कॉलोनी बनाने के नाम पर जम्मू कश्मीर कोऑपरेटिव बैंक में हुए 250 करोड़ के ऋण घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। आरोपित अब्दुल हामिद हजाम फर्जी सोसायटी रिवर झेलम कोऑपरेटिव सोसायटी का सचिव है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बैंक के तत्कालीन चेयरमैन मोहम्मद शफी डार के अलावा तथाकथित रिवर झेलम कोऑपरेटिव सोसायटी के चेयरमैन हिलाल अहमद मीर व सचिव अब्दुल हामिद के खिलाफ चार्जशीट भी पेश की थी।
ब्यूरो की चार्जशीट के मुताबिक तीनों आरोपितों ने बैंक से ऋण हासिल करने के लिए साजिश रची और कोऑपरेटिव सोसायटीज जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन रजिस्ट्रार मोहम्मद मुजीब उर रहमान तथा डिप्टी रजिस्ट्रार सैयद आशिक हुसैन के साथ 2018-19 में यह फर्जी सोसायटी रजिस्टर करवाई। बाद में तथाकथित सोसायटी के चेयरमैन मीर ने 10 जनवरी 2018 को जेएंडके कोऑपरेटिव विभाग में एक आवेदन किया जिसमें विभाग से बैंक को ऋण मंजूर करने का निर्देश देने की मांग की। आवेदन में कहा कि सोसायटी एक रिहायशी कॉलोनी बनाने जा रही है, जिसके लिए उसे 300 करोड़ रुपये का ऋण दिया जाए। चार्जशीट में कहा गया है कि यह सब साजिश के तहत हुआ, क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में कोऑपरेटिव विभाग किसी को ऋण देने की सिफारिश नहीं करता और न ही बैंक को ऋण मंजूर करते समय ऐसी किसी सिफारिश की अनिवार्यता रहती है। मीर के आवेदन को मंजूरी दी गई और बैंक के तत्कालीन चेयरमैन ने 250 करोड़ का ऋण मंजूर किया। इसमें से 223 करोड़ रुपये सोसायटी को जारी किए गए। ऋण की यह सारी राशि मीर के खाते में ट्रांसफर की गई, जिसने 18 लोगों के खातों में राशि यह कहकर डाली गई कि शविपोरा में 13 हेक्टेयर जमीन के वे मालिक हैं। ब्यूरो ने 18 खातों में पड़े 202 करोड़ को सीज करने के साथ जमीन भी अटैच की है।
कोर्ट ने अब्दुल हामिद की जमानत अर्जी को ठुकराते हुए कहा कि वित्तीय अपराध अब देश में आम होता जा रहा है। बैंक में होने वाले ऐसे घोटालों से आम आदमी पर असर पड़ता है, क्योंकि बैंकों में हजारों लोगों ने अपनी जमापूंजी रखी होती है। ऐसे में बैंक अधिकारी ऐसे लोगों के साथ मिलकर धोखाधड़ी करेंगे तो लोगों का बैंकों पर से भी विश्वास उठ जाएगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपित अब्दुल हामिद को केवल इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती क्योंकि जांच एजेंसी इस मामले में अपनी चार्जशीट पेश कर चुकी है। कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि आरंभिक जांच में आरोपित के इस घोटाले में संलिप्त होने के पुख्ता प्रमाण हैं। वैसे भी कोर्ट मामले में अन्य आरोपित की जमानत पहले खारिज कर चुका है। लिहाजा अब्दुल हामिद को जमानत नहीं मिल सकती।